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शिवपुरी धाम की अनूठी छवि...स्वास्तिक संरचना में स्थापित हैं 525 शिवलिंग...मिलता है 12 ज्योतिर्लिंग का फल - Rajasthan hindi news

भगवान शिव का एक अनूठा मंदिर कोटा के थेकड़ा इलाके में स्थित शिवपुरी धाम (Shivpuri Dham Kota) है. जहां पर 525 शिवलिंग एक साथ स्वास्तिक की संरचना में स्थापित हैं. मंदिर की स्थापना भी नेपाल के काठमांडू स्थित भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर से जुड़ी हुई है.

Shivpuri Dham Kota
शिवपुरी धाम कोटा
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Published : Jul 16, 2022, 6:03 AM IST

कोटा. सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है. इस महीने में हर कोई भगवान भोलेनाथ को जल, दूध, बेलपत्र अर्पण करते हुए विशेष पूजा-अर्चना करता है. हर दिन लोग जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक भी करते हैं. इस पूरे माह चारों तरफ बोल बम के जयकारे भी सुनने को मिलते हैं. ये माह भगवान शिव को काफी प्रिय है. यही वजह है कि छोटे से लेकर बड़े मंदिरों में हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बनी हुई है. इसी कड़ी में कोटा के थेकड़ा इलाके में स्थित शिवपुरी धाम (Shivpuri Dham Kota)का भी अपना खासा महत्व है. यहां 525 शिवलिंग एक साथ स्वास्तिक की संरचना में स्थापित हैं.

मंदिर की स्थापना भी नेपाल के काठमांडू में स्थित भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर से जुड़ी हुई है. इस मंदिर के संरक्षक नागा साधु सनातन पुरी महाराज हैं. जिनके गुरुदेव दिवंगत राणाराम पुरी महाराज ने मंदिर की 35 साल पहले कठिन योग, तप व साधना के बाद स्थापना की थी. सनातन पुरी महाराज का कहना है कि मंदिर में 525 शिवलिंग हैं. इनको जोड़ने पर 12 आता है, ऐसे में यहां दर्शन व पूजा करने वाले श्रद्धालुओं को 12 ज्योतिर्लिंग का फल मिलता है.

शिवपुरी धाम कोटा

पढ़ें. Bhuteshwar Mahadev temple: वीराने में बसे हैं बाबा भूतेश्वर नाथ, सावन में दर्शनार्थियों का लगता है तांता

पशुपतिनाथ में नहीं हुए ठीक से दर्शन, संकल्प लिया था कोटा में बनाएंगे मंदिरः मान्यता के अनुसार दिवंगत नागा साधु राणा रामपुरी महाराज थेगड़ा में शिवपुरी धाम की जगह पर रहते थे. तब यहां पर मंदिर नहीं था. वे 1980 के आसपास नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन के लिए गए. वहां भगवान शिव को अर्पण करने के लिए प्रसाद, बेलपत्र, अगरबत्ती और मालाएं इत्यादि लेकर गए. लेकिन, मंदिर में नहीं ले जाने दिया गया. साथ ही हर मंदिर में एक ही मूर्ति थी, जिससे दर्शन के लिए लाइन लगी थी और नंबर नहीं आता है. पूजा सामग्री को पुलिसकर्मी ले लेते थे और धक्का देकर आगे निकालते थे. इसके चलते श्रद्धालुओं को चंद सेकंड ही दर्शन के लिए भगवान दिखाई देते. भक्त ठीक से अपनी मनोकामना भी नहीं मांग सकते थे. ऐसे में नागा साधु राणाराम पुरी ने तय किया कि ऐसा धाम बनाएंगे, जहां महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार में लाखों लोग पूजा कर सके.

Shivpuri Dham Kota
सावन में जुटती है भीड़

525 शिवलिंग का आइडिया भी काठमांडू से आयाः मंदिर के संरक्षक सनातन पुरी महाराज का कहना है कि राणाराम पुरी महाराज को पशुपतिनाथ भगवान के मंदिर के दर्शन करने के बाद बाहर निकले तब नजर आया कि मंदिर के परिसर में ही छोटे-छोटे 525 शिवलिंग स्थापित हैं. लोग वहां पर ही पूजा कर रहे हैं और अपनी पूजन सामग्री को अर्पण कर रहे हैं. भगवान का जलाभिषेक कर रहे हैं. इसके बाद उन्होंने इसी तरह से 525 शिवलिंग स्थापित करने का निश्चय भी कर लिया. जिसमें भगवान के लाखों भक्त कुछ ही समय में अपने हाथों से पूजा कर सकें. वे अगरबत्ती, धूप, दुग्ध व जल अभिषेक कर सकें.

Shivpuri Dham Kota
दर्शन से मिलता है 12 ज्योतिर्लिंग का फल

पढ़ें. Sawan 2022 : जयपुर शहर के इतिहास से भी पुराना है ये शिव मंदिर, पूरे सावन गूंजेगा 'बोल बम ताड़क बम' का जयकारा

मंदिर परिसर की जगह पहले मौजूद था प्राचीन धुनाः शिवपुरी धाम में पहले केवल प्राचीन धुना (छोटा मन्दिर) हुआ करता था. इसके बारे में बताया जाता है कि वह 500 से 1000 साल पुराना है. राज परिवार की जमीन धुना के आसपास थी. उन्होंने ही इस जमीन को सप्रेम भेंट मंदिर के लिए दी है. साल 1986 में ही उन्होंने राज परिवार से जमीन लेकर 525 शिवलिंग स्थापना करने की शुरुआत कर दी. उनका देहांत 1987 में हो गया. जिसके बाद सनातन पुरी महाराज ने इसकी कमान संभाली और मंदिर में शिवलिंग स्थापना 2007 में शुरू हुई. यहां पर 525 शिवलिंग स्थापित कर दिए. जिसके बाद किए अनूठा धाम बन गया और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था यहां से जुड़ गई है.

देशभर से आते हैं श्रद्धालुः सनातन पुरी महाराज का कहना है कि सनातन धर्म की जड़ मंदिर है. शिवपुरी धाम दिन दूना रात चौगुना बनेगा. यह महाराज राणा रामपुरी की कृपा से ही हो रहा है. यहां पर 525 शिवलिंग विराजमान हैं भोलेनाथ के स्वरूप के दर्शन के लिए यहां दूर-दूर से लोग आते हैं. उन्होंने कहा कि कोटा शिक्षा नगरी है. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. देश के विभिन्न कौने से भी श्रद्धालु यहां आते हैं. मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु पूजा, रुद्राभिषेक, प्रार्थना, वंदना व परिक्रमा करते हैं. उन्होंने कहा कि पूजा-अर्चना से श्रद्धालु के जीवन में खुशहाली आती है. पूजा हमारे सनातन धर्म का आधार है.

पढ़ें. लोहागढ़ दुर्ग के रक्षक हैं स्वयं अर्धांगेश्वर शिव, यहां स्थापित है अर्धनारीश्वर स्वरूप का अनूठा शिवलिंग...सावन में लगता है रेला

स्वास्तिक की सरंचना में स्थापित 525 शिवलिंगः शिवपुरी धाम में स्थापित शिवलिंग स्वास्तिक की संरचना में बने हुए हैं. श्रद्धालु शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हुए सभी 525 शिवलिंग तक पहुंच सकते है. उसके लिए स्वास्तिक की पूरी संरचना के अनुसार रास्ता बनाया हुआ है. मंदिर में वर्तमान में भी निर्माण कार्य चल रहा है और जहां स्वास्तिक की शेप में शिवलिंग स्थापित हैं. उन्हें कवर करने का काम किया जा रहा है, ताकि बारिश के समय में भी श्रद्धालु यहां पर पूजा अर्चना कर सकें.

सावन में दर्शन करने से हर मनोकामना होती है पूरीः श्रद्धालु नवीन खत्री का कहना है कि कोटा के लिए गौरव की बात है, इस तरह का मंदिर कोटा में स्थापित है. भगवान शिव की आराधना के निमित्त सावन माह में सभी शिवभक्त यहां पर बड़ी संख्या में आते हैं. शिवलिंग पर जल व बेलपत्र चढ़ाते हैं. उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. सीमा चतुर्वेदी का कहना है कि सोमवार के दिन यहां पर काफी भीड़ रहती है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. उन्होंने बताया कि मुझे यहां आते हुए 5 साल हो गया है. यहां पर बहुत अच्छा लगता है.

सावन और महाशिवरात्रि पर आते हैं लाखों श्रद्धालुः हिना नागर का कहना यहां पर बहुत सारी जगह है, बहुत सारे शिवलिंग हैं. इसके चलते अच्छा स्पेस पूजा के लिए मिलता हैं. काफी संख्या में लोग आते हैं तो और भी अच्छा लगता है. एक साथ बहुत सारे लोगों को पूजा अर्चना करते देखते हुए भी मन प्रसन्न होता है. काफी बड़ी लाइन भी लगती है. कुंज बिहारी कुशवाहा का कहना है कि मैं करीब 5 से 7 साल से सावन में आता हूं. मनोकामना मेरी पूरी होती है. सावन और महाशिवरात्रि में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर आते हैं. वे सभी अपनी मर्जी से शंकर भगवान का जलाभिषेक और पूजा-अर्चना कर सकते हैं. हालांकि इन दिनों में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को घंटों दर्शन करने में लग जाते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में शिवलिंग होने से श्रद्धालुओं को भगवान की पूजा अर्चना करने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है.

कोटा. सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष माना जाता है. इस महीने में हर कोई भगवान भोलेनाथ को जल, दूध, बेलपत्र अर्पण करते हुए विशेष पूजा-अर्चना करता है. हर दिन लोग जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक भी करते हैं. इस पूरे माह चारों तरफ बोल बम के जयकारे भी सुनने को मिलते हैं. ये माह भगवान शिव को काफी प्रिय है. यही वजह है कि छोटे से लेकर बड़े मंदिरों में हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बनी हुई है. इसी कड़ी में कोटा के थेकड़ा इलाके में स्थित शिवपुरी धाम (Shivpuri Dham Kota)का भी अपना खासा महत्व है. यहां 525 शिवलिंग एक साथ स्वास्तिक की संरचना में स्थापित हैं.

मंदिर की स्थापना भी नेपाल के काठमांडू में स्थित भगवान पशुपतिनाथ के मंदिर से जुड़ी हुई है. इस मंदिर के संरक्षक नागा साधु सनातन पुरी महाराज हैं. जिनके गुरुदेव दिवंगत राणाराम पुरी महाराज ने मंदिर की 35 साल पहले कठिन योग, तप व साधना के बाद स्थापना की थी. सनातन पुरी महाराज का कहना है कि मंदिर में 525 शिवलिंग हैं. इनको जोड़ने पर 12 आता है, ऐसे में यहां दर्शन व पूजा करने वाले श्रद्धालुओं को 12 ज्योतिर्लिंग का फल मिलता है.

शिवपुरी धाम कोटा

पढ़ें. Bhuteshwar Mahadev temple: वीराने में बसे हैं बाबा भूतेश्वर नाथ, सावन में दर्शनार्थियों का लगता है तांता

पशुपतिनाथ में नहीं हुए ठीक से दर्शन, संकल्प लिया था कोटा में बनाएंगे मंदिरः मान्यता के अनुसार दिवंगत नागा साधु राणा रामपुरी महाराज थेगड़ा में शिवपुरी धाम की जगह पर रहते थे. तब यहां पर मंदिर नहीं था. वे 1980 के आसपास नेपाल के काठमांडू स्थित पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन के लिए गए. वहां भगवान शिव को अर्पण करने के लिए प्रसाद, बेलपत्र, अगरबत्ती और मालाएं इत्यादि लेकर गए. लेकिन, मंदिर में नहीं ले जाने दिया गया. साथ ही हर मंदिर में एक ही मूर्ति थी, जिससे दर्शन के लिए लाइन लगी थी और नंबर नहीं आता है. पूजा सामग्री को पुलिसकर्मी ले लेते थे और धक्का देकर आगे निकालते थे. इसके चलते श्रद्धालुओं को चंद सेकंड ही दर्शन के लिए भगवान दिखाई देते. भक्त ठीक से अपनी मनोकामना भी नहीं मांग सकते थे. ऐसे में नागा साधु राणाराम पुरी ने तय किया कि ऐसा धाम बनाएंगे, जहां महाशिवरात्रि और सावन के सोमवार में लाखों लोग पूजा कर सके.

Shivpuri Dham Kota
सावन में जुटती है भीड़

525 शिवलिंग का आइडिया भी काठमांडू से आयाः मंदिर के संरक्षक सनातन पुरी महाराज का कहना है कि राणाराम पुरी महाराज को पशुपतिनाथ भगवान के मंदिर के दर्शन करने के बाद बाहर निकले तब नजर आया कि मंदिर के परिसर में ही छोटे-छोटे 525 शिवलिंग स्थापित हैं. लोग वहां पर ही पूजा कर रहे हैं और अपनी पूजन सामग्री को अर्पण कर रहे हैं. भगवान का जलाभिषेक कर रहे हैं. इसके बाद उन्होंने इसी तरह से 525 शिवलिंग स्थापित करने का निश्चय भी कर लिया. जिसमें भगवान के लाखों भक्त कुछ ही समय में अपने हाथों से पूजा कर सकें. वे अगरबत्ती, धूप, दुग्ध व जल अभिषेक कर सकें.

Shivpuri Dham Kota
दर्शन से मिलता है 12 ज्योतिर्लिंग का फल

पढ़ें. Sawan 2022 : जयपुर शहर के इतिहास से भी पुराना है ये शिव मंदिर, पूरे सावन गूंजेगा 'बोल बम ताड़क बम' का जयकारा

मंदिर परिसर की जगह पहले मौजूद था प्राचीन धुनाः शिवपुरी धाम में पहले केवल प्राचीन धुना (छोटा मन्दिर) हुआ करता था. इसके बारे में बताया जाता है कि वह 500 से 1000 साल पुराना है. राज परिवार की जमीन धुना के आसपास थी. उन्होंने ही इस जमीन को सप्रेम भेंट मंदिर के लिए दी है. साल 1986 में ही उन्होंने राज परिवार से जमीन लेकर 525 शिवलिंग स्थापना करने की शुरुआत कर दी. उनका देहांत 1987 में हो गया. जिसके बाद सनातन पुरी महाराज ने इसकी कमान संभाली और मंदिर में शिवलिंग स्थापना 2007 में शुरू हुई. यहां पर 525 शिवलिंग स्थापित कर दिए. जिसके बाद किए अनूठा धाम बन गया और लाखों श्रद्धालुओं की आस्था यहां से जुड़ गई है.

देशभर से आते हैं श्रद्धालुः सनातन पुरी महाराज का कहना है कि सनातन धर्म की जड़ मंदिर है. शिवपुरी धाम दिन दूना रात चौगुना बनेगा. यह महाराज राणा रामपुरी की कृपा से ही हो रहा है. यहां पर 525 शिवलिंग विराजमान हैं भोलेनाथ के स्वरूप के दर्शन के लिए यहां दूर-दूर से लोग आते हैं. उन्होंने कहा कि कोटा शिक्षा नगरी है. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. देश के विभिन्न कौने से भी श्रद्धालु यहां आते हैं. मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु पूजा, रुद्राभिषेक, प्रार्थना, वंदना व परिक्रमा करते हैं. उन्होंने कहा कि पूजा-अर्चना से श्रद्धालु के जीवन में खुशहाली आती है. पूजा हमारे सनातन धर्म का आधार है.

पढ़ें. लोहागढ़ दुर्ग के रक्षक हैं स्वयं अर्धांगेश्वर शिव, यहां स्थापित है अर्धनारीश्वर स्वरूप का अनूठा शिवलिंग...सावन में लगता है रेला

स्वास्तिक की सरंचना में स्थापित 525 शिवलिंगः शिवपुरी धाम में स्थापित शिवलिंग स्वास्तिक की संरचना में बने हुए हैं. श्रद्धालु शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हुए सभी 525 शिवलिंग तक पहुंच सकते है. उसके लिए स्वास्तिक की पूरी संरचना के अनुसार रास्ता बनाया हुआ है. मंदिर में वर्तमान में भी निर्माण कार्य चल रहा है और जहां स्वास्तिक की शेप में शिवलिंग स्थापित हैं. उन्हें कवर करने का काम किया जा रहा है, ताकि बारिश के समय में भी श्रद्धालु यहां पर पूजा अर्चना कर सकें.

सावन में दर्शन करने से हर मनोकामना होती है पूरीः श्रद्धालु नवीन खत्री का कहना है कि कोटा के लिए गौरव की बात है, इस तरह का मंदिर कोटा में स्थापित है. भगवान शिव की आराधना के निमित्त सावन माह में सभी शिवभक्त यहां पर बड़ी संख्या में आते हैं. शिवलिंग पर जल व बेलपत्र चढ़ाते हैं. उनकी मनोकामना पूर्ण होती है. सीमा चतुर्वेदी का कहना है कि सोमवार के दिन यहां पर काफी भीड़ रहती है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. उन्होंने बताया कि मुझे यहां आते हुए 5 साल हो गया है. यहां पर बहुत अच्छा लगता है.

सावन और महाशिवरात्रि पर आते हैं लाखों श्रद्धालुः हिना नागर का कहना यहां पर बहुत सारी जगह है, बहुत सारे शिवलिंग हैं. इसके चलते अच्छा स्पेस पूजा के लिए मिलता हैं. काफी संख्या में लोग आते हैं तो और भी अच्छा लगता है. एक साथ बहुत सारे लोगों को पूजा अर्चना करते देखते हुए भी मन प्रसन्न होता है. काफी बड़ी लाइन भी लगती है. कुंज बिहारी कुशवाहा का कहना है कि मैं करीब 5 से 7 साल से सावन में आता हूं. मनोकामना मेरी पूरी होती है. सावन और महाशिवरात्रि में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पर आते हैं. वे सभी अपनी मर्जी से शंकर भगवान का जलाभिषेक और पूजा-अर्चना कर सकते हैं. हालांकि इन दिनों में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को घंटों दर्शन करने में लग जाते हैं, लेकिन बड़ी संख्या में शिवलिंग होने से श्रद्धालुओं को भगवान की पूजा अर्चना करने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है.

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