कोटा. प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल कोटा दौरे पर आए हैं. उन्होंने जिला कलेक्ट्रेट के टैगोर हॉल में कोरोना महामारी को लेकर बैठक ली. बैठक में कोरोना वायरस से जुड़ी कोटा की स्टैटिक्स का प्रजेंटेशन विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ. राजेश गुप्ता ने दिया. इसमें उन्होंने बताया कि अगस्त महीने में कोरोना के केस पॉजिटिव आने की संख्या छह फीसदी हो गई है.
इस पूरे डेटा को सुनने के बाद यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में भी मरीजों का ठीक से राउंड नहीं लेने की बात सामने आई है. इस पर मंत्री धारीवाल ने सुधार के निर्देश दिए हैं. साथ ही सैंपल भी बढ़ाने और टारगेट करके सैंपलिंग लेने की बात कही है. मीडिया से बात करते हुए मंत्री धारीवाल ने कहा कि लॉकडाउन के बाद जिस तरह से पूरे देश भर में केस बढ़ रहे हैं. वैसे ही कोटा में भी केस बढ़ रहे हैं. हालांकि स्थिति अन्य जगहों से थोड़ी अच्छी है. उन्होंने कहा कि हमने सभी अधिकारियों से चर्चा की है और उन्हें सुझाव दिया है कि वे सुविधाएं और बढ़ाएं, ताकि मरीजों को परेशानी न हो.
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मंत्री धारीवाल ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में अगर वार्ड बढ़ाने की जरूरत है तो इसके लिए भी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य काम करें, जिन लोगों में कोरोना के लक्षण हैं, लेकिन जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही है. उन्हें भी पॉजिटिव मानकर उपचार करने के निर्देश दिए हैं. बैठक में स्मार्ट सिटी बोर्ड कोटा के चेयरमैन भवानी सिंह देथा भी मौजूद रहे. उन्होंने भी अधिकारियों को प्लाजमा थेरेपी के लिए डोनर बढ़ाने और उन्हें मोटिवेट करने का सुझाव दिया.
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मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने कहा कि उन्होंने डेथ और ऑडिट करवाई है. उन्होंने बताया कि अब तक 66 कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी है. कई लोग ऐसे भी सामने आते हैं, जिनको लक्षण होते हैं. लेकिन उनका टेस्ट निगेटिव आता है. ऐसे में इन लोगों को भी अब कोविड- 19 की तरह ट्रीट करने की योजना बना रहे हैं. साथ ही इन मरीजों के लिए सीटी स्कैन के जरिए टेस्ट करने की प्लानिंग की जा रही है. बैठक में संभागीय आयुक्त केसी मीणा, डीआईजी रविदत्त गौड़, जिला कलेक्टर उज्जवल राठौड़, शहर एसपी गौरव यादव, एडीएम सिटी आरडी मीणा, मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना, सीएमएचओ डॉ. भूपेंद्र सिंह तंवर, नगर निगम आयुक्त कीर्ति राठौड़ और वासुदेव मालावत भी मौजूद रहे.
थर्मल स्कैनर की जगह पल्स ऑक्सीमीटर का उपयोग हो...
बैठक में अधिकारियों ने सुझाव दिया कि थर्मल स्कैनर की जगह जितने भी बड़े शोरूम, सार्वजनिक स्थल, मॉल, प्राइवेट और सरकारी कार्यालय में जांच हो. जहां पर लोग एकत्रित होते हैं. वहां पर लोगों का पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन सैचुरेशन लिया जाए, ताकि जिनका भी सैचुरेशन 90 फीसदी से कम है. उन्हें चिन्हित कर उनका कोरोना टेस्ट करवाया जाए, जिससे की जल्द ही कोरोना संक्रमितों की पहचान की जा सके.