कोटा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को विधानसभा में बजट पेश किया. इस बजट में सीएम गहलोत ने तमाम घोषणाएं की, लेकिन शिक्षा नगरी कोटा को निराशा ही हाथ लगी है. कोटा के व्यापारियों और लोगों का कहना है कि कोटा को इस बजट में कुछ भी नहीं मिला है. भाजपा नेताओं का कहना है कि कोटा का नाम इस बजट में एक दो बार ही आया है, जो कि अपने आप ही उसके साथ सौतेला व्यवहार दिखा रहा है.
व्यापारियों का कहना है कि कोटा में नया औद्योगिक क्षेत्र भी खुलना चाहिए था, लेकिन उसकी भी मांग पूरी नहीं की गई. कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन और महासचिव अशोक माहेश्वरी का कहना है कि कोटा शहर के हॉस्टल पर कोविड-19 के चलते लायबिलिटी ज्यादा है. सभी के ऊपर भारी-भरकम लोन है और उनकी हर महीने किस्त में देनी पड़ रही है. उनको राहत देनी चाहिए थी, जो नहीं मिली है. हालांकि, 50 करोड़ तक के लोन पर सब्सिडी की बात की गई है. उससे कुछ राहत व्यापारियों को मिल सकती है. साथ ही, स्टार्ट पर 5 लाख तक छूट दी गई है.
नए कोटा में महिला महाविद्यालय की मांग अधूरी...
नए कोटा में एक महिला महाविद्यालय की दरकार है, जो कि महती आवश्यकता है. क्योंकि, बेटियों को करीब 10 से 12 किलोमीटर दूर पढ़ने के लिए जेडीबी गर्ल्स कॉलेज जाना मजबूरी बना हुआ है. यह मांग भी इस बजट में पूरी नहीं की गई. इसके अलावा कोटा को एयरपोर्ट के लिए भूमि आवंटन की बात भी कही जा रही थी. जिस पर भी किसी तरह की कोई मांग पूर्ति नहीं हुई. इसके अलावा लाखों की संख्या में विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते हैं, उनके लिए भी कुछ अलग तरह की घोषणा राज्य सरकार ने अपने बजट में नहीं की गई.
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सभी योजनाएं जोधपुर के लिए बांट दी गई...
भारतीय जनता पार्टी के शहर जिलाध्यक्ष कृष्ण कुमार सोनी रामबाबू का कहना है कि जितनी भी योजनाएं हैं, वह केवल जोधपुर तक ही सीमित रह गई. कोटा के साथ यहां पर भी छलावा ही किया गया है. राजस्थान सरकार ने जितने भी महत्वपूर्ण घोषणा की, वह जोधपुर शहर को ही बांट दी है. पेट्रोल और डीजल पर जो कुछ राहत की बात की जा रही थी, पर हाथ भी आम जनता को नहीं दी गई.
एयरपोर्ट की जमीन का सपना भी अधूरा...
केंद्र सरकार कोटा में एयरपोर्ट बनाने के लिए तैयार है. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की टीम कई बार दौरा भी कर चुकी है. बार-बार वह जमीन की मांग करती है. राज्य सरकार 500 हेक्टेयर जमीन देने के लिए तैयार तो हुई है, लेकिन इस बजट में उसकी घोषणा होनी चाहिए थी. ऐसा भी बजट में नहीं हुआ है.
बिजली कंपनी पर भी कोई एक्शन नहीं...
विधानसभा चुनाव में कोटा में बिजली को लेकर काफी कुछ नेताओं ने कहा था, लेकिन वह भी आज तक राहत आम जनता को नहीं दिला पाए हैं. इस बजट सभी लोगों को उम्मीद थी कि बिजली के दाम थोड़े कम होंगे, लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ है. इसके अलावा कोटा के मुकेश व्यास का कहना है कि जोधपुर के स्टेडियम और अन्य अस्पतालों को काफी ज्यादा बजट जारी किया गया है. जबकि, कोटा में भी स्टेडियम का कार्य अधूरा है. उसके लिए भी राशि राज्य सरकार को जारी करनी चाहिए थी, लेकिन इस बजट में नहीं की गई है.