कोटा. अरुंधति का बॉक्सिंग सफर वर्ष 2016 मई में शुरू हुआ. कोटा के बेसिक कोच अशोक गौतम से ट्रेनिंग ली. दो साल लगातार ट्रेनिंग के बाद उसने जूनियर नेशनल में गोल्ड और बेस्ट बॉक्सर का अवार्ड जीता. वहीं से नेशनल कैंप में भी एंट्री मिली.
अरुंधति कहती हैं कि अब तक का मेरा आधा सफर नेशनल कैंप में ही रहा है. स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने काफी मदद मेरी की है. बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी काफी सपोर्ट मुझे किया है. इसके चलते ही में अंतरराष्ट्रीय स्तर की बॉक्सर बन पाई हूं. जिसके बलबूते पर ही में इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत पाई.
अरुंधति का कहना है कि सीनियर एशियन चैंपियनशिप जो पहले दिल्ली में आयोजित होने वाली थी, लेकिन कोविड-19 की वजह से दुबई में आयोजित होगी. इसमें वे खेलना चाहती हैं क्योंकि वे सीनियर वर्ग की खिलाड़ी बन गई हैं. साथ ही सीनियर के वर्ल्ड चैंपियनशिप 20 साल आयोजित होने वाली है. उसमें भी पार्टिसिपेट भारत की तरफ से करना चाहती हैं और गोल्ड मेडल जीतना चाहती हैं.
अरुंधति की वजह से हरियाणा को टक्कर दे रहा राजस्थान
अरुंधति के पिता सुरेश चौधरी का कहना है कि वह खुद एक ग्रामीण परिवेश के हैं. उनका बैकग्राउंड स्पोर्ट्स को सपोर्ट नहीं कर रहा था. लेकिन अरुंधति ने अद्भुत खेल का प्रदर्शन किया है. वे सामान्य परिवार से आते हैं. लेकिन बेटी को स्पोर्ट्स एक्टिविटी में पार्टिसिपेट करवाया. वे कहते हैं कि हमने काफी स्ट्रगल किया है. राजस्थान का नाम भी अरुंधति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया है. पहले नेशनल स्तर पर राजस्थान को बैकवर्ड स्टेट स्पोर्ट्स में माना जाता था. लेकिन अरुंधति के चलते ही बॉक्सिंग में हरियाणा के बराबर अब लोग मानते हैं. हरियाणा में जब लोग बात करते हैं, तो वह अरुंधति की वजह से राजस्थान की टक्कर का मानते हैं.
अरुंधति के पिता सुरेश कॉलोनाइजर हैं. वे कोटा के बूंदी रोड पर अपना व्यापार संचालित करते हैं. उन्होंने ही अरुंधति को बॉक्सिंग की तरफ बदला. पहले अरुंधति बास्केटबॉल खेलती थी और नेशनल चैंपियनशिप में भी उसका सिलेक्शन हो गया था. लेकिन सुरेश चाहते थे कि अरुंधति सोलो गेम खेले. उन्होंने अरुंधति को ऑप्शन देते हुए बॉक्सिंग रेसलिंग वेटलिफ्टिंग और बैडमिंटन पर जोर दिया. इसमें से अरुंधति ने बॉक्सिंग को चुना और उसके बाद लगातार 20 मेडल और नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर जीत चुकी हैं.
5 साल पहले शुरू की ट्रेनिंग
अरुंधति ने मई 2016 में बास्केटबॉल से अपने आपको बॉक्सिंग में शिफ्ट किया. साथ ही उसको बॉक्सिंग की कोचिंग भी कोटा के अशोक गौतम ने ही दी. लगातार अरुंधति अपना बेहतर प्रदर्शन करती रही और 2017- 2018 में वह नेशनल लेवल की खिलाड़ी बन गई. इसके बाद वह साईं के बॉक्सिंग कैंप में ही ट्रेनिंग लेती रही.
मैं खुद बॉक्सिंग का रोल मॉडल बनना चाहती हूं
अरुंधति का कहना है कि लोग कुछ दिन स्पोर्ट्स में एक्टिव रहते हैं, उसके बाद अपनी पढ़ाई कर लेते हैं. लेकिन मेरे पिता ने जो आईडिया दिया वह अच्छा था कि मैं सिंगल सपोर्ट में अच्छा कर सकती हूं. इसी के बलबूते पर मैं आगे पहुंची हूं. मैं खुद भी एक रोल मॉडल लोगों के लिए बनना चाहती हूं. मेरा ऐसा प्रयास है कि जिस तरह से बॉक्सर मोहम्मद अली को लोग याद करते हैं. उनके वीडियो भी अभी तक देखते हैं. इसी तरह से अरुंधति चौधरी भी लोगों का रोल मॉडल बने.
अरुंधति अभी 12वीं में पढ़ रही है. ज्यादातर समय साईं बॉक्सिंग कैंप में ही गुजरता है. रोहतक की नेशनल बॉक्सिंग अकेडमी में उनकी ट्रेनिंग होती है. पिता चाहते हैं कि अरुंधति अपनी ग्रेजुएशन पूरा करे.
अरुंधति की मां सुनीता का कहना है कि पूरा परिवार वेजिटेरियन है. ऐसे में अरुंधति की डाइट में प्रोटीन और विटामिन का ध्यान रखना पड़ता है. इसके लिए अरुंधति की डाइट में 150 बादाम, 5 लीटर दूध और आधा किलो पनीर शामिल किया है. नेशनल कैंप में ट्रेनिंग के दौरान भी भोजन का पूरा ध्यान में रखा जाता है. विदेश में खेलने के दौरान आने की दिक्कत आती है, लेकिन उसको भी पूरी तरह से मैनेज घरवाले करते हैं.
बॉक्सिंग में अरुंधति का सफर