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स्पेशल: पैसों की कमी के चलते PWD में लॉकडाउन, प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए चाहिए 773 करोड़ रुपए

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Published : Jun 21, 2020, 3:43 AM IST

सार्वजनिक निर्माण विभाग में बीते डेढ़ साल से लॉकडाउन जैसी स्थिति चल रही है. विभाग में ज्यादा नए कामों की स्वीकृति नहीं हुई है. अधिकांश पुराने ही प्रोजेक्ट हैं, जो कि बंद पड़े हुए हैं. पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के अनुसार संभाग में कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ जिलों में करीब 773 करोड़ रुपये की आवश्यकता है. जिससे अधूरे पड़े 1462 प्रोजेक्ट्स पूरे होंगे.

PWD Unfinished Project, Kota Public Works Department
पैसों की कमी के चलते PWD में लॉकडाउन

कोटा. कोरोना वायरस से बचाव को लेकर पूरे भारत में लॉकडाउन लगाया गया. वहीं सार्वजनिक निर्माण विभाग में बीते डेढ़ साल से लॉकडाउन जैसी स्थिति ही चल रही है. विभाग में ज्यादा नए कामों की स्वीकृति नहीं हुई है. अधिकांश पुराने ही प्रोजेक्ट हैं, जो कि बंद पड़े हुए हैं. पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की बात मानी जाए तो संभाग में कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ जिलों में करीब 773 करोड़ रुपये की आवश्यकता है. इनके बूते पर ही 1462 काम पूरे होंगे. हालांकि आधे काम या तो अधूरे पड़े हुए हैं या फिर उनका एक चौथाई काम हो गया है. ऐसे में करीब इन कामों लागत करीब 1500 करोड़ रुपये है.

पैसों की कमी के चलते PWD में लॉकडाउन

समय सीमा निकलने के बाद भी अधूरा पड़ा कार्य

पिछली भाजपा सरकार ने 36 करोड़ रुपये की लागत से डिविजनल कमर्शियल टैक्स ऑफिस का निर्माण शुरू करवाया था. ये काम पीडब्ल्यूडी को सौंपा था, लेकिन सरकार बदलने के बाद काम की गति धीमी रह गई. वहीं इस निर्माण की समय सीमा डेढ़ साल थी, जो अप्रैल महीने में निकल गई है. ऐसे में अभी भी कार्य अधूरा ही है. पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का तर्क है कि बजट की कमी के चलते ही कार्य धीमी गति से चल रहा है.

पढ़ें- World Refugee Day: कदम-कदम पर खुद का वजूद पाने के लिए बरसों से तरस रहे पाक विस्थापित

नए अस्पताल में दूसरे फ्लोर का काम बंद

मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में जून 2018 में पीडब्ल्यूडी ने 29.39 करोड़ रुपये में द्वितीय तल का निर्माण करवाने का काम शुरू करवाया था. इस कार्य की समय अवधि जून 2020 थी. जिसमें कुछ ही दिन बचे हुए हैं, लेकिन बीते 6 महीने से कार्य बंद ही है. नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील का कहना है कि अस्पताल को जल्द से जल्द द्वितीय तल की आवश्यकता है. क्योंकि अभी तो कोरोना काल चल रहा है. इसके चलते अस्पताल कोविड-19 है. हालांकि जब मरीजों की भर्ती शुरू होगी, तब नए वार्डों की आवश्यकता अस्पताल को होगी.

कॉलेजों की बिल्डिंग भी अधूरी

राज्य सरकार ने कोटा के जेडीबी और गवर्नमेंट कॉलेज को विघटित कर दिया था और अलग-अलग कॉलेज बना दिए थे. ऐसे में गवर्नमेंट साइंस और आर्ट्स कॉलेज अलग बन गया था. आर्ट्स कॉलेज के लिए 8 करोड़ रुपये से बिल्डिंग का काम स्वीकृत हुआ था, जो भी 2 सालों से अधूरा ही पड़ा है. यहां भी बजट की कमी ही आड़े आ रही है. वहीं इसी तरह से जेडीबी गर्ल्स कॉलेज से साइंस आर्ट्स और कॉमर्स अलग अलग कर दिए थे, मूल बिल्डिंग साइंस को सौंप दी. वहीं आर्ट्स व कॉमर्स की बिल्डिंग के लिए 8-8 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए थे. ये कार्य भी शुरू नहीं हुए है.

पढ़ें- कोरोना से ग्रामीणों की जंग: कितने सतर्क हैं सेवाड़ा गांव के लोग, देखें ग्राउंड रिपोर्ट

पीडब्ल्यूडी की जगह यूआईटी से करवाया निर्माण

यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी पीडब्ल्यूडी से एमबीएस अस्पताल और जेकेलोन में काम करवाने की जगह नगर विकास न्यास को काम सौंपा है. ताकि वह समय से और जल्दी पूरा कर सके. एमबीएस और जेके अस्पताल में ही 67 करोड़ के कार्य करवाए जा रहे हैं. इनमें एमबीएस में ओपीडी ब्लॉक और जेके लोन अस्पताल में ओपीडी और इनडोर ब्लॉक शामिल हैं. ये कार्य जोर-शोर से संचालित है. जबकि जो पहले से स्वीकृत कार्य हैं, वो बंद पड़े हैं.

कोटा. कोरोना वायरस से बचाव को लेकर पूरे भारत में लॉकडाउन लगाया गया. वहीं सार्वजनिक निर्माण विभाग में बीते डेढ़ साल से लॉकडाउन जैसी स्थिति ही चल रही है. विभाग में ज्यादा नए कामों की स्वीकृति नहीं हुई है. अधिकांश पुराने ही प्रोजेक्ट हैं, जो कि बंद पड़े हुए हैं. पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की बात मानी जाए तो संभाग में कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ जिलों में करीब 773 करोड़ रुपये की आवश्यकता है. इनके बूते पर ही 1462 काम पूरे होंगे. हालांकि आधे काम या तो अधूरे पड़े हुए हैं या फिर उनका एक चौथाई काम हो गया है. ऐसे में करीब इन कामों लागत करीब 1500 करोड़ रुपये है.

पैसों की कमी के चलते PWD में लॉकडाउन

समय सीमा निकलने के बाद भी अधूरा पड़ा कार्य

पिछली भाजपा सरकार ने 36 करोड़ रुपये की लागत से डिविजनल कमर्शियल टैक्स ऑफिस का निर्माण शुरू करवाया था. ये काम पीडब्ल्यूडी को सौंपा था, लेकिन सरकार बदलने के बाद काम की गति धीमी रह गई. वहीं इस निर्माण की समय सीमा डेढ़ साल थी, जो अप्रैल महीने में निकल गई है. ऐसे में अभी भी कार्य अधूरा ही है. पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों का तर्क है कि बजट की कमी के चलते ही कार्य धीमी गति से चल रहा है.

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नए अस्पताल में दूसरे फ्लोर का काम बंद

मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में जून 2018 में पीडब्ल्यूडी ने 29.39 करोड़ रुपये में द्वितीय तल का निर्माण करवाने का काम शुरू करवाया था. इस कार्य की समय अवधि जून 2020 थी. जिसमें कुछ ही दिन बचे हुए हैं, लेकिन बीते 6 महीने से कार्य बंद ही है. नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील का कहना है कि अस्पताल को जल्द से जल्द द्वितीय तल की आवश्यकता है. क्योंकि अभी तो कोरोना काल चल रहा है. इसके चलते अस्पताल कोविड-19 है. हालांकि जब मरीजों की भर्ती शुरू होगी, तब नए वार्डों की आवश्यकता अस्पताल को होगी.

कॉलेजों की बिल्डिंग भी अधूरी

राज्य सरकार ने कोटा के जेडीबी और गवर्नमेंट कॉलेज को विघटित कर दिया था और अलग-अलग कॉलेज बना दिए थे. ऐसे में गवर्नमेंट साइंस और आर्ट्स कॉलेज अलग बन गया था. आर्ट्स कॉलेज के लिए 8 करोड़ रुपये से बिल्डिंग का काम स्वीकृत हुआ था, जो भी 2 सालों से अधूरा ही पड़ा है. यहां भी बजट की कमी ही आड़े आ रही है. वहीं इसी तरह से जेडीबी गर्ल्स कॉलेज से साइंस आर्ट्स और कॉमर्स अलग अलग कर दिए थे, मूल बिल्डिंग साइंस को सौंप दी. वहीं आर्ट्स व कॉमर्स की बिल्डिंग के लिए 8-8 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए थे. ये कार्य भी शुरू नहीं हुए है.

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पीडब्ल्यूडी की जगह यूआईटी से करवाया निर्माण

यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी पीडब्ल्यूडी से एमबीएस अस्पताल और जेकेलोन में काम करवाने की जगह नगर विकास न्यास को काम सौंपा है. ताकि वह समय से और जल्दी पूरा कर सके. एमबीएस और जेके अस्पताल में ही 67 करोड़ के कार्य करवाए जा रहे हैं. इनमें एमबीएस में ओपीडी ब्लॉक और जेके लोन अस्पताल में ओपीडी और इनडोर ब्लॉक शामिल हैं. ये कार्य जोर-शोर से संचालित है. जबकि जो पहले से स्वीकृत कार्य हैं, वो बंद पड़े हैं.

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