कोटा. जिला प्रशासन ने बड़े स्तर पर कोविड-19 के नमूने लेने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया था. जिसके बाद से ही सरकारी स्कूलों को चिन्हित कर वहां पर नमूने लिए जाने थे. इसके लिए जिला प्रशासन ने वृहद स्तर पर जागरूकता भी फैलाई थी, लेकिन बोरखेड़ा स्कूल में अलग ही हालात नजर आए. वहां पर सुबह 8:00 बजे से ही कोविड-19 के लिए नमूने देने के लिए लोग पहुंच गए, लेकिन स्टॉफ के पास संसाधन ही मौजूद नहीं थे.
जो लोग अपने पहुंचे थे, उन्होंने केवल मोबाइल पर रजिस्ट्रेशन करने का काम ही शुरू किया, लोग इंतजार करते रहे, लेकिन उनके नमूने नहीं लिए गए हैं. नमूना देने के लिए पहुंचे लोग पूरे स्कूल परिसर में अलग-अलग जगह खड़े हैं. कुछ बुजुर्ग तो खड़े-खड़े थक गए, इसके बाद बैठ गए हैं और इंतजार कर रहे हैं कि जब भी नमूने लिए जाएं, तब अपना नमूना देकर घर जाएं. लोगों का कहना है कि जिस तरह से व्यक्ति आ रहा है. उसका नमूना लेकर उसे तुरंत घर भेज दिया जाएगा, तो संक्रमण भी उन्हें एक दूसरे से नहीं फैलेगा.
खड़े-खड़े लोग होने लगे बेहोश
एक तरफ जहां कोरोना मरीज ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इस तरह की लापरवाही भी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की तरफ से हो रही है. कुछ मरीज वहां पर खड़े खड़े बेहोश भी हो गए, जिनमें एक युवती भी शामिल है, जो कि बोरखेड़ा से ही नमूना देने के लिए पहुंची थी. चित्रेश नगर निवासी विकास अग्रवाल का कहना है कि वह सुबह 8:00 बजे ही बोरखेड़ा स्कूल में नमूना देने के लिए पहुंच गए थे. उनके बाद लगातार बड़ी संख्या में लोग भी यहां पर आ गए, लेकिन स्टॉफ नमूने नहीं ले रहा है, जब भी उनसे जाकर नमूने लेने की बात कही जाती है, वह कहते हैं कि अभी हमारे पास ग्लब्स और किट नहीं है, इनके आने के बाद ही हम नमूना ले लेंगे.
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विकास अग्रवाल का कहना है कि उनकी तबीयत पहले ही खराब है और 2 घंटे तक खड़े रहने के बावजूद काफी थकान हो गई है. इसी तरह से बोरखेड़ा निवासी ममता का कहना है कि वह 7:00 बजे की सैंपल देने के लिए पहुंच गई थी, लेकिन केवल रजिस्ट्रेशन कर उन्हें खड़े होने के लिए कह दिया गया है.