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स्पेशल: देशभर का एकमात्र मंदिर, जहां एक साथ स्थापित हैं 525 शिवलिंग - Rajasthan News

महाशिवरात्रि के मौके पर शुक्रवार को शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी. कोटा शहर के थेगड़ा में शिवपुरी धाम देश का एकमात्र मंदिर है, जहां पर 525 शिवलिंग एक साथ स्थापित हैं. 525 शिवलिंग के दर्शन से 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन का लाभ मिलता है. इसके अलावा 14 टन वजनी और 11 फीट ऊंचा एक सहस्त्र शिवलिंग भी मंदिर में स्थापित है.

Shivling are together, महाशिवरात्रि पर पूजा
कोटा का 525 शिवलिंगों वाला मंदिर
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Published : Feb 21, 2020, 10:37 PM IST

कोटा. शहर के थेगड़ा में स्थित शिवपुरी धाम देश का एकमात्र मंदिर है, यहां 525 शिवलिंग एक साथ स्थापित हैं. ये सभी एक शिवलिंग में समाए हुए हैं. इसके अलावा 14 टन वजनी और 11 फीट ऊंचा एक सहस्त्र शिवलिंग भी मंदिर में स्थापित है. यहां के संत बताते हैं कि मान्यता के मुताबिक मंदिर में स्थापित 525 शिवलिंग के दर्शन से 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन का लाभ मिलता है.

कोटा का 525 शिवलिंगों वाला मंदिर

525 शिवलिंग मंदिरों की स्थापना के बारे में बताते हुए सनातन पुरी महाराज कहते हैं कि उनके गुरु राणा राम पुरी महाराज के वक्त12 शिवलिंग मंदिर में स्थापित थे. इनकी नींव साल 1985 में रखी गई थी. राणाराम पुरी महाराज ने नेपाल पशुपति नाथ धाम पर कोटा में 525 शिवलिंग स्थापित करने का संकल्प लिया, लेकिन उनका 1987 में देहांत हो गया. इसके बाद उनके शिष्य सनातन पुरी महाराज ने इस कार्य को अपने हाथ में लिया और साल 2007 में 525 शिवलिंग स्थापित करने का संकल्प पूरा हुआ.

पढे़ं: स्पेशल स्टोरी: भक्तों के लिए 24 घंटे खुले रहते हैं भगवान शिव के इस मंदिर के दरवाजे

मंदिर परिसर में ही भगवान भोलेनाथ के दर्शन के अलावा कल्पवृक्ष के भी दर्शन होते हैं. धर्म ग्रंथों और महापुराण के आधार पर माना जाता है कि कल्पवृक्ष के दर्शन मात्र और उसके नीचे बैठ जाने से मनोकामना पूरी हो जाती है. मंदिर के मुख्य महाराज सनातन पुरी का भी कहना है कि जब 525 शिवलिंगों को स्थापित करने का संकल्प पूरा नहीं हो पा रहा था, तब साल 2006 में इस कल्पवृक्ष पर एक फल आया, जिसे उन्होंने अपने पास रख लिया. उसके एक साल के भीतर ही मंदिर में 525 शिवलिंग स्थापित हो गए. उस कल्पवृक्ष का फल आज भी वैसा ही है, जैसा वो पेड़ पर आया था. वो ना तो सूखा है और ना ही खराब हुआ है.

वहीं, शुक्रवार को महाशिवरात्रि के मौके पर शिवपुरी धाम में तड़के 4 बजे से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग गई थी. उद्योग नगर थाना पुलिस के सैकड़ों जवानों के अलावा मंदिर प्रबंधन ने भी अपने गार्ड सुरक्षा में तैनात किए. इसके अलावा मंदिर के वालेंटियर्स भी लगाए हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो. लंबी लाइन मंदिर परिसर ही नहीं, थेगड़ा की पुलिया तक लग गई है. इनमें खड़े हुए श्रद्धालुओं को कई घंटे इंतजार करना पड़ा. लेकिन, सभी श्रद्धालु खुश थे कि उन्हें भगवान के दर्शन करने को मिलेंगे और कितना भी देर हो जाए वो दर्शन करके ही जाएंगे.

पढे़ं: जयपुर में साल में सिर्फ एक बार खुलता है ये शिव मंदिर, उमड़ता है आस्था का सैलाब

मंदिर प्रबंधन के लोगों का कहना है कि त्योहारों के अवसर पर भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं, लेकिन एक ही शिवलिंग होने से ना तो वे जल चढ़ा पाते हैं, ना हीं ठीक से दर्शन कर पाते हैं. इसीलिए इतने सारे शिवलिंग एक साथ स्थापित किए गए हैं. महाशिवारात्री के मौके पर मंदिर में सभी शिवलिंग का रुद्राभिषेक करके श्रद्धालुओं ने नव वस्त्र और माला पहनाया. लगातार पहुंचे श्रद्धालुओं ने मंदिर में बेलपत्र, आंक-धतूरा, रोली और चावल से भोलेनाथ की पूजा की और मंत्रोच्चार करते हुए भगवान महादेव के जयकारे लगाए.

कोटा. शहर के थेगड़ा में स्थित शिवपुरी धाम देश का एकमात्र मंदिर है, यहां 525 शिवलिंग एक साथ स्थापित हैं. ये सभी एक शिवलिंग में समाए हुए हैं. इसके अलावा 14 टन वजनी और 11 फीट ऊंचा एक सहस्त्र शिवलिंग भी मंदिर में स्थापित है. यहां के संत बताते हैं कि मान्यता के मुताबिक मंदिर में स्थापित 525 शिवलिंग के दर्शन से 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन का लाभ मिलता है.

कोटा का 525 शिवलिंगों वाला मंदिर

525 शिवलिंग मंदिरों की स्थापना के बारे में बताते हुए सनातन पुरी महाराज कहते हैं कि उनके गुरु राणा राम पुरी महाराज के वक्त12 शिवलिंग मंदिर में स्थापित थे. इनकी नींव साल 1985 में रखी गई थी. राणाराम पुरी महाराज ने नेपाल पशुपति नाथ धाम पर कोटा में 525 शिवलिंग स्थापित करने का संकल्प लिया, लेकिन उनका 1987 में देहांत हो गया. इसके बाद उनके शिष्य सनातन पुरी महाराज ने इस कार्य को अपने हाथ में लिया और साल 2007 में 525 शिवलिंग स्थापित करने का संकल्प पूरा हुआ.

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मंदिर परिसर में ही भगवान भोलेनाथ के दर्शन के अलावा कल्पवृक्ष के भी दर्शन होते हैं. धर्म ग्रंथों और महापुराण के आधार पर माना जाता है कि कल्पवृक्ष के दर्शन मात्र और उसके नीचे बैठ जाने से मनोकामना पूरी हो जाती है. मंदिर के मुख्य महाराज सनातन पुरी का भी कहना है कि जब 525 शिवलिंगों को स्थापित करने का संकल्प पूरा नहीं हो पा रहा था, तब साल 2006 में इस कल्पवृक्ष पर एक फल आया, जिसे उन्होंने अपने पास रख लिया. उसके एक साल के भीतर ही मंदिर में 525 शिवलिंग स्थापित हो गए. उस कल्पवृक्ष का फल आज भी वैसा ही है, जैसा वो पेड़ पर आया था. वो ना तो सूखा है और ना ही खराब हुआ है.

वहीं, शुक्रवार को महाशिवरात्रि के मौके पर शिवपुरी धाम में तड़के 4 बजे से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतार लग गई थी. उद्योग नगर थाना पुलिस के सैकड़ों जवानों के अलावा मंदिर प्रबंधन ने भी अपने गार्ड सुरक्षा में तैनात किए. इसके अलावा मंदिर के वालेंटियर्स भी लगाए हैं, जिससे श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी ना हो. लंबी लाइन मंदिर परिसर ही नहीं, थेगड़ा की पुलिया तक लग गई है. इनमें खड़े हुए श्रद्धालुओं को कई घंटे इंतजार करना पड़ा. लेकिन, सभी श्रद्धालु खुश थे कि उन्हें भगवान के दर्शन करने को मिलेंगे और कितना भी देर हो जाए वो दर्शन करके ही जाएंगे.

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मंदिर प्रबंधन के लोगों का कहना है कि त्योहारों के अवसर पर भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं, लेकिन एक ही शिवलिंग होने से ना तो वे जल चढ़ा पाते हैं, ना हीं ठीक से दर्शन कर पाते हैं. इसीलिए इतने सारे शिवलिंग एक साथ स्थापित किए गए हैं. महाशिवारात्री के मौके पर मंदिर में सभी शिवलिंग का रुद्राभिषेक करके श्रद्धालुओं ने नव वस्त्र और माला पहनाया. लगातार पहुंचे श्रद्धालुओं ने मंदिर में बेलपत्र, आंक-धतूरा, रोली और चावल से भोलेनाथ की पूजा की और मंत्रोच्चार करते हुए भगवान महादेव के जयकारे लगाए.

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