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कोटा : गोवर्धन पूजा कर की सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामनाएं

दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजन किया जाता है. इस पर्व पर महिलाएं पीली मिट्टी और गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाती है. महिलाएं घर में निर्मित मिठाइयां व अन्नकूट का भोग लगाकर पूजा करती है.

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Published : Oct 28, 2019, 2:53 PM IST

कोटा. देशभर में रविवार के दिन दीपावली का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया गया. वहीं अब दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजन किए जाने की परंपरा है. इस पर्व पर महिलाओं ने पीली मिट्टी और गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया. महिलाओं ने घर में बनी मिठाई और अन्नकूट का भोग लगाकर पूजा की और परिक्रमा की. इसके बाद एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी.

दीपावली के दूसरे दिन किया गया गोवर्धन पूजन

बता दें कि शहर में दीपावाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसको दीपावाली के बाद पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा जाता है. महिलाओं का कहना है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देव का घमंड चूर-चूर करने के लिए अपनी छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत उठा लिया था. तब से यह परंपरा सदियों से चलती आ रही है. इसमें दूध, दही और अन्नकूट का भोग लगाया जाता है.

पढ़ेंः राजभवन में रामा-श्यामा : राज्यपाल कलराज मिश्र से मिले कई वरिष्ठ अधिकारी, दी दीपावली की शुभकामनाएं

पूजा के पश्चात परिक्रमा की गई. सोमवार को सभी सुहागिन महिलाओं ने गोवर्धनजी की पूजा की और अन्नकूट का भोग लगाया.

कोटा. देशभर में रविवार के दिन दीपावली का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया गया. वहीं अब दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजन किए जाने की परंपरा है. इस पर्व पर महिलाओं ने पीली मिट्टी और गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया. महिलाओं ने घर में बनी मिठाई और अन्नकूट का भोग लगाकर पूजा की और परिक्रमा की. इसके बाद एक-दूसरे को शुभकामनाएं दी.

दीपावली के दूसरे दिन किया गया गोवर्धन पूजन

बता दें कि शहर में दीपावाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजन की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इसको दीपावाली के बाद पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा जाता है. महिलाओं का कहना है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देव का घमंड चूर-चूर करने के लिए अपनी छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत उठा लिया था. तब से यह परंपरा सदियों से चलती आ रही है. इसमें दूध, दही और अन्नकूट का भोग लगाया जाता है.

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पूजा के पश्चात परिक्रमा की गई. सोमवार को सभी सुहागिन महिलाओं ने गोवर्धनजी की पूजा की और अन्नकूट का भोग लगाया.

Intro:कोटा में दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर गोवर्धन पूजन किया जाता है इस पर्व में महिलाएं पीली मिट्टी से लीपकर गाये के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है।महिलाये घर मे निर्मित मिठाईया व अन्न कूट का भोग लगाकर गीत गाती हुई परिक्रमा करती है और आरती कर एक दूसरे को बधाईया देती है।
Body:कोटा शहर में दीवाली के दूसरे दिन पड़वा पर गोवर्धन पूजन की परंपरा सदियो से चली आ रही है।इसको दिवाली के बाद पीढ़ी दर पीढ़ी पूजती आ रही है।महिलाओं का कहना है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देव का घमंड चूर करने के लिए छोटी उंगली से गोवर्धन पर्वत उठाया था जब से इस परंपरा को सदियो से पूजते आ रहे है।इसमें दूध, दही और अन्नकूट का भोग लगाया जाता है।पूजा के पश्चात परिक्रमा की जाती है आज पड़वा पर सभी सुहागिने गोवर्धन जी की पूजा करती हैओर अन्नकूट का भोग लगाते है उन्होंने बताया कि जिस प्रकार पुराणों में बताया गया है कि इन्द्र देव का क्रोध को खत्म करने के लिए भगवान श्रीक्रष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठा कर ग्वाल बालो ओर पशुधन को बचाया था तब से यह प्रथा चली आ रही है।
Conclusion:गोवर्धन पर्वत को पूजन की परमपरा सदियो से चली आ रही है और यह लक्ष्मी पूजन के दूसरे दिन पड़वा पर इसका पूजन कर सुहागिने भगवान से सुख सम्रद्धि की कामना करती है।
बाईट-शिवानी कंवर, स्थानीय महिला
बाईट-स्नेहलता, स्थानीय महिला
बाईट-प्रेमलता गोस्वामी, स्थानीय गृहणी महिला
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