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स्पेशल: जुड़वा बच्चों के पैदा होने की खुशी, जेकेलोन अस्पताल ने कर दी काफूर

कोटा शहर के संजय नगर उड़िया बस्ती निवासी एक परिवार ने दो जुड़वां नवजात बच्चों को डेढ़ महीने के अंतराल में ही खो दिया. दोनों की मौत जेकेलोन अस्पताल में ही हुई है. यह परिवार गम में डूबा हुआ है, क्योंकि परिवार में दो नवजात की मौत हुई है. घर में बीते 15 दिनों से रोना धोना लगा हुआ है. वहीं परिवार के लोग अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं.

जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत, Rajasthan infant deaths, Kota Infant Deaths
जेके लोन अस्पताल में जुड़वा बच्चों की मौत
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Published : Jan 5, 2020, 2:54 PM IST

Updated : Jan 5, 2020, 4:27 PM IST

कोटा. कोटा के जेके लोन अस्पताल में बीते 35 दिनों में 110 बच्चों की मौत हुई है. हम एक ऐसे परिवार की कहानी आपको बताने जा रहे हैं. जिसने अपने दो जुड़वा नवजात बच्चों को डेढ़ महीने के अंतराल में ही खो दिया. दोनों की मौत जेकेलोन अस्पताल में ही हुई है. यह परिवार गम में डूबा हुआ है, क्योंकि परिवार में दो नवजात की मौत हुई है. परिवार में खुशी थी, जब इनका जन्म हुआ था. इनके नाम भी परिजनों ने रख दिए थे, लेकिन अब स्थिति ऐसी है, कि घर में बीते 15 दिनों से केवल रोना धोना ही लगा हुआ है.

जेके लोन अस्पताल में जुड़वा बच्चों की मौत

यह परिवार कोटा के संजय नगर स्थित उड़िया बस्ती में रहता है. जिन बच्चों की मौत हुई है. उनका पिता आदिल मजदूरी व हम्माली करता है. हाथ ठेला चलाकर घर चलाता है. उसकी पत्नी शानू ने 13 नवंबर को दो जुड़वा बच्चों को जेके लोन अस्पताल में जन्म दिया था. परिजनों ने बच्चों का नामकरण भी कर दिया था. एक बच्चे का नाम राहिल और दूसरे का नाम आहिल रख दिया था.

लेकिन जन्म के 2 दिन बाद 15 नवंबर को एक बच्चे ने जेके लोन अस्पताल के एनआईसीयू में दम तोड़ दिया. तो वहीं दूसरा बच्चा कुछ दिन भर्ती रहा और उसकी अस्पताल से छुट्टी कर दी गई. परिजनों का कहना है, कि 20 दिसंबर को चिकित्सकों ने ही फोन करके बच्चे को दोबारा अस्पताल में बुलाया और एनआईसीयू में भर्ती कर दिया. इसके बाद 22 दिसंबर को उसकी मौत हो गई.

एनआईसीयू में मशीन पर टपक रहा था गंदा पानी

परिजनों ने आरोप लगाया, कि अस्पताल की चौपट व्यवस्था के चलते ही उनके बच्चों की मौत जेकेलोन अस्पताल में हुई है. मृतक बच्चे की ताई का कहना है, कि वह अस्पताल में मौजूद थी. उनकी मशीन के ऊपर लगातार रिसाव होकर गंदा पानी आ रहा था. उन्होंने कई बार इसके बारे में कहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने किसी तरह का कोई सुधार नहीं किया. स्टाफ ने यह कह दिया, कि समस्या है तो निजी अस्पताल में ले जाओ.

ये पढ़ेंः बीकानेर में अकेले दिसंबर महीने में 162 नवजातों की मौत! 1 साल में 658 बच्चों ने तोड़ा दम, अस्पताल प्रशासन खामोश

टालमटोल करता है स्टाफ

बच्चों के दादा अमानत और पिता आदिल का कहना है, कि स्टाफ काफी देरी से आता है. बुलाने के लिए तीन से चार बार जाना पड़ता है. वे कभी कहते हैं, कि चाय पी रहे हैं. कभी खाना खा रहे हैं. हमारा लंच हो रहा है. हमेशा टालमटोल रहती है. बुलाने जाने पर स्टाफ चिल्लाकर हमारे ऊपर बिगड़ता था. हमारी बात वहां पर कोई नहीं सुनता था.

ये पढ़ेंः स्पेशल रिपोर्टः राजस्थान में हर 1000 में से 38 नवजात शिशुओं की हो जाती है मौत

घर की खुशी काफूर हुई, दूसरे परिवारों के साथ नहीं हो ऐसा

बच्चों की दादी खैरुन का कहना है, कि उन्होंने बच्चों के नाम भी रख दिए थे. फिर जब एक बच्चे की मौत हो गई तो दूसरे का नाम अजहर रख दिया. घर में खुशी थी लेकिन अब सारी खुशी काफूर हो गई है. दोनों बच्चे अब इस दुनिया में नहीं हैं, तो परिवार में मायूसी छाई हुई है. उन्होंने कहा, कि हमारी बहू की जिस तरह से दोनों बच्चों की मौत के बाद गोद उजड़ गई है. ऐसा किसी के साथ भी नहीं हो. अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधारी जाएं, नई मशीन खरीदा जाए. जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत आगे नहीं हो.

बता दें, कि जेकेलोन में बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. लेकिन इसको लेकर प्रशासन और सरकार की ओर से कोई बड़ा कदम नहीं उठाया जा रहा है. वहीं मौतों के पीछे लगातार अस्पताल प्रशासन की बदहाल व्यवस्था, कर्मचारियों- अधिकारियों की बेरुखी सामने आ रही है.

कोटा. कोटा के जेके लोन अस्पताल में बीते 35 दिनों में 110 बच्चों की मौत हुई है. हम एक ऐसे परिवार की कहानी आपको बताने जा रहे हैं. जिसने अपने दो जुड़वा नवजात बच्चों को डेढ़ महीने के अंतराल में ही खो दिया. दोनों की मौत जेकेलोन अस्पताल में ही हुई है. यह परिवार गम में डूबा हुआ है, क्योंकि परिवार में दो नवजात की मौत हुई है. परिवार में खुशी थी, जब इनका जन्म हुआ था. इनके नाम भी परिजनों ने रख दिए थे, लेकिन अब स्थिति ऐसी है, कि घर में बीते 15 दिनों से केवल रोना धोना ही लगा हुआ है.

जेके लोन अस्पताल में जुड़वा बच्चों की मौत

यह परिवार कोटा के संजय नगर स्थित उड़िया बस्ती में रहता है. जिन बच्चों की मौत हुई है. उनका पिता आदिल मजदूरी व हम्माली करता है. हाथ ठेला चलाकर घर चलाता है. उसकी पत्नी शानू ने 13 नवंबर को दो जुड़वा बच्चों को जेके लोन अस्पताल में जन्म दिया था. परिजनों ने बच्चों का नामकरण भी कर दिया था. एक बच्चे का नाम राहिल और दूसरे का नाम आहिल रख दिया था.

लेकिन जन्म के 2 दिन बाद 15 नवंबर को एक बच्चे ने जेके लोन अस्पताल के एनआईसीयू में दम तोड़ दिया. तो वहीं दूसरा बच्चा कुछ दिन भर्ती रहा और उसकी अस्पताल से छुट्टी कर दी गई. परिजनों का कहना है, कि 20 दिसंबर को चिकित्सकों ने ही फोन करके बच्चे को दोबारा अस्पताल में बुलाया और एनआईसीयू में भर्ती कर दिया. इसके बाद 22 दिसंबर को उसकी मौत हो गई.

एनआईसीयू में मशीन पर टपक रहा था गंदा पानी

परिजनों ने आरोप लगाया, कि अस्पताल की चौपट व्यवस्था के चलते ही उनके बच्चों की मौत जेकेलोन अस्पताल में हुई है. मृतक बच्चे की ताई का कहना है, कि वह अस्पताल में मौजूद थी. उनकी मशीन के ऊपर लगातार रिसाव होकर गंदा पानी आ रहा था. उन्होंने कई बार इसके बारे में कहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने किसी तरह का कोई सुधार नहीं किया. स्टाफ ने यह कह दिया, कि समस्या है तो निजी अस्पताल में ले जाओ.

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टालमटोल करता है स्टाफ

बच्चों के दादा अमानत और पिता आदिल का कहना है, कि स्टाफ काफी देरी से आता है. बुलाने के लिए तीन से चार बार जाना पड़ता है. वे कभी कहते हैं, कि चाय पी रहे हैं. कभी खाना खा रहे हैं. हमारा लंच हो रहा है. हमेशा टालमटोल रहती है. बुलाने जाने पर स्टाफ चिल्लाकर हमारे ऊपर बिगड़ता था. हमारी बात वहां पर कोई नहीं सुनता था.

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घर की खुशी काफूर हुई, दूसरे परिवारों के साथ नहीं हो ऐसा

बच्चों की दादी खैरुन का कहना है, कि उन्होंने बच्चों के नाम भी रख दिए थे. फिर जब एक बच्चे की मौत हो गई तो दूसरे का नाम अजहर रख दिया. घर में खुशी थी लेकिन अब सारी खुशी काफूर हो गई है. दोनों बच्चे अब इस दुनिया में नहीं हैं, तो परिवार में मायूसी छाई हुई है. उन्होंने कहा, कि हमारी बहू की जिस तरह से दोनों बच्चों की मौत के बाद गोद उजड़ गई है. ऐसा किसी के साथ भी नहीं हो. अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधारी जाएं, नई मशीन खरीदा जाए. जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत आगे नहीं हो.

बता दें, कि जेकेलोन में बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. लेकिन इसको लेकर प्रशासन और सरकार की ओर से कोई बड़ा कदम नहीं उठाया जा रहा है. वहीं मौतों के पीछे लगातार अस्पताल प्रशासन की बदहाल व्यवस्था, कर्मचारियों- अधिकारियों की बेरुखी सामने आ रही है.

Intro:कोटा शहर के संजय नगर उड़िया बस्ती निवासी एक परिवार ने दो जुड़वा नवजात बच्चों को डेढ़ महीने के अंतराल में ही खो दिया. दोनों की मौत जेकेलोन अस्पताल में ही हुई है. यह परिवार गमी में डूबा हुआ है, क्योंकि परिवार में दो नवजात की मौत हुई है. परिवार में खुशी थी, जब इनका जन्म हुआ था. इनके नाम भी परिजनों ने रख दिए थे, लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि घर में केवल रोना धोना ही बीते 15 दिनों से लगा हुआ है.Body:कोटा.
कोटा के जेके लोन अस्पताल में बीते 35 दिनों में 110 बच्चों की मौत हुई है. हम एक ऐसे परिवार की कहानी आपको बताने जा रहे हैं. जिसने अपने दो जुड़वा नवजात बच्चों को डेढ़ महीने के अंतराल में ही खो दिया. दोनों की मौत जेकेलोन अस्पताल में ही हुई है. यह परिवार गमी में डूबा हुआ है, क्योंकि परिवार में दो नवजात की मौत हुई है. परिवार में खुशी थी, जब इनका जन्म हुआ था. इनके नाम भी परिजनों ने रख दिए थे, लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि घर में केवल रोना धोना ही बीते 15 दिनों से लगा हुआ है.

यह परिवार कोटा के संजय नगर स्थित उड़िया बस्ती में रहता है. जिन बच्चों की मौत हुई है. उनका पिता आदिल मजदूरी व हम्माली करता है. हाथ ठेला चला घर चलाता है है. उसकी पत्नी शानू में 13 नवंबर को दो जुड़वा बच्चों को जन्म जेके लोन अस्पताल में दिया था. उन दोनों बच्चों को जन्म के बाद राहिल और आहिल परिजनों ने रख दिया था, लेकिन जन्म के 2 दिन बाद ही एक बच्चे ने जेके लोन अस्पताल के एनआईसीयू में 15 नवंबर को ही दम तोड़ दिया. दूसरा बच्चा कुछ दिन भर्ती रहा और उसकी अस्पताल से छुट्टी कर दी गई. परिजनों का कहना है कि 20 दिसंबर को चिकित्सकों ने ही फोन करके बच्चे को दोबारा अस्पताल में बुलाया और एनआईसीयू में भर्ती कर दिया. इसके बाद 22 दिसंबर को उसकी मौत हो गई.

एनआईसीयू में मशीन पर टपक रहा था गंदा पानी
परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल की चौपट व्यवस्था के चलते ही उनके बच्चों की मौत जेकेलोन अस्पताल में हुई है. मृतक बच्चे की ताई का कहना है कि वह अस्पताल में मौजूद थी उनकी मशीन के ऊपर लगातार रिसाव होकर गंदा पानी आ रहा था उन्होंने कई बार इसके बारे में कहा लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने किसी तरह का कोई सुधार नहीं किया साथ ही स्टाफ ने यह कह दिया समस्या है तो निजी अस्पताल में ले जाओ.

टालमटोल करता है स्टाफ
बच्चों के दादा अमानत और पिता आदिल का कहना है कि स्टाफ काफी देरी से आता है. बुलाने के लिए तीन से चार बार जाना पड़ता है. वे कहते हैं कभी चाय पी रहे हैं. कभी खाना खा रहे हैं. हमारा लंच हो रहा है. हमेशा टालमटोल रहती है. बुलाने जाने पर स्टाफ चिल्लाकर हमारे ऊपर पड़ता था. हमारी बात वहां पर कोई नहीं सुनता था.Conclusion:घर की खुशी काफूर हुई, दूसरे परिवारों के साथ नहीं हो ऐसा
बच्चों की दादी खैरुन का कहना है कि उन्होंने बच्चों के नाम भी रख दिए थे फिर जब एक बच्चे की मौत हो गई तो दूसरे का नाम अजहर रख दिया. घर में खुशी थी अब सारी खुशी काफूर हो गई है. दोनों बच्चे अब इस दुनिया में नहीं है, तो परिवार में मायूसी छाई हुई है. उन्होंने कहा कि हमारी बहू की जिस तरह से दोनों बच्चों की मौत के बाद गोद उजड़ गई है. ऐसा किसी के साथ भी नहीं हो, अस्पताल में व्यवस्थाएं सुधारी जाए नई मशीन खरीदा जाए. जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत आगे नहीं हो.




बाइट का क्रम

बाइट-- हीना, मृतक बच्चों की ताई
बाइट-- आदिल, मृतक बच्चों के पिता
बाइट-- अमानत, मृतक बच्चों के दादा
बाइट-- खैरुन, मृतक बच्चों की दादी
Last Updated : Jan 5, 2020, 4:27 PM IST
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