रामगंजमंडी (कोटा). मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व में वन्यजीव प्रेमियों और पर्यटकों में टूरिज्म की आशा टूटती नजर आ रही है. यहां एक के बाद एक बाघों की मौत के सिलसिले ने मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व के फिर से गुलजार होने पर सवालिया निशान लगा दिया है. सभी को अब यह चिंता सताने लगी है कि क्या यहां बाघों के दहाड़ने की आवाज सुनाई देगी. मुकुन्दरा टाइगर रिजर्व फिर से शुरू हो पाएगा या सूना जंगल बन कर रह जाएगा.
प्रदेश के नए टाइगर रिजर्व 'मुकुन्दरा' में बाघों के कुनबे को आबाद करने की कोशिश चल ही रही थी कि 27 दिनों में अधिकारियों की लापरवाही से 3 बाघों ने दम तोड़ दिया है. इनमें एक शावक भी शामिल है. ऐसे में प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ाने के प्रोजेक्ट को बड़ा झटका लगा है. वहीं वन्यजीव प्रेमी भी इसे लेकर परेशान हैं.
यूं बसा मुकुन्दरा में बाघों का परिवार
मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व 9 अप्रैल 2013 को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था. यह प्रदेश में रणथंभौर ओर सरिस्का के बाद तीसरा टाइगर रिजर्व है. राज्य सरकार ने इसमें कोटा, बूंदी, झालावाड़ सहित चितौड़गढ़ का क्षेत्र शामिल किया था. इसे 759.99 वर्ग किमी एरिया में शामिल किया गया था. इस टाइगर रिजर्व में MT2 बाघिन को 18 दिसम्बर 2018 को रणथंभौर से मुकुन्दरा शिफ्ट किया गया था. वहीं जोड़ा बनाने के लिए 3 अप्रैल 2018 को रामगढ़ विषधारी सेंचुरी से बाघ MT1 को यहां शिफ्ट किया गया था.
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12 अप्रैल 2019 को MT4 बाघिन रणथंभौर से मुकुन्दरा शिफ्ट की गई थी. वहीं MT2 का प्रेमी बाघ MT3 भी 9 फरवरी 2018 को रणथंभौर से खुद ही मुकुन्दरा आ गया था. इस प्रकार मुकुन्दरा में 2 बाघिन और 2 बाघ हो गए थे. इसी दौरान बाघिन MT 2 ने 2 शावकों को जन्म दिया था. इन सभी को लेकर मुकुन्दरा में टोटल 6 बाघ हो गए थे. बाघों की संख्या बढ़ाने को लेकर योजना जल्द ही शुरू होने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन बीते 27 दिनों में 3 बाघों की मौत औक एक शावक के लापता होने से सभी को गहरा झटका लगा है.
एक के बाद एक बाघों ने तोड़ा दम
मुकुन्दरा में 23 जुलाई 2020 को बाघ MT 3 की आकस्मिक मोत हो गई. वहीं MT 2 बाघिन ने संघर्ष करते हुए 3 अगस्त को अपनी आखरी सांस ली. MT 2 बाघिन के दो शावकों में से एक घायल था जिसने इलाज के दौरान 18 अगस्त को दम तोड़ दिया. इसके अलावी एक शावक अभी भी लापता है और विभाग के अफसर उसे ढूंढ़ नहीं पाए हैं.
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सूत्रों की मानें तो उसका भी मां से इतने दिन दूर रहकर जीवित रह पाना मुश्किल होगा. इससे पहले साल 2003 में भी एक टाइगर ब्रोकन टेल रणथंभौर से निकल कर इसी जंगल में आ गया था. लेकिन यहां ट्रेन की चपेट में आने से उसकी मौत हो गई थी. करीब 19 साल बाद एमटी-3 ऐसा दूसरा टाइगर था जो रणथंभौर से मुकन्दरा पहु़ंचा था.
वन विभाग के अधिकारियों का दावा- रखा जाता है खास ख्याल
विभाग की ओर से दावा किया जा रहा था कि अलग-अलग एरिया में रिजर्व के कर्मचारी लगे हुए हैं. साथ ही पेयजल से लेकर अन्य बंदोबस्त पर भी ध्यान दिया जा रहा है. बाघ-बाघिन वाले एरिया में निगरानी के लिए 25 कैमरा ट्रैप लगाए हैं. रिजर्व के किसी भी एरिया में एंट्री होने एंटी पोचिंग सर्विलांस सिस्टम के कंट्रोल रूम और कैमरा ट्रैप से जांच की जा रही है. हांलाकि विभाग के कर्मचारियों को बाघों के शव मरने के 48 घंटों तक नजर नहीं आए थे. अगर सुरक्षा व्यवस्था ठीक होती तो ऐसे उनकी मौत न होती.
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मुकुन्दरा हिल्स जल्द शुरू करने को उठाई मांग
रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर ने बताया कि मुकुन्दरा हिल्स को टूरिज्म के लिए शुरू करने को लेकर विधानसभा में बात उठाई जाएगी. कहा कि मुकुन्दरा के चालू होने से पहले बाघों की मौत से लगता है कि मुकुन्दरा रिजर्व के किसी की बुरी नजर लग गई है. सरकार को जल्द ही मुकुन्दरा में सफारी शुरू कर देनी चाहिए.
स्थानीय वन्यजीव प्रेमी गोपाल गर्ग का कहना है कि मुकुन्दरा हिल्स सरकार को जल्द ही टूरिज्म के लिए शुरू कर देना चाहिए. इसके साथ ही इसमें बाघों को लाया जाए. साथ ही इनकी उच्च स्तर पर मॉनीटिरिंग हो ताकि बाघ सुरक्षित रहें.