कोटा. भारत बंद के दौरान रोडवेज बसों का संचालन भी बंद रखा गया था, लेकिन 2 बजे के बाद इन्हें खोलने के आदेश भी दिए गए थे. ऐसे में दोपहर 2:00 बजे के बाद भी अधिकांश बसों का संचालन नहीं हो पाया. जिसके चलते यात्री स्टेशन पर परेशान होते रहे. वह अपने गंतव्य पर जाने के लिए बसों का इंतजार ही करते रहे, लेकिन बसें नहीं आईं.
इतना ही नहीं, दूसरे बड़े शहर जिनमें जयपुर और इंदौर शामिल है, वहां के लिए मंगलवार को बस रवाना ही नहीं हुई. यात्रियों का कहना है कि उन्हें संतुष्ट जवाब भी रोडवेज प्रबंधन की ओर से नहीं मिल रहा है. कुछ यात्री जिनकों सवाई माधोपुर की यात्रा करनी थी, वे कंडेक्टर के नहीं आने के चलते बस में सवार नहीं हो पाए. यहां तक कि कोटा से बूंदी जाने वाले यात्रियों को भी डेढ़ घंटा इंतजार करने के बाद बस मिली. जयपुर जाने वाली एक महिला यात्री का कहना था कि कल से ही कोटा में थे. सुबह बस से जाना था, लेकिन भारत बंद के चलते नहीं जा पाई और दोपहर से परेशान हो रहे हैं. इसी तरह से पुष्कर जाने वाली एक महिला यात्री के साथ भी हुआ.
कोटा डिपो से जहां पर रोज 10 लाख से ज्यादा रुपए की कमाई कोरोना काल में अभी हो रही थी. ऐसे में भारत बंद के कारण इनकम पर इसका असर पड़ा. दोपहर के बाद भी बसें नहीं चल पाई. हालांकि कोटा रोडवेज के ट्रैफिक मैनेजर रमेश चंद जांगिड़ का कहना है कि उनकी इनकम 30 फीसदी हुई है. ऐसे में उन्हें 3 लाख रुपए का रेवेन्यू मिला है, लेकिन जब बसें ही नहीं चल पाई, तो इतना रेवेन्यू मिलना तो दूर की कौड़ी ही नजर आ रहा है.
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नहीं चलीं 80 से ज्यादा बसें...
कोटा के नए और पुराने बस स्टैंड की बात की जाए कोटा से करीब 60 से ज्यादा बसें संचालित होती है. इसके अलावा 50 बसें दूसरे डिपो की भी कोटा आती है. ऐसे में पूरे दिन भर में 110 के आसपास वर्तमान में बसें संचालित हो रही है.
इनमें से 80 बसें 2:00 बजे के पहले ही संचालित होती है. ऐसे में आज भारत बंद के चलते यह बसें नहीं चल पाई. वहीं 2:00 बजे के बाद वाली भी अधिकांश बसें नहीं चली. क्योंकि दूसरे डिपो से भी बसें कोटा नहीं आई है, जो वापसी में लौटती थी. रोडवेज प्रबंधन का कहना है कि यात्री भार नहीं होने के चलते भी कोटा से चलने वाली बसें उन्होंने दोपहर बाद नहीं चलाई है.