कोटा. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की तरफ से रविवार को नीट यूजी 2022 परीक्षा (NEET UG 2022) के आयोजन में कोटा के बारां रोड स्थित प्रगति स्कूल में गड़बड़ी का मामला सामने आया है. स्टूडेंट्स ने स्कूल प्रबंधन और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के ऑब्जर्वर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि कि उनका प्रश्नपत्र करीब 1 घंटे लेट हो गया था. पहले उन्हें गलत प्रश्न पत्र और ओएमआर शीट बांट दी गई, जिसे काफी देर बाद बदला गया. इसमें उनका समय बर्बाद हो गया.
स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया है कि उनकी ओएमआर शीट पर व्हाइटनर लगी हुई थी. ऐसे में जब कंप्यूटराइज्ड चैकिंग होगी, तो उनकी शीट की जांच नहीं हो पाएगी. इस मामले में पेरेंट्स ने स्कूल के बाहर हंगामा किया और स्कूल प्रबंधन को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और स्कूल के नाम लिखित में शिकायत दी गई. इसमें दोबारा एग्जाम करवाने की मांग की गई है. काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने मध्यस्थता कर मामला शांत करवाया और स्कूल प्रबंधन से शिकायत की रिसिप्ट पैरंट्स को दिलाया. हालांकि स्कूल प्रबंधन ने मीडिया से इस संबंध में बातचीत करने से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स को अतिरिक्त समय दे दिया गया था.
दोबारा हो हमारा एग्जाम: मामले के अनुसार कोटा के बारां रोड स्थित प्रगति स्कूल में 700 स्टूडेंट्स का पेपर होना था. इस दौरान हिंदी मीडियम वाले स्टूडेंट्स को भी अंग्रेजी मीडियम का ही प्रश्न पत्र दे दिया गया. विद्यार्थियों के आपत्ति जताने पर उनका प्रश्न पत्र और ओएमआर शीट बदली तो गई लेकिन इसमें काफी समय लग गया. स्टूडेंट्स का कहना है कि प्रश्न हल करने के लिए अतिरिक्त समय नहीं दिया गया. स्टूडेंट्स ने स्कूल प्रबंधन और एनटीए के ऑब्जर्वर इसके लिए जिम्मेदार बताते हुए कार्रवाई की मांग की. साथ ही दोबारा से पेपर कराने की भी मांग की.
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परीक्षार्थी रोते हुए निकले केंद्र से बाहर: परीक्षा के दौरान हुई गड़बड़ी को लेकर कई विद्यार्थी परीक्षा देने के बाद रोते हुए बाहर आए. उनका कहना है कि प्रबंधन की गड़बड़ी के चलते उनके कई प्रश्न छूट गए, अब सलेक्शन नहीं हो पाएगा. बच्चों का कहना है कि नीट यूजी जैसी परीक्षा में एक नंबर से ही मेडिकल सीट छूट जाती है. ऐसे में परीक्षा केंद्र पर हुई गड़बड़ी से भविष्य खतरे में आ गया है. स्टूडेंट को भी परीक्षा केंद्रों से निकलने में करीब 1 घंटे से ज्यादा का समय लगा.
कैसे चेक होगी व्हाइटनर लगी ओएमआर शीट: खुशी केडिया का कहना है कि ओएमआर शीट बदलने पर उन्हें पता चला कि कई प्रश्न पहले से किए हुए थे, जिनपर व्हाइटनर लगाए हुए थे. ऐसे में कंप्यूटराइज्ड सिस्टम में यह प्रश्न की चेकिंग होगी या नहीं इस पर भी संशय है. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने खुद गाइडलाइन जारी कर कहा था कि ओएमआर शीट पर किसी तरह की कोई कटिंग या क्रॉस क्वेश्चन नहीं करें. जबकि हमारी पूरी ओएमआर सीट पर ही व्हाइटनर से बदलाव और क्रॉस किया हुआ है.
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स्कूल प्रबंधन ने पहले क्यों नहीं किया चेक: बलराम गुर्जर का कहना है कि पूरा हिंदी मीडियम का पेपर इंग्लिश मीडियम से रिप्लेस कर दिया गया था. इसकी चेकिंग पहले की जानी चाहिए थी. बच्चों की इसमें गलती नहीं थी. लेकिन इसके चलते स्टूडेंट्स के 25 से 30 मिनट खराब हो गए. सादिया का कहना है कि हमारे कई सवाल छूट गए हैं. एनटीए ने 20 मिनट इस साल अतिरिक्त बढ़ाए थे, लेकिन इस गलती के कारण ये 20 मिनट भी बर्बाद कर दिया गया. ऐसे में कई स्टूडेंट्स के बहुत सारे प्रश्न छूट गए. यह पेपर दोबारा होना चाहिए. इसमें सेंटर प्रबंधन और एनटीए की गलती है.
मेरे प्रश्न छूट गए, कौन जिम्मेदार है?: सादिया का कहना है कि एनटीए ने 20 मिनट इस साल अतिरिक्त बढ़ाए थे. लेकिन इस गलती ने हमारे यह 20 मिनट छीन लिए और अतिरिक्त समय भी बर्बाद कर दिया है. स्टूडेंट्स का कहना है कि पेपर बदल गया था, हमने बता दिया. हमारा हिंदी मीडियम में था. उन्होंने आरोप लगाया कि पेपर वापस लेने के बाद करीब 50 मिनट बाद हमारा पेपर दोबारा दिया गया. लेकिन इतना टाइम नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि 'मेरे कई सारे प्रश्न छूट गए हैं, यह पेपर दोबारा होना चाहिए, हमारी गलती नहीं है, सेंटर प्रबंधन और एनटीए की गलती है'.
दूसरे की ओएमआर शीट, व्हाइटनर लगाकर दे दी- पंकज कच्छावा का कहना है कि उन्हें जो ओएमआर शीट मिली है उसमें सभी जानकारियां भरकर कुछ प्रश्न हल कर दिया था. बाद में दूसरा ओएमआर शीट और प्रश्न पत्र लाकर दिया, जिसमें अन्य छात्र ने रोल नंबर और कुछ प्रश्न कर दिए थे. इन सब पर व्हाइटनर लगा हुआ था. इसमें हमारा काफी समय बर्बाद हो गया, लेकिन हमें सेंटर पर मौजूद स्टाफ ने नहीं बताया कि अतिरिक्त समय दिया जाएगा. पेपर लेकर वापस देने में समय खराब हुआ, ऐसे में हमारे दिमाग में पहले से ही टेंशन आ गई थी. मैंने प्रश्न नहीं छोड़े हैं. इसके बाद भी हमारी प्रश्नों को हल करने की एप्रोच भी गलत जा रही थी.