कोटा. लॉकडाउन शुरू होते ही कॉलेज और यूनिवर्सिटी बंद हो गए थे. इसके चलते मेडिकल कॉलेज की रेगुलर क्लासेस भी बंद हुई. जिसके बाद ऑनलाइन क्लासेस शुरु हुई, लेकिन कोविड-19 के चलते स्टू़डेंट्स को वार्ड पोस्टिंग नहीं मिली.
मेडिकल में ज्यादा से ज्यादा मरीजों से सम्पर्क और उनकी बीमारी के बारे में पूरी जानकारी से सही अनुभव आता है. ऑनलाइन पढ़ाई में हालांकि स्टडी मैटेरियल पूरा उपलब्ध हो रहा है. उन्हें इसमें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो रही है, लेकिन जहां MBBS अध्ययनरत स्टूडेंट्स को सेकंड ईयर से ही वार्ड की पोस्टिंग मिल जाती है और उन्हें हर वार्ड में जाकर ड्यूटी भी देनी पड़ती है. वहीं, इस बार छात्रों को कोविड-19 के चलते वार्ड पोस्टिंग भी नहीं मिल रही है. जिसकी वजह से उन्हें क्लीनिकल एक्सपीरियंस नहीं मिल पा रहा है.
मेडिकल में मरीज से इंटरेक्शन बेहद जरूरी है. यहां तक कि मेडिकल कॉलेज में बॉडी पार्ट्स, ट्रीटमेंट की गाइडलाइन और जांचों के बारे में भी जानकारी मिलती है. ऐसे में लॉकडाउन में मेडिकल की परेशानियों को स्टूडेंट्स ने ईटीवी भारत से साझा किया.
टीचर के सामने होने से होता है Focus...
कोटा निवासी अदिति, उदयपुर से एमबीबीएस कर रही है. लॉकडाउन के चलते यूनिवर्सिटी ने छुट्टियां की हुई है. इस समय वे कोटा में अपने घर पर ही है और ऑनलाइन क्लासेस के जरिए पढ़ाई कर रही है. अदिति का कहना है कि ऑनलाइन क्लासेज के जरिए कोर्स पढ़ाया जा रहा है. टीचर के सामने होने पर पढ़ाई में फोकस रह पाता है. वहीं, ऑनलाइन स्टडी में इतना नहीं होता है. क्लीनिकल साइड भी छूट रहा है. लैब और प्रैक्टिकल नहीं हो पा रहा है तो बिना बॉडी के एनाटॉमी को कैसे समझेंगे.
अदिति के अनुसार, जो फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट है, उनके लिए तो प्रेक्टिकल नॉलेज इंपोर्टेंट है. ये दो 2 घंटे का होता है. जिसमें कैडेवर के बारे में पूरी एनाटॉमी समझनी होती है, जो पूरी बॉडी को समझने के लिए काफी इंपोर्टेंट है.
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एमबीबीएस स्टूडेंट का कहना है कि डॉक्टर-पेशेंट इंटरेक्शन काफी इंपोर्टेट होता है. वार्ड पोस्टिंग में मरीज से कम्युनिकेट कर सकते हैं, जिससे हिस्ट्री और सिम्टम्स पता चलता है. उससे स्टूडेंट को काफी नॉलेज मिलती है जो अभी नहीं मिल पा रही है.
MBBS में हो सकती है देर...
वहीं कुछ स्टूडेंट्स जहां इस बात से सहमत हैं कि कोरोना के फैलते इंन्फेक्शन के बीच घर में रहकर थियोरिटिकल पढ़ाई ज्यादा अच्छी है. जबकि कुछ को डिग्री में देरी होने की चिंता है. कोटा मेडिकल कॉलेज में फोर्थ ईयर के स्टूडेंट हर्षित सोनी का कहना है कि पोस्टिंग तो आगे जाकर हो जाएगी. एक डिपार्टमेंट ज्यादा टाइम के लिए पोस्टिंग कॉलेज लगा देगा. हमें तो थियोरेटिकल नॉलेज अच्छी ही मिल रही है, इससे कोई ज्यादा फर्क नहीं है. लेकिन इससे एग्जाम देरी से होंगे. इससे वार्ड पोस्टिंग और इंटर्नशिप भी देरी से होगी. जिससे एमबीबीएस में भी देर होगी.
लाइव क्लास की जगह ऑनलाइन मिल रहा स्टडी मैटेरियल-...
कुन्हाड़ी निवासी कोटा मेडिकल कॉलेज के फोर्थ ईयर के एमबीबीएस स्टूडेंट हर्षवर्धन तिवारी का कहना है कि कोरोना वायरस से स्कूल कॉलेज बंद है, रेगुलर क्लासेस में नहीं जा पा रहे हैं. इसके लिए फैकल्टी की तरफ से पूरा स्टडी मैटेरियल, जो लाइव क्लास में मिलता था, अब ऑनलाइन क्लासेस में दिया जा रहा है. वहीं, ऑनलाइन लेक्चर, मीटिंग व ऐप के जरिए हमें पहुंचाया जा रहा है. पीपीटी व वीडियो भी बना कर भेजे जा रहे हैं.
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3 साल जो क्लिनिकल एक्सपीरियंस मिला, वो भी काफी है...
हर्षवर्धन तिवारी के अनुसार स्टडी मैटेरियल तो पूरा मिल रहा है लेकिन क्लीनिकल एक्सपीरियंस नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि 3 साल क्लीनिकल एक्सपीरियंस लिया है. यह हमें एमबीबीएस के बाद भी मिल सकता है.
कोटा मेडिकल कॉलेज में यूजी में 900 से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ रहे हैं. इनमें 2019 बैच में 250 बच्चे हैं, बाकी सभी बैचों में 150 बच्चे हैं. सभी की ऑनलाइन क्लासेस एमसीआई व आरयूएचएस के निर्देश पर जारी है.
वहीं फैकल्टी में कोई गूगल तो जूम क्लास से पढ़ा रहें हैं. कुछ टीचर ऐसे हैं, जो पीपीटी उनको भेज देते हैं. टीचर्स का कहना है कि हम स्टूडेंट को इंस्ट्रक्शंस दे रहे हैं कि वह बुक्स को पढ़ें. फिर उनका एग्जाम ले लेते हैं, जिससे उनकी अटेंडेंस भी मार्क हो जाती है. वह आंसर नहीं करते हैं तो उन्हें अटेंडेंस नहीं दी जाती.
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एग्जाम के बीच लग गया था लॉकडाउन...
मेडिकल कॉलेज की एकेडमिक इंचार्ज डॉ. दीपिका मित्तल के अनुसार एमबीबीएस सेकंड की परीक्षाएं चल रही थी और इसी बीच लॉकडाउन लग गया था. ऐसे में कुछ बच्चों का प्रैक्टिकल एग्जाम और थ्योरी का एग्जाम रह गया है. वह भी आरयूएचएस के जैसे निर्देश आएंगे, उनके अनुसार होगा. आरयूएचएस के निर्देश के बाद 1 से 2 सप्ताह के भीतर इन परीक्षाओं को करवाया जा सकता है. इसके अलावा यूजी के अन्य बैच की भी परीक्षा शुरू हो जाएगी. एमडी -एमएस के एग्जाम के लिए आरयूएचएस ने निर्देश जारी किए हैं. जिसके एग्जाम 15 जून से शुरू होंगे.
कुल मिलाकर स्टूडेंट्स की चिंता प्रैक्टिकल ना कर पाने के साथ ही डिग्री में होने वाली देरी भी है. ऐसे में कॉलेज प्रशासन को छात्रों की चिंता के समाधान के लिए कोई हल देखना चाहिए. जिससे कोरोना की वजह से छात्रों की MBBS की डिग्री प्रभावित ना हो.