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AIIMS MBBS: एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में बदलाव, 12वीं बोर्ड की बाध्यता 60 से 50 फीसदी अंक की... इंग्लिश को हटाया

ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में प्रवेश के लिए योग्यता में बदलाव कर कम किया गया है. इसमें 12वीं बोर्ड की बाध्यता 60 से 50 फीसदी अंक कर दी गई है जबकि इंग्लिश की बाध्यता हटा दी गई है.

एम्स एमबीबीएस , एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया , मेडिकल प्रवेश परीक्षा
AIIMS MBBS में एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में बदलाव
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Published : Jul 14, 2021, 5:53 PM IST

Updated : Jul 14, 2021, 6:25 PM IST

कोटा. मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी 2021 के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देश में लाखों विद्यार्थियों को राहत दी गई है. इसमें ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में प्रवेश के लिए योग्यता में बदलाव कर कम किया गया है. एनटीए ने बोर्ड प्रतिशत की पात्रता को भी कम किया है. इसके साथ ही इंग्लिश क्राइटेरिया को भी हटा लिया है. इससे देशभर के 19 एम्स की 1899 एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश में छात्रों को राहत मिलेगी.

कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि नीट यूजी 2021 के लिए 12वीं बोर्ड क्वालीफाइंग एग्जामिनेशन में न्यूनतम बोर्ड फीसदी का क्राइटेरिया अब एम्स संस्थानों पर भी लागू होगा. देव शर्मा ने बताया कि इससे पूर्व नीट यूजी के आधार पर एम्स संस्थानों में प्रवेश के लिए जनरल व ओबीसी कैटेगरी के विद्यार्थियों के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी व इंग्लिश में न्यूनतम एग्रीगेट 60 फीसदी अंक अनिवार्य थे.

पढ़ें: KVPY 2021: स्टूडेंट्स को पात्रता में रियायत, बोर्ड एग्जाम के प्रतिशत की बाध्यता खत्म

एससी-एसटी कैटेगरी के विद्यार्थियों के लिए यह बाध्यता 50 फीसदी अंकों की थी, जबकि अन्य मेडिकल संस्थानों में जनरल केटेगरी के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी में 12वीं बोर्ड के स्तर पर न्यूनतम 50 फीसदी अंक व एससी-एसटी व ओबीसी कैटेगरी के लिए न्यूनतम 40 फीसदी अंक आवश्यक थे.

देव शर्मा ने बताया कि एम्स एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश का क्राइटेरिया अलग होने के कारण कई विद्यार्थी नीट को तो क्वालीफाई कर लेते थे, लेकिन 12वीं बोर्ड में अंक प्रतिशत कम होने के कारण एम्स एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश नहीं ले पाते थे. सबसे अधिक नुकसान ओबीसी के विद्यार्थियों को होता था, क्योंकि जहां एक और अन्य संस्थानों में 12वीं बोर्ड पर 40 फीसदी अंक आवश्यक होते थे. वहीं दूसरी तरफ एम्स एमबीबीएस सीटों पर 60 फीसदी अंकों की अनिवार्यता थी.

पढ़ें: RAS 2018 Result : ईटीवी भारत पर देखें आरएएस 2018 के टॉपर्स की सक्सेस स्टोरी

देव शर्मा ने बताया कि एम्स एमबीबीएस के एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में अंग्रेजी विषय भी सम्मिलित था, जबकि अन्य संस्थानों की मेडिकल सीटों पर प्रवेश के लिए ऐसा नहीं था. अब 12वीं बोर्ड के प्रतिशत से अंग्रेजी विषय के हटा दिए जाने के कारण भी हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों का एम्स एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश आसान हो जाएगा.

देव शर्मा ने बताया कि वर्ष 2021 से पूर्व नीट यूजी के पेपर पैटर्न में संपूर्ण बायोलॉजी एक विषय के रूप में सम्मिलित था. ऐसा होने के कारण नीट यूजी के प्रश्न पत्र का बायोलॉजी भाग असंतुलित हो जाता था. बायोलॉजी विषय पर पूछे गए 90 प्रश्नों का वितरण बॉटनी व जूलॉजी विभाग पर असमान होता था. जिसके कारण बायोलॉजी विषय में प्रश्नों के असमान वितरण के कारण नीट यूजी का पूरा प्रश्नपत्र असंतुलित हो जाता था.

प्रश्न पत्र का यह असंतुलन अतार्किक था. देव शर्मा ने बताया कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बायोलॉजी विषय को जूलॉजी व बॉटनी को अलग-अलग विषय बना दिया गया है. अब जूलॉजी व बॉटनी दोनों विषयों पर समान संख्या में प्रश्न पूछे जाएंगे, जिससे प्रश्न पत्र पूर्णतया संतुलित होगा.

कोटा. मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट यूजी 2021 के लिए जारी किए गए दिशा-निर्देश में लाखों विद्यार्थियों को राहत दी गई है. इसमें ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज में प्रवेश के लिए योग्यता में बदलाव कर कम किया गया है. एनटीए ने बोर्ड प्रतिशत की पात्रता को भी कम किया है. इसके साथ ही इंग्लिश क्राइटेरिया को भी हटा लिया है. इससे देशभर के 19 एम्स की 1899 एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश में छात्रों को राहत मिलेगी.

कोटा के एजुकेशन एक्सपर्ट देव शर्मा ने बताया कि नीट यूजी 2021 के लिए 12वीं बोर्ड क्वालीफाइंग एग्जामिनेशन में न्यूनतम बोर्ड फीसदी का क्राइटेरिया अब एम्स संस्थानों पर भी लागू होगा. देव शर्मा ने बताया कि इससे पूर्व नीट यूजी के आधार पर एम्स संस्थानों में प्रवेश के लिए जनरल व ओबीसी कैटेगरी के विद्यार्थियों के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी व इंग्लिश में न्यूनतम एग्रीगेट 60 फीसदी अंक अनिवार्य थे.

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एससी-एसटी कैटेगरी के विद्यार्थियों के लिए यह बाध्यता 50 फीसदी अंकों की थी, जबकि अन्य मेडिकल संस्थानों में जनरल केटेगरी के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री व बायोलॉजी में 12वीं बोर्ड के स्तर पर न्यूनतम 50 फीसदी अंक व एससी-एसटी व ओबीसी कैटेगरी के लिए न्यूनतम 40 फीसदी अंक आवश्यक थे.

देव शर्मा ने बताया कि एम्स एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश का क्राइटेरिया अलग होने के कारण कई विद्यार्थी नीट को तो क्वालीफाई कर लेते थे, लेकिन 12वीं बोर्ड में अंक प्रतिशत कम होने के कारण एम्स एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश नहीं ले पाते थे. सबसे अधिक नुकसान ओबीसी के विद्यार्थियों को होता था, क्योंकि जहां एक और अन्य संस्थानों में 12वीं बोर्ड पर 40 फीसदी अंक आवश्यक होते थे. वहीं दूसरी तरफ एम्स एमबीबीएस सीटों पर 60 फीसदी अंकों की अनिवार्यता थी.

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देव शर्मा ने बताया कि एम्स एमबीबीएस के एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में अंग्रेजी विषय भी सम्मिलित था, जबकि अन्य संस्थानों की मेडिकल सीटों पर प्रवेश के लिए ऐसा नहीं था. अब 12वीं बोर्ड के प्रतिशत से अंग्रेजी विषय के हटा दिए जाने के कारण भी हिंदी माध्यम के विद्यार्थियों का एम्स एमबीबीएस सीटों पर प्रवेश आसान हो जाएगा.

देव शर्मा ने बताया कि वर्ष 2021 से पूर्व नीट यूजी के पेपर पैटर्न में संपूर्ण बायोलॉजी एक विषय के रूप में सम्मिलित था. ऐसा होने के कारण नीट यूजी के प्रश्न पत्र का बायोलॉजी भाग असंतुलित हो जाता था. बायोलॉजी विषय पर पूछे गए 90 प्रश्नों का वितरण बॉटनी व जूलॉजी विभाग पर असमान होता था. जिसके कारण बायोलॉजी विषय में प्रश्नों के असमान वितरण के कारण नीट यूजी का पूरा प्रश्नपत्र असंतुलित हो जाता था.

प्रश्न पत्र का यह असंतुलन अतार्किक था. देव शर्मा ने बताया कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बायोलॉजी विषय को जूलॉजी व बॉटनी को अलग-अलग विषय बना दिया गया है. अब जूलॉजी व बॉटनी दोनों विषयों पर समान संख्या में प्रश्न पूछे जाएंगे, जिससे प्रश्न पत्र पूर्णतया संतुलित होगा.

Last Updated : Jul 14, 2021, 6:25 PM IST
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