कोटा. कोटा, बारां जिले के साथ हाड़ौती में बहुचर्चित 200 करोड़ रुपए के अपेक्षा ग्रुप की चिट फंड घोटाले के आरोपी मुरली मनोहर नामा ने मंगलवार को अतिरिकत मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट क्रम 6 में सरेंडर कर (Main accused of Apeksha scam surrendered) दिया. जिसके बाद स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम कोर्ट पहुंची और आरोपी नामा को गिरफ्तार किया. नामा को एक दिन पुलिस कस्टडी में रखा जाएगा. इसके बाद उसे बुधवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा. इस मामले में स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम के प्रभारी पुलिस उपअधीक्षक अमर सिंह राठौड़ ने बताया कि इस मामले में 90 एफआईआर कई थानों में दर्ज है.
उन्होंने बताया कि अपेक्षा ग्रुप के डायरेक्टरों ने मुख्य काम लोगों से चेक से पैसा लेकर उसे प्रोपर्टी में निवेश किया था. इसके अलावा इस पैसे से एक दर्जन कम्पनी बना ली थी. इसमें आरओ, बेकरी, फूड, ब्यूटी, फैशन सेक्टर, एग्रो की कंपनी शामिल हैं. आपको बता दें कि अपेक्षा ग्रुप ने करीब 200 करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी 3800 से ज्यादा निवेशकों के साथ की है. इस पर निवेशकों की शिकायत पर अपेक्षा ग्रुप कंपनी के 38 निदेशकों के खिलाफ 2 जनवरी को एफआईआर दर्ज हुई थी.
पुलिस कस्टडी में भी हुई थी रजिस्ट्री, सीआई व एएसआई हुए थे निलम्बितः अपेक्षा ग्रुप चिटफंड कंपनी घोटाले के आरोपियों को गुमानपुरा पुलिस ने पकड़ा था. जिसमें पुलिस हिरासत में मौजूद अपेक्षा ग्रुप के निदेशकों को रजिस्ट्रार ऑफिस भेजकर जमीनों के कागजात के हेरफेर और बिकवाने में मदद करने का आरोप गुमानपुरा थाने के निरीक्षक लखन लाल मीणा और सहायक उप निरीक्षक रेहाना अब्बास लगा था. ऐसे में इन्हें एसपी सिटी केसर सिंह शेखावत ने निलम्बित कर दिया था. इसके अलावा एसपी शेखावत ने परिवादियों के मुकदमे सीधे तौर पर दर्ज व न्यायालय में जमानत का विरोध व जमानत अर्जी के दौरान न्यायालय में पूरे तथ्य प्रस्तुत नहीं करने की लापरवाही माना था. जिसका सीधा लाभ आरोपियों को मिला.
एसपी ने गठित कर दी थी एसआईटीः करीब 5 महीने पहले भी गुमानपुरा थाना पुलिस ने अपेक्षा ग्रुप के फर्जीवाड़े के मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था. जिनकी जमानत भी जल्द हो गई थी. जिस पर एसपी शेखावत नाराज हुए थे. क्योंकि करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी का मामला है. इसके बाद उन्होंने इस मामले में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम गठित कर दी थी. जिसकी जिम्मेदारी पुलिस उप अधीक्षक अमर सिंह राठौड़ को सौंपी गई है. उनके अलावा इस टीम में दो दर्जन से ज्यादा पुलिस अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं. जिनमें सीआई, एसआई, एएसआई, हैड कांस्टेबल और कांस्टेबल शामिल हैं.