कोटा. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला 14 जनवरी से 17 जनवरी तक कोटा प्रवास पर आए हुए हैं. ओम बिरला ने शुक्रवार को शक्ति नगर आवास पर जनसुनवाई कर लोगों की समस्या सुनी. इस दौरान हाड़ौती के सरपंच संघ के पदाधिकारियों ने ओम बिरला से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा.
सरपंचों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर कहा कि पिछले 2 सालों में केंद्रीय वित्त आयोग की राशि के अतिरिक्त राज्य वित्त आयोग का एक भी रुपया ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित नहीं किया गया है. यहां तक की राज्य वित्त आयोग पंचम की द्वितीय-तृतीय किस्त की राशि भी लगभग 3000 करोड़ रुपए और कुल राशि 4000 करोड़ रुपए ग्राम पंचायतों को हस्तातरित नहीं की गई है. इसके अतिरिक्त छठवें वित्त आयोग का अब तक गठन ही नहीं किया गया है.
ऐसे में 2020-21 में भी कोई राशि ग्राम पंचायतों को प्राप्त नहीं हुई है और ना ही कोई प्रक्रिया चल रही है. सरपंचों ने कहा कि ग्राम पंचायतों की प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है और कार्यालय के प्रशासनिक संचालन के साथ ही जनप्रतिनिधियों और मानदेय कर्मियों का भत्ता भुगतान करने के लिए भी ग्राम पंचायत में राशि उपलब्ध नहीं है. इसी प्रकार ग्राम पंचायतों के चुने हुए जनप्रतिनिधि सरपंचों को ग्राम पंचायत स्तर पर गठित कोर समिति का अध्यक्ष तो बनाना दूर सदस्य भी नहीं बनाया गया. सरपंचों को प्रशासनिक रूप से बहुत अधिक कमजोर कर दिया गया.
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सरपंचों ने कहा कि ऐसा राजस्थान की पंचायती राज संस्थाओं के इतिहास में पहली बार हुआ है. जहां एक ओर पंचायती राज संस्थाओं को पांच विभागों का हस्तांतरण उनका नियंत्रण दिया हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर सरपंच साहिबान को ग्राम पंचायत में संचालित विद्यालय के प्रधानाध्यापक के अधीन कर दिया गया.
उन्होंने कहा कि वित्त विभाग के कुछ अधिकारियों की ओर से ग्राम पंचायतों के वित्तीय स्वायत्तता एवं संवैधानिक वित्तीय अधिकारों पर कुठाराघात करते हुए पिछले दरवाजे से ग्राम पंचायतों के ब्याज रहित पीडी खाता खोल दिए गए हैं. पीडी खाते की कस्टोडियन सीधे राज्य सरकार होती है, ऐसे में ग्राम पंचायतों को संवैधानिक रूप से जो वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त थी वह समाप्त की जा रही है. प्रासंगिक पत्र की ओर से ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग के अधिकारियों की ओर से सरपंचों को पीडी खाते के कोड जनरेट करने एवं लॉगिन आईडी बनाने के निर्देश दिए जा रहे हैं.
लोकसभा ओम बिरला ने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार से बात की जाएगी. उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से सभी सुविधाएं दी जा रही है.
संविदाकर्मियों ने सौंपा ज्ञापन
संविदाकर्मियों ने ज्ञापन के माध्यम से कहा कि मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य और नियत्रंक की ओर से पिछले 10 वर्षों से सेवाएं दे रहे संविदा नर्सेज की सेवा समाप्ति के आदेश जारी किए गए हैं, जो सरकार की मंशा के विपरीत है. इस प्रकार राजस्थान के मेडिकल कॉलेज में करीब पिछले 2 महीने में 30 संविदाकर्मी नर्सेज यूटीबी की सेवा समाप्त की गई है, जो कि एक प्रकिया की ओर से पूर्ण खरे मापदंडों पर 10 वर्ष पूर्व लिए गए थे. इस कार्य से चिकित्सा विभाग के नर्सेज और संविदाकर्मियों में भारी रोष व्याप्त है.
संविदा कर्मियों ने कहा कि संविदाकर्मी नर्सेज लंबे समय से स्वाइन फलू, डेंगू और कोरोना जैसी महामारियों में निष्ठापूर्ण और अनुशासनपूर्ण सेवाएं दे रहे थे. उन्हें इस तरह नियमित ना करके सेवा समाप्त करना पूर्णतया गलत है. सभी नर्सेज जो 10 वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं और नियमित आयु सीमा भी पार कर चुके हैं, इस कारण इनके सामने परिवार भरण पोषण की समस्या आ खड़ी हुई है.
जनसुनवाई के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इण्डियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड की ओर से मिस्ड कॉल सेवा का ऑनलाइन उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि इस सुविधा से गैस बुकिंग से लेकर नए कनेक्शन तक आसान होंगे.