कोटा. देश की सबसे अनूठी पशुपालक कॉलोनी कोटा में बनकर तैयार हुई है. जिसका मकसद कोटा शहर को कैटल फ्री बनाना है. वर्तमान में पहले फेज का काम पूरा हो गया और पशुपालकों को यहां पर शिफ्ट भी किया गया है (Cow dung purchased by UIT kota). यह अधिकांश पशुपालक शहर में अतिक्रमण करके ही रह रहे थे. इसी कारण शिफ्ट होना नहीं चाह रहे थे. काफी आनाकानी कर रहे थे.
इन लोगों को मनाया गया. यहां जबरन पुलिस की इमदाद से ही शिफ्ट किया गया, लेकिन पशुपालक कॉलोनी में पहुंचते ही इनके दिन बहुर गए. अब हजारों रुपए की आमदनी केवल गाय के गोबर से ही होने लगी है. नतीजतन पशुबाड़े की किस्त से लेकर गायों के चारे पानी की भी व्यवस्था में दिक्कत नहीं आ रही (Kota Unique Cattle Breeder Colony). पहले केवल पशुओं से दूध बेचने पर ही इनकम हो रही थी, लेकिन अब आय का एक जरिया गोबर भी हो गया है.
अब बदल रही सूरत: नगर विकास न्यास के बायोगैस कंसलटेंट डॉ. महेंद्र गर्ग का कहना है कि कुछ पशुपालक तो ऐसे हैं जो अब गोबर के लिए ही यहां पर पशु पालना चाह रहे हैं क्योंकि यहां पूरा गोबर प्रतिदिन उनसे कलेक्ट किया जा रहा है जिसका एक रुपए प्रति किलो की दर से भुगतान किया जा रहा है. ऐसा हिंदुस्तान में कहीं भी नहीं हो रहा है. अनुमान है कि इससे प्रतिदिन 3000 किलो कंप्रेस्ड बायोगैस गैस (biogas plant In Kota) बनेगी.
कुछ पशुपालक तो ऐसे हैं, जिनका कहना है कि केवल गोबर के लिए ही गौवंश पालन करेंगे. यहां एक किसान को 8, 12 व 20 हजार तक गोबर का मिल रहा है. नगर विकास न्यास के अधीक्षण अभियंता राजेंद्र राठौर का कहना है कि गोबर कलेक्शन के लिए नगर विकास न्यास ने कांट्रैक्ट भी जारी किया है. एक फर्म ट्रैक्टर ट्रॉली और कार्मिको की तैनाती कर गोबर का कलेक्शन कर रही है. इसका भुगतान नगर विकास न्यास करती है (Cow Dung Income in Kota). इस प्रक्रिया में पारदर्शिता कायम रखी जाए इसलिए सभी पशुपालकों का बैंक खाता संख्या ली गई है, इससे खातों में सीधे गोबर खरीद का पैसा डाला जाएगा. ये प्रक्रिया अभी चल रही है. इसी महीने उन्हें गोबर का पहला भुगतान किया जाएगा. जिसके लिए सभी पशुपालकों के अकाउंट नंबर और अन्य जानकारियां वेरीफाई की जा रही हैं. कई पशुपालक ऐसे हैं जिनको 20 हजार रुपए से भी ज्यादा का भुगतान होगा.
पशुबाड़े की किस्त चुकाना आसान: यूआईटी के अधीक्षण अभियंता राजेंद्र राठौड़ ने बताया कि न्यास ने 2 साइज के पशु बाड़े बनाए थे. जिसमें 35 गुना 70 और 35 गुना 90 के हैं. जिसमें कुछ हजारों रुपए की राशि अग्रिम भुगतान मिली थी. जिसके बाद बचे हुए शेष भुगतान को 240 मासिक किस्तों में लिया जा रहा है. इस पूरी राशि पर किसी तरह का कोई ब्याज नहीं लिया गया है. ये राशि 5,800 से लेकर 6,800 रुपए के बीच ही है. जबकि किसान इससे कई गुना ज्यादा कीमत का गोबर ही यहां से बेच रहे हैं. छोटे पशुबाड़े की कीमत 14 लाख 25 हजार रुपए है. जिसमें पहले 30 हजार रुपए का भुगतान अग्रिम लिया गया है. जबकि शेष बचे हुए 13 लाख 95 हजार रुपए की 20 सालों की मासिक किस्त से पैसा लिया जा रहा है. जिसके अनुसार प्रति माह की किस्त 5,815 रुपए के आसपास है. जबकि बड़े पशुबाड़े की कीमत 16 लाख 50 हजार रुपए का है. इसमें अग्रिम 35 हजार रुपए लिए गए थे. इसके बाद शेष बचे 16 लाख 15 हजार रुपए की 240 मासिक किस्तों से पैसा लिया जा रहा है. ऐसे में प्रति किस्त 6730 रुपए बन रही है.
पशुपालकों को मिलेंगे औसत 30 हजार रुपए: नगर विकास न्यास के बायोगैस कंसलटेंट डॉ. महेंद्र गर्ग का कहना है कि देवनारायण पशुपालक आवासीय योजना में जुलाई महीने में ही शिफ्टिंग और लोकार्पण भी किया गया था. यहां पर पहले फेज में 738 मकान बनकर तैयार हुए हैं. जिनमें से 500 मकान अलॉट कर दिए गए थे. करीब 380 पशुपालक परिवार यहां पर रहने लग गए हैं. इस पशुपालक आवासीय कॉलोनी में 1227 पशु बाड़े बनने हैं. जिसमें दूसरे फेज का काम पूरा होने के बाद करीब 15,000 पशुओं को रखा जा सकेगा. इन पशुपालकों से करीब डेढ़ सौ टन गोबर रोज खरीदा जाएगा. जिसका भुगतान भी करीब डेढ़ लाख होगा. करीब 45 लाख रुपए महीने गोबर का खरीदा जाएगा. ऐसे में प्रति पशुपालक औसत 30,000 से ज्यादा का पैसा गोबर बेचने से मिलेगा.
जुलाई में बिका 13 लाख का गोबर: डॉ. गर्ग के अनुसार वर्तमान में 75 टन गोबर रोज गोबर गैस प्लांट में पहुंच रहा है. जुलाई महीने में भी यह आधे दिन ही गोबर लिया गया था. क्योंकि पशुपालकों की शिफ्टिंग बीच में ही हुई है. वर्तमान में तो गोबर गैस प्लांट की ट्रायल ही चल रही है. ऐसे में पशुपालकों से करीब 13 टन से ज्यादा ही गोबर खरीदा गया है. इन पशुपालकों से जुलाई महीने में एकत्रित किए गए गोबर से 13 लाख 39 हजार रुपए से ज्यादा का भुगतान किया गया है.
साफ सफाई कोई समस्या नहीं: डॉ. गर्ग के अनुसार पशुपालकों के निजी बाड़ों में गोबर इकट्ठा हो जाता था. इससे चारों ओर गंध फैल जाती थी. यहां स्थिति ऐसी नहीं है. देवनारायण आवासीय पशुपालक योजना के तहत सुबह शाम दोनों समय गोबर उठाया जा रहा है. जिससे पशुबाड़ा साफ सुथरा रहता है. गोबर उठाने के साथ ही तौला जाता है और तुरंत खरीद लिया जाता है. इससे सभी पशुपालक खुश हैं. ये Waste से Wealth बनाने की क्रिया है. गर्ग दावा करते हैं कि इस योजना और गोबर गैस प्लांट से पशुपालकों की तकदीर बदल जाएगी. पशुपालक आर्थिक रूप से संपन्न भी हो जाएगा. दूसरा सबसे बड़ा लाभ अब गोबर निस्तारण की फिक्र से भी मुक्ति मिल गई है. पहले इसे इकट्ठा कर कहां निपटाया जाए इसको लेकर असमंजस बना रहता था. गोबर 1 साल में बिकता था. उसके दाम भी औने पौने ही मिलते थे.
मेकेनिज्म समझते हैं!: बायोगैस प्लांट के टीम मेंबर श्रीधरन पूरा तरीका समझाते हैं. कहते हैं कि देवनारायण आवासीय योजना के मकान से ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर कांट्रेक्टर गोबर लेकर आता है. जिसे हम पूरा तुलाई कर लेते हैं. बाद में इसे प्लांट के टैंक में खाली कर देते हैं. अभी करीब 20 से 25 ट्रैक्टर आ रहा है. जिसमें 75 टन गोबर पहुंच रहा है. वजन के लिए सिस्टम है. कांट्रैक्ट फर्म के सुपरवाइजर शंकर का कहना है कि उनकी टीम हर घर जाती है. मालिक से गोबर लेने के बाद उसकी पर्ची बनाकर उन्हें सौंप दी जाती है और एक उनके रिकॉर्ड में अंकित हो जाती है. इससे पूरे महीने का हिसाब पशुपालक रख सकता है. इसकी पूरी एंट्री भी हम रखते हैं. इस कलेक्शन किए गए गोबर को प्लांट में जमा करा देते हैं, जिसके बाद ही पशुपालकों को भुगतान होता है. इसके लिए करीब 8 से ज्यादा ट्रैक्टर लगाए हुए हैं. जिनमें ड्राइवर सहित करीब 40 जनों का स्टाफ लगा हुआ है.
पशुपालकों की राय: पशुपालक शिवराज का कहना है कि पहले हम साल भर के गोबर को एक साथ बेच देते थे, लेकिन उससे ज्यादा इनकम नहीं होती थी. इसमें कुल 2 से 3 ट्रॉली ही साल भर में हम बेच पाते थे. बाकी तो बारिश के सीजन या फिर सूखकर खराब हो जाता था. अब तो काफी बेनिफिट यहां पर हो रहा है. मैं इस माह 5 हजार से ज्यादा का गोबर बेच चुका हूं. इसी से मेरे मकान और पशुबाड़े की किस्त निकल जाती है.
रामलाल देवनारायण मकान में 278 मकान में रहते थे. पहले कोटा शहर में रहते थे, यहां साल भर का गोबर एक साथ इकट्ठा होता था. आधा तो कचरे के रूप में सड़कों पर चला जाता था. शेष आधा बेचते थे. जिससे काफी नुकसान हो रहा था. अब रोज करीब 400 किलो गोबर होता है. जिससे हम मकान की किस्त, बिजली, पानी व गैस का खर्चा निकल रहा है. मेरे पास 15 से ज्यादा पशु है, जिन से करीब 12 हजार रुपए की इनकम हो रही है. इसी पैसे से गायों के लिए चारा और अन्य व्यवस्था भी हो रही है.
केस 01- कैटल कॉलोनी के ही सी 237 मकान में रहने वाले कान्हा गुर्जर के पास डेढ़ दर्जन से ज्यादा गाय और मवेशी हैं. इनसे रोज करीब 500 किलो के आसपास गोबर उनके हो रहा है. जिसे वे नगर विकास न्यास के स्थापित किए गोबर गैस प्लांट में रोज बेच रहे हैं. इसके जरिए उन्हें पहले ही महीने जुलाई में 14 हजार 764 रुपए का भुगतान मिलेगा.
केस 02- देवनारायण आवासीय योजना के सी 242 मकान में रहने वाले रंगलाल गुर्जर के पास 20 से ज्यादा पशुधन है. वे रोज इनका गोबर एकत्रित करवाते हैं और नगर विकास न्यास के गाड़ी को तोल कर बेच देते हैं. जुलाई महीने में उन्होंने 20374 किलो गोबर बेचा है. जिसमें रोज करीब 650 किलो से ज्यादा का गोबर उन्होंने दिया है.
केस 03 - कैटल कॉलोनी के सी 256 मकान में रहने वाले कालूराम को नगर विकास न्यास से 20010 रुपए का भुगतान मिलेगा. उन्होंने करीब 20 गायों का पालन किया हुआ है. जिनसे रोज करीब 700 किलो से ज्यादा गोबर हो रहा है. कालूराम का मानना है कि पहले जहां पे रहते थे वहां रहते यह वहां काफी गंदगी थी, लेकिन यहां पर काफी साफ सफाई है.