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वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे : विश्व में कम हो रहे Suicide लेकिन भारत में लगातार बढ़ रहे मामले चिंताजनक - suicide case in india

विश्व में आत्महत्याओं के मामले (Suicide Case) लगातार घट रहे हैं, लेकिन भारत में मामले विश्व की तुलना में लगातार बढ़ रहे हैं. पहले जहां पर विश्व में 10 लाख आत्महत्याओं के मामले हर साल आते थे, तब भारत में यह आंकड़ा एक लाख के आसपास था. यानी कि 10 फीसदी मामले यहां होते थे. लेकिन अब जब विश्व में यह संख्या 8 लाख रह गई है, तब भी भारत में 1 लाख 39 हजार मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में विश्व में भागीदारी 10 फीसदी से बढ़कर 17 हो गई है. यह जानकारी कोटा के वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. एमएल अग्रवाल ने दी है.

World Suicide Prevention Day
भारत में लगातार बढ़ रहे मामले चिंताजनक
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Published : Sep 10, 2021, 6:17 AM IST

Updated : Sep 10, 2021, 9:30 AM IST

कोटा. वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (World Suicide Prevention Day) 10 सितंबर को मनाया जाता है. डॉ. एमएल अग्रवाल का कहना है कि सुसाइड अटेंड करने वाले लोगों की संख्या करीब 25 से 30 लाख के आसपास है, लेकिन किसी के समझाने या कोशिश करने से यह लोग मान जाते हैं और इनकी जान बच जाती है.

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि डब्ल्यूएचओ (WHO) का मानना है कि 80 फीसदी तक लोगों को बचाया जा सकता है. केवल मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक बीमारियों को समय पर पहचानें, समय पर उनका इलाज करें. यह जानकारी आम आदमी को दें और उस पर तुरंत कार्रवाई करें. हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति की मौत होती है. अगर हमें किसी व्यक्ति में लक्षण दिखे और उससे हम बात कर लें, तो मौत रोकी जा सकती है. ज्यादातर मौतें विकासशील देशों से हैं, जहां पर सामाजिक-आर्थिक स्तर काफी नीचे है. यहां ये आंकड़ा 70 फीसदी तक है, जबकि डेवलप्ड कंट्री में कम है.

क्या कहते हैं मनोचिकित्सक, सुनिये

इसलिए भी बढ़ रहे आत्महत्या के मामले...

डॉ. एमएल अग्रवाल का मानना है कि आंकड़े बढ़ना चिंता का विषय जरूर है, लेकिन इसकी एक वजह यह भी है कि भारत में जहां पर आत्महत्या को अपराध माना जाता था और कोई आत्महत्या से बच जाता था तो उस पर भी मुकदमा व एफआईआर दर्ज हो जाती थी. लेकिन इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी (Indian Psychiatric Society) के प्रयासों से इसे क्राइम से हटा दिया गया है. इससे पहले जो जानकारी छुपा ली जाती थी, अब जानकारी दी जाती है. जिससे भी हमारे यहां आंकड़े बढ़ रहे हैं.

पढ़ें : Special : सावधान! घास पर नंगे पांव चलना हो सकता है घातक...स्क्रब टाइफस हाड़ौती में पसार रहा पैर

पहले लोग दूसरा बहाना बनाते थे. पुलिस व अपराध से बचने की करते थे. इसलिए रिपोर्ट इसे नहीं करते थे, लेकिन फिर भी यह संख्या जो है वह ज्यादा है. हमारी कोशिश है कि आम आदमी तक हमारी बात पहुंचे और लोगों की जिंदगी को बचाया जा सके, जो आत्महत्या की वजह से चली जाती है. लोग मनुष्य जीवन लेकर जो काम करने आए हैं, उसे पूरा करके जा सकें.

कोविड-19 का स्वास्थ्य पर असर और आत्महत्या से बचाव का देंगे टिप्स...

वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे के अवसर पर कोटा में रोटरी क्लब की तरफ से एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आयोजित होगी. बूंदी रोड स्थित निजी रिजॉर्ट में आयोजित होने वाली इस कॉन्फ्रेंस में स्ट्रेस मैनेजमेंट इन कोचिंग स्टूडेंट, कोविड-19 महामारी व मानसिक स्वास्थ्य, साइकोड्रामा ऑन सुसाइड व ऑडियंस इंटरेक्शन, सुसाइड प्रिवेंशन टिप्स फॉर ऑडियंस पर व्याख्यान दिए जाएंगे. इसमें कोटा के डॉ. एमएल अग्रवाल, दिल्ली से डॉ. अनुज मित्तल, आर्म्ड फोर्सज मेडिकल कॉलेज पुणे से एचओडी डॉ. ज्योति प्रकाश, अहमदाबाद से डॉ. विनीत गोयल व दिल्ली से डॉ. विनीता मित्तल शामिल होंगी.

कोटा. वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे (World Suicide Prevention Day) 10 सितंबर को मनाया जाता है. डॉ. एमएल अग्रवाल का कहना है कि सुसाइड अटेंड करने वाले लोगों की संख्या करीब 25 से 30 लाख के आसपास है, लेकिन किसी के समझाने या कोशिश करने से यह लोग मान जाते हैं और इनकी जान बच जाती है.

डॉ. अग्रवाल ने बताया कि डब्ल्यूएचओ (WHO) का मानना है कि 80 फीसदी तक लोगों को बचाया जा सकता है. केवल मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक बीमारियों को समय पर पहचानें, समय पर उनका इलाज करें. यह जानकारी आम आदमी को दें और उस पर तुरंत कार्रवाई करें. हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति की मौत होती है. अगर हमें किसी व्यक्ति में लक्षण दिखे और उससे हम बात कर लें, तो मौत रोकी जा सकती है. ज्यादातर मौतें विकासशील देशों से हैं, जहां पर सामाजिक-आर्थिक स्तर काफी नीचे है. यहां ये आंकड़ा 70 फीसदी तक है, जबकि डेवलप्ड कंट्री में कम है.

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इसलिए भी बढ़ रहे आत्महत्या के मामले...

डॉ. एमएल अग्रवाल का मानना है कि आंकड़े बढ़ना चिंता का विषय जरूर है, लेकिन इसकी एक वजह यह भी है कि भारत में जहां पर आत्महत्या को अपराध माना जाता था और कोई आत्महत्या से बच जाता था तो उस पर भी मुकदमा व एफआईआर दर्ज हो जाती थी. लेकिन इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी (Indian Psychiatric Society) के प्रयासों से इसे क्राइम से हटा दिया गया है. इससे पहले जो जानकारी छुपा ली जाती थी, अब जानकारी दी जाती है. जिससे भी हमारे यहां आंकड़े बढ़ रहे हैं.

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पहले लोग दूसरा बहाना बनाते थे. पुलिस व अपराध से बचने की करते थे. इसलिए रिपोर्ट इसे नहीं करते थे, लेकिन फिर भी यह संख्या जो है वह ज्यादा है. हमारी कोशिश है कि आम आदमी तक हमारी बात पहुंचे और लोगों की जिंदगी को बचाया जा सके, जो आत्महत्या की वजह से चली जाती है. लोग मनुष्य जीवन लेकर जो काम करने आए हैं, उसे पूरा करके जा सकें.

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वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे के अवसर पर कोटा में रोटरी क्लब की तरफ से एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आयोजित होगी. बूंदी रोड स्थित निजी रिजॉर्ट में आयोजित होने वाली इस कॉन्फ्रेंस में स्ट्रेस मैनेजमेंट इन कोचिंग स्टूडेंट, कोविड-19 महामारी व मानसिक स्वास्थ्य, साइकोड्रामा ऑन सुसाइड व ऑडियंस इंटरेक्शन, सुसाइड प्रिवेंशन टिप्स फॉर ऑडियंस पर व्याख्यान दिए जाएंगे. इसमें कोटा के डॉ. एमएल अग्रवाल, दिल्ली से डॉ. अनुज मित्तल, आर्म्ड फोर्सज मेडिकल कॉलेज पुणे से एचओडी डॉ. ज्योति प्रकाश, अहमदाबाद से डॉ. विनीत गोयल व दिल्ली से डॉ. विनीता मित्तल शामिल होंगी.

Last Updated : Sep 10, 2021, 9:30 AM IST
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