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कोटा में मरीजों की सांसों के साथ धोखा, मेडिकल कॉलेज के रामपुरा अस्पताल में 20 वेंटिलेटर रखकर भूला प्रबंधन

कोरोना के चलते जहां पर मरीजों को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की सख्त आवश्यकता पड़ रही है. निजी और सरकारी अस्पतालों में इनकी कमी बनी हुई है. वहीं दूसरी तरफ मेडिकल कॉलेज कोटा में एक लापरवाही देखने को मिली. जिसमें रामपुरा जिला अस्पताल में ही बड़ी संख्या में वेंटिलेटर रखे हुए थे. जिनकी जानकारी प्रबंधन को भी नहीं थी. इन सभी को रखकर प्रबंधन भूल गया और आखिर में जब सभी वेंटीलेटर की ऑडिट की गई, तो सामने आया कि 20 से ज्यादा वेंटिलेटर रामपुरा अस्पताल में पड़े हुए हैं.

kota medical college,  ventilators shortage in kota
मेडिकल कॉलेज के रामपुरा अस्पताल में 20 वेंटिलेटर रखकर भूला प्रबंधन
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Published : May 13, 2021, 10:24 PM IST

कोटा. कोरोना के चलते जहां पर मरीजों को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की सख्त आवश्यकता पड़ रही है. निजी और सरकारी अस्पतालों में इनकी कमी बनी हुई है. वहीं दूसरी तरफ मेडिकल कॉलेज कोटा में एक लापरवाही देखने को मिली. जिसमें रामपुरा जिला अस्पताल में ही बड़ी संख्या में वेंटिलेटर रखे हुए थे. जिनकी जानकारी प्रबंधन को भी नहीं थी. इन सभी को रखकर प्रबंधन भूल गया और आखिर में जब सभी वेंटीलेटर की ऑडिट की गई, तो सामने आया कि 20 से ज्यादा वेंटिलेटर रामपुरा अस्पताल में पड़े हुए हैं, जो कि जिस तरह से सप्लाई हुए थे, उसी तरह से पेटियों में बंद कर रखे हुए हैं. ना तो उनको असेंबल किया गया है.

पढ़ें: कोरोना वैक्सीन के ग्लोबल टेंडर को लेकर CM गहलोत ने साधा निशाना, कहा- अच्छा यह होता कि भारत सरकार टेंडर निकालती

ऐसे में मरीजों की सांसों के साथ यह जो धोखा कोटा मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन ने किया है. जब मीटिंग में इन वेंटिलेटर की गणना की गई है. तब इन्हें वापस निकाल कर मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भेजा गया है. जहां पर अगले सप्ताह शुरू होगा. जबकि अस्पताल अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना जिनकी पूरी जिम्मेदारी थी उनका ही कहना है कि इन वेंटिलेटर के पड़े होने की जानकारी उन्हें नहीं थी.

कोटा में मरीजों की सांसों के साथ धोखा

पीएम केयर फंड से आए थे वेंटिलेटर

रामपुरा अस्पताल में स्टोर रूम में रखे हुए यह वेंटिलेटर पीएम केयर्स फंड से आए थे. जिन्हें पिछले साल दिसंबर में ही रामपुरा अस्पताल के स्टोर रूम में मेडिकल कॉलेज से भेजा गया था. यह वेंटिलेटर तो रूम में धूल खा रहे हैं. अस्पताल ने अभी तक इसे इंस्टॉल करना तो दूर खोल कर भी नहीं देखा गया. दूसरी तरफ पूर्व भाजपा विधायक प्रहलाद गुंजल ने भी इस मामले में राज्य सरकार और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर सवाल खड़े किए हैं. पीएम केयर्स फंड के वेंटिलेटर का अब तक उपयोग नहीं होने पर स्थानीय विधायक व मंत्री को जिम्मेदार ठहराया. वह राज्य सरकार को पूरी तरह निष्क्रिय व फेल बताया है.

मेडिकल गैस पाइपलाइन नहीं वहां क्यों भेजे वेंटिलेटर

रामपुरा अस्पताल में मेडिकल कॉलेज ने वेंटिलेटर भेज दिए, लेकिन जब भेजा गया था तब यह नहीं देखा गया कि वहां पर ऑक्सीजन सप्लाई के लिए मेडिकल गैस पाइपलाइन नहीं है. जिसके बिना यह वेंटिलेटर उपयोग में नहीं आ सकते हैं. हालांकि ऑक्सीजन सिलेंडर के जरिए इनको लगाया जा सकता है, लेकिन वह बहुत विपरीत स्थिति में ही उपयोग में आ सकते थे. इसके बावजूद भी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने रामपुरा अस्पताल को यह वेंटिलेटर जारी कर दिए.

अधीक्षक बोले मेरी जानकारी में नहीं था, वेंटिलेटर पड़े हैं

रामपुरा अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि मैं एमबीएस अस्पताल का अधीक्षक हूं, मुझे अभी रामपुरा जिला अस्पताल का चार्ज लिए हुए 3 महीने ही हुए हैं. इसलिए मेरी जानकारी में नहीं है. मेरी जानकारी में जब आया 30 वेंटिलेटर दिसंबर में आए थे, मैंने एमबीएस में 6 वेंटिलेटर मंगवा लिए थे. चार वेंटिलेटर रामपुरा में लगवा दिये थे. जबकि 20 वेंटीलेटर बचे हुए थे. जब प्रशासन की मीटिंग हुई और वेंटिलेटर की चर्चा हुई तो मैंने कहा पुराने अधीक्षक ने रामपुरा में 20 वेंटीलेटर रखे हुए हैं. रामपुरा अस्पताल के अधीक्षक को तो कोरोना की मीटिंग में बुलाते नहीं हैं. इसलिए इन वेंटिलेटर का पता नहीं था. अब हमने यह 20 वेंटीलेटर मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल की डिमांड पर वहां भिजवा दिए हैं.

कोटा. कोरोना के चलते जहां पर मरीजों को ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की सख्त आवश्यकता पड़ रही है. निजी और सरकारी अस्पतालों में इनकी कमी बनी हुई है. वहीं दूसरी तरफ मेडिकल कॉलेज कोटा में एक लापरवाही देखने को मिली. जिसमें रामपुरा जिला अस्पताल में ही बड़ी संख्या में वेंटिलेटर रखे हुए थे. जिनकी जानकारी प्रबंधन को भी नहीं थी. इन सभी को रखकर प्रबंधन भूल गया और आखिर में जब सभी वेंटीलेटर की ऑडिट की गई, तो सामने आया कि 20 से ज्यादा वेंटिलेटर रामपुरा अस्पताल में पड़े हुए हैं, जो कि जिस तरह से सप्लाई हुए थे, उसी तरह से पेटियों में बंद कर रखे हुए हैं. ना तो उनको असेंबल किया गया है.

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ऐसे में मरीजों की सांसों के साथ यह जो धोखा कोटा मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन ने किया है. जब मीटिंग में इन वेंटिलेटर की गणना की गई है. तब इन्हें वापस निकाल कर मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भेजा गया है. जहां पर अगले सप्ताह शुरू होगा. जबकि अस्पताल अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना जिनकी पूरी जिम्मेदारी थी उनका ही कहना है कि इन वेंटिलेटर के पड़े होने की जानकारी उन्हें नहीं थी.

कोटा में मरीजों की सांसों के साथ धोखा

पीएम केयर फंड से आए थे वेंटिलेटर

रामपुरा अस्पताल में स्टोर रूम में रखे हुए यह वेंटिलेटर पीएम केयर्स फंड से आए थे. जिन्हें पिछले साल दिसंबर में ही रामपुरा अस्पताल के स्टोर रूम में मेडिकल कॉलेज से भेजा गया था. यह वेंटिलेटर तो रूम में धूल खा रहे हैं. अस्पताल ने अभी तक इसे इंस्टॉल करना तो दूर खोल कर भी नहीं देखा गया. दूसरी तरफ पूर्व भाजपा विधायक प्रहलाद गुंजल ने भी इस मामले में राज्य सरकार और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर सवाल खड़े किए हैं. पीएम केयर्स फंड के वेंटिलेटर का अब तक उपयोग नहीं होने पर स्थानीय विधायक व मंत्री को जिम्मेदार ठहराया. वह राज्य सरकार को पूरी तरह निष्क्रिय व फेल बताया है.

मेडिकल गैस पाइपलाइन नहीं वहां क्यों भेजे वेंटिलेटर

रामपुरा अस्पताल में मेडिकल कॉलेज ने वेंटिलेटर भेज दिए, लेकिन जब भेजा गया था तब यह नहीं देखा गया कि वहां पर ऑक्सीजन सप्लाई के लिए मेडिकल गैस पाइपलाइन नहीं है. जिसके बिना यह वेंटिलेटर उपयोग में नहीं आ सकते हैं. हालांकि ऑक्सीजन सिलेंडर के जरिए इनको लगाया जा सकता है, लेकिन वह बहुत विपरीत स्थिति में ही उपयोग में आ सकते थे. इसके बावजूद भी मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने रामपुरा अस्पताल को यह वेंटिलेटर जारी कर दिए.

अधीक्षक बोले मेरी जानकारी में नहीं था, वेंटिलेटर पड़े हैं

रामपुरा अस्पताल के अधीक्षक डॉ. नवीन सक्सेना का कहना है कि मैं एमबीएस अस्पताल का अधीक्षक हूं, मुझे अभी रामपुरा जिला अस्पताल का चार्ज लिए हुए 3 महीने ही हुए हैं. इसलिए मेरी जानकारी में नहीं है. मेरी जानकारी में जब आया 30 वेंटिलेटर दिसंबर में आए थे, मैंने एमबीएस में 6 वेंटिलेटर मंगवा लिए थे. चार वेंटिलेटर रामपुरा में लगवा दिये थे. जबकि 20 वेंटीलेटर बचे हुए थे. जब प्रशासन की मीटिंग हुई और वेंटिलेटर की चर्चा हुई तो मैंने कहा पुराने अधीक्षक ने रामपुरा में 20 वेंटीलेटर रखे हुए हैं. रामपुरा अस्पताल के अधीक्षक को तो कोरोना की मीटिंग में बुलाते नहीं हैं. इसलिए इन वेंटिलेटर का पता नहीं था. अब हमने यह 20 वेंटीलेटर मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल की डिमांड पर वहां भिजवा दिए हैं.

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