कोटा. शहर के कोचिंग संस्थान बीते डेढ़ साल से लगभग बंद हैं. इनको खुलवाने के लिए हॉस्टल और मेस संचालक मांग पर अड़े हुए हैं. जहां इस संबंध में मंगलवार को सभी लोग कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन के लिए जा रहे थे, लेकिन सर्किट हाउस से निकलने के चंद कदम चलने पर ही पुलिस ने रोक लिया और नहीं जाने दिया. करीब 500 की संख्या में यह लोग शामिल थे, जो कि हॉस्टल और फुटकर व्यापार कोचिंग एरिया में काम करते हैं.
इन लोगों का कहना है कि 5000 करोड़ रुपए की कोचिंग इंडस्ट्री से डेढ़ लाख लोग जुड़े हुए हैं. सबका काम धंधा प्रभावित है. सरकार को सिनेमाघर खोलने की तो चिंता है, लेकिन कोचिंग संस्थान खोलने की चिंता नहीं है. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कलेक्ट्रेट के आसपास धरना-प्रदर्शन किसी को भी नहीं करने दिया जा रहा है. शहर में धारा 144 लगी हुई है. इसकी पालना करवाने के लिए ही उन्होंने इन लोगों को आने से रोका है.
हालांकि काफी देर तक गहमागहमी हॉस्टल संचालकों और प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस की होती रही, लेकिन पुलिस भी टस से मस नहीं हुई, यहां तक कि होटल संचालकों ने सड़क पर ही धरना शुरू कर दिया और करीब आधे घंटे तक सरकार के खिलाफ नारेबाजी का क्रम जारी रहा. बाद में पुलिस अधिकारियों की समझाइश से ही माने.
हॉस्टल संचालकों का कहना है कि करीब 50 से ज्यादा व्यापार कोचिंग से जुड़ा हुआ व्यापार हैं. यह सभी बंद हैं. ऐसे में सरकार कोचिंग खोलने के साथ-साथ गाइडलाइन भी बनाए और उनका समय-समय पर पालना भी देखें. उन्होंने कहा कि जिन बच्चों को वैक्सीन लग चुकी है, उन्हें कोचिंग में आकर ऑफलाइन पढ़ाई करने दिया जाए, क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई बच्चे नहीं कर पा रहे हैं, जबकि कोटा से ही उन्हें ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है.
अब यह सभी बच्चे कॉविड-19 का असर कम होने पर कोटा आकर पढ़ना चाह रहे हैं. इन सभी बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के अनुसार क्लासरूम टीचिंग दी जाएगी. हॉस्टल और बाजारों में भी पूरी तरह से कॉविड 19 के नियमों की पालना करवाई जाएगी. इसके बावजूद सरकार कोचिंग नहीं खोल रही है.
विरोध-प्रदर्शन में शामिल हॉस्टल संचालकों का कहना है कि पड़ोसी राज्यों में कोचिंग संस्थानों को खोल दिया गया है. वहां पर पढ़ाई भी शुरू हो गई है, लेकिन राजस्थान में सरकार हठधर्मिता पर अड़ी हुई है. मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बच्चों की पढ़ाई शुरू हो गई है, लेकिन यहां पर अभी भी बच्चे पढ़ने के लिए आना चाहते हैं, लेकिन सरकार नहीं खोल रही है. जबकि कोटा मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए सबसे उपयुक्त जगह है. यहां पर देशभर से लाखों विद्यार्थी अपना करियर बनाने के लिए आते हैं.
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प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कोटा कोचिंग और उससे जुड़े हुए व्यापार पूरे शहर का आर्थिक स्तंभ है, जो कि बीते डेढ़ सालों से बंद है. कोचिंग संस्थान से जुड़े व्यापार पूरी तरह से प्रभावित हैं. यहां काम करने वाले लोगों की भुखमरी जैसी हालत हो गई है. उन्हें उधार लेकर ही अपना काम चलाना पड़ रहा है. वह केवल अपने व्यापार की हक मांगने के लिए कलेक्ट्रेट जाकर मांग रखना चाह रहे थे.