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बारिश आई...स्कूल बंद...कोटा में सरकारी स्कूल के हाल

देश में आज भी कई सरकारी विद्यालयों के हाल बेहाल हैं. कोटा के नजदीक भीमपुरा सरकारी विद्यालय में छात्रों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही है.

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Published : Aug 2, 2019, 1:39 PM IST

कोटा. जिले के कैथून कस्बा स्थित भीमपुरा के सरकारी विद्यालय में छात्रों की संख्या 200 से 300 के बीच में है. छात्रों की संख्या को देखते हुए विद्यालय में कक्षाओं की कमी है. छात्रों को खुले में बैठाकर शिक्षण कराया जाता है. और गार्डन नेट लगाकर छाया की वैकल्पिक व्यवस्था कर उन्हें पढ़ाने का काम किया जाता है.

बरसात होने पर स्कूल कर देते हैं बंद

शाला के प्रधानाचार्य बताते हैं कि वह खुद और उनके स्टाफ द्वारा व्यवस्थाएं की जाती है. उसके बाद छात्रों को पढ़ाया जाता है. यदि ज्यादा बरसात हो जाती है तो छात्रों को तुरंत छुट्टी कर घर भेज दिया जाता है. ऐसे में बच्चों की शिक्षा का काम बाधित हो जाता है. विद्यालय के नए भवन निर्माण के लिए कई बार प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं. लेकिन, उस पर अभी तक कोई अमल होता नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में छात्रों को पुराना भवन है उसी में पढ़ना पड़ रहा है.

कोटा जिले के सरकारी विद्यालयों के हाल बेहाल

धाकड़ खेड़ी परिसीमन के बाद हुई थी नगर निगम में शामिल

बता दें कि धाकड़ खेड़ी पंचायत समिति हुआ करती थी पर परिसीमन के बाद वह नगर निगम में शामिल हो गई. उसके बाद भीमपुरा सबसे बड़ा इलाका था, इसे पंचायत समिति बनाकर यहां पर प्राथमिक विद्यालय को क्रमोन्नत कर उच्च माध्यमिक विद्यालय बनाया गया है. लेकिन, संसाधन एवं भवन में कक्षों की कमी साफ दिखाई देती है. यही नहीं विद्यालय परिसर में कई अव्यवस्थाएं हैं. भवन में कई जगह पानी भरा हुआ है वहीं पानी के गड्ढे के पास ही खुले में कक्षा संचालित होती हैं.

कोटा. जिले के कैथून कस्बा स्थित भीमपुरा के सरकारी विद्यालय में छात्रों की संख्या 200 से 300 के बीच में है. छात्रों की संख्या को देखते हुए विद्यालय में कक्षाओं की कमी है. छात्रों को खुले में बैठाकर शिक्षण कराया जाता है. और गार्डन नेट लगाकर छाया की वैकल्पिक व्यवस्था कर उन्हें पढ़ाने का काम किया जाता है.

बरसात होने पर स्कूल कर देते हैं बंद

शाला के प्रधानाचार्य बताते हैं कि वह खुद और उनके स्टाफ द्वारा व्यवस्थाएं की जाती है. उसके बाद छात्रों को पढ़ाया जाता है. यदि ज्यादा बरसात हो जाती है तो छात्रों को तुरंत छुट्टी कर घर भेज दिया जाता है. ऐसे में बच्चों की शिक्षा का काम बाधित हो जाता है. विद्यालय के नए भवन निर्माण के लिए कई बार प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं. लेकिन, उस पर अभी तक कोई अमल होता नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में छात्रों को पुराना भवन है उसी में पढ़ना पड़ रहा है.

कोटा जिले के सरकारी विद्यालयों के हाल बेहाल

धाकड़ खेड़ी परिसीमन के बाद हुई थी नगर निगम में शामिल

बता दें कि धाकड़ खेड़ी पंचायत समिति हुआ करती थी पर परिसीमन के बाद वह नगर निगम में शामिल हो गई. उसके बाद भीमपुरा सबसे बड़ा इलाका था, इसे पंचायत समिति बनाकर यहां पर प्राथमिक विद्यालय को क्रमोन्नत कर उच्च माध्यमिक विद्यालय बनाया गया है. लेकिन, संसाधन एवं भवन में कक्षों की कमी साफ दिखाई देती है. यही नहीं विद्यालय परिसर में कई अव्यवस्थाएं हैं. भवन में कई जगह पानी भरा हुआ है वहीं पानी के गड्ढे के पास ही खुले में कक्षा संचालित होती हैं.

Intro:सरकारी विद्यालयों के हाल बेहाल
गार्डन नेट की छांव में पढ़ रहे हैं छात्र
ज्यादा बरसात होने पर कर दी जाती है बच्चों की छुट्टी
जगह उपयुक्त नहीं फिर भी पढ़ा रहे हैं शिक्षा
कोटा,
भारत आज भले ही चांद तक पहुंच गया हो लेकिन भारत में आज भी कई सरकारी विद्यालय ऐसे हैं जहां शिक्षा केवल नाममात्र की रह गई ।आज भी कई सरकारी स्कूल ऐसे हैं जो कि छात्रों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं हम बात कर रहे हैं कोटा के नजदीक कैथून के भीमपुरा सरकारी विद्यालय की।
Body:कोटा जिले के कैथून कस्बे में भीमपुरा के सरकारी विद्यालय में छात्रों की संख्या 200 से 300 के बीच में है वाकई छात्रों की संख्या को देखते हुए विद्यालय में कक्षों की कमी है । छात्रों को या तो खुले में बिठाकर शिक्षण कार्य कराए जाता है या फिर गार्डन नेट लगाकर छाया की वैकल्पिक व्यवस्था कर उन्हें पढ़ाने का काम किया जाता है शाला के प्रधानाचार्य बताते हैं कि वह खुद और उनके स्टाफ द्वारा व्यवस्थाएं की जाती है उसके बाद छात्रों को पढ़ाया जाता है। यदि ज्यादा बरसात हो जाती है तो छात्रों को तुरंत छुट्टी कर घर भेज दिया जाता है ऐसे में बच्चों की शिक्षा का काम बाधित हो जाता है विद्यालय के नए भवन के लिए प्रस्तावित है लेकिन उसके भवन निर्माण के लिए कई बार प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं लेकिन उस पर अभी तक कोई अमल होती नजर नहीं आ रही है । ऐसे में छात्रों को पुराना भवन है उसी में पढ़ना पढ़ रहा है हम आपको बता दें कि धाकड़ खेड़ी पंचायत समिति हुआ करती थी परिसीमन के बाद वह नगर निगम में शामिल हो गई । उसके बाद भीमपुरा सबसे बड़ा इलाका था इसे पंचायत समिति बनाकर यहां पर प्राथमिक विद्यालय को क्रमोन्नत कर उच्च माध्यमिक विद्यालय बनाया गया है लेकिन संसाधन एवं भवन में कक्षों की कमी साफ दिखाई देती है यही नहीं विद्यालय परिसर में कई अव्यवस्थाएं हैं जो भी हमें साफ तौर पर दिखी भवन में कई जगह पानी भरा हुआ है वहीं पानी के गड्ढे के पास ही खुले में कक्षा संचालित होती नजर आई। बच्चा होने के बाद भी ग्रामीण इलाकों के छात्रों शिक्षा ग्रहण करने विद्यालय आ रहा है ।
Conclusion:सरकार उन छात्रों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करा पा रहे वहीं शिक्षा की आस लेकर विद्यालय आने वाले छात्र अपना भविष्य कैसे निखारेग यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा
बाईट-ब्रजराज सिंह हाड़ा, प्रधानाचार्य, सरकारी स्कूल
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