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कोटा में किडनी ट्रांसप्लांट के लिए लोग नहीं दिखा रहे रूचि, 8 महीने से बंद पड़ी है करोड़ों रुपए की लागत से बनी यूनिट - Medical Facility in New Kota Hospital

8 महीने पहले 9 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुई (Health Facility in Kota) किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट का उद्घाटन हो चुका है. लेकिन इसका उपयोग अब तक नहीं हो पाया है. इसका कारण यह है कि कोटा में किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर लोग रूचि नहीं दिखा रहे हैं. हालांकि, अब चिकित्सकों ने दो मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट जल्द करने का दावा कर रहे है.

kidney transplant unit in kota
8 महीने से करोड़ों की किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट है बंद
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Published : Apr 6, 2022, 6:00 PM IST

Updated : Apr 7, 2022, 3:36 PM IST

कोटा. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में करीब 9 करोड़ रुपए की लागत से किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट बनकर तैयार है. करीब 8 महीने पहले तत्कालीन चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने इसका उद्घाटन भी कर दिया था. यह जयपुर व जोधपुर के बाद यह तीसरा किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर है. लेकिन मरीज कोटा में किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर रूची नहीं दिखा रहे हैं. जिसके कारण इस यूनिट का अब तक उपयोग ही नहीं हो पाया है. वहीं, यूनिट मे अब तक नर्सिंग स्टॉफ की तैनाती भी नहीं की गई है.

हाड़ौती में करीब दो हजार से ज्यादा किडनी फेलियर के मरीज हैं. इनमें से अधिकांश मरीज हर सप्ताह डायलिसिस के लिए भी पहुंच रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके कोई भी यहां किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तैयार नहीं होता है. इस यूनिट के रख-रखाव में ही लाखों रुपए का खर्चा हो रहा है. इस यूनिट में करीब 7 करोड़ रुपए के उपकरण लगे हुए हैं, जिनको बार-बार चला कर देखा जाता है. क्योंकि उपयोग में नहीं लेने पर तकनीकी दिक्कत भी हो सकती है.

कई उपकरण ऐसे भी हैं, जिनकी गारंटी पीरियड (Kidney Transplant System in Kota) निकल चुकी है. दूसरी तरफ नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों का कहना है कि 2 मरीज किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तैयार हैं. इस महीने 1 मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट हो सकता है. इसकी प्लांनिग की जा रही है.

8 महीने से करोड़ों की किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट है बंद

आर्थिक स्थिति भी आती है आड़ेः नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों के मुताबिक हाड़ौती में करीब दो हजार के आसपास किडनी फेलियर के मरीज हर साल आते हैं. करीब 200 मरीज हर साल जयपुर, गुजरात व दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में ट्रांसप्लांट करवाकर आते हैं. ऐसे में हर महीने 12 से 15 मरीज बाहर जाकर किडनी ट्रांसप्लांट करवा रहे हैं, लेकिन कोटा में रूचि कम ही दिखा रहे हैं. नेफ्रोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. विकास खंडेलिया का कहना है कि उन्होंने करीब 70 से 80 मरीजों से इस संबंध में बात की है. अधिकांश मरीज आर्थिक स्थिति और डोनर नहीं मिलने के चलते ट्रांसप्लांट नहीं करा पाते हैं.

पढ़ें : Reality Check: सरकारी दावों की खुली पोल...मेडिकल कॉलेज कोटा के अस्पतालों में दवाओं का टोटा, बाहर से खरीदनी पड़ रही दवा

चिरंजीवी में फ्री, फिर भी नहीं रूचिः राज्य सरकार ने कैशलेस उपचार के तहत चिरंजीवी योजना में किडनी ट्रांसप्लांट को शामिल कर दिया है. हालांकि, इसे कई महीने हो गए हैं. जबकि बड़े सेंटरों पर यहां से उपचार कराने वाले मरीजों को 5 से 10 लाख रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं. इसके बावजूद भी कोटा में ट्रांसप्लांट कराने में मरीजों ने रूचि नहीं दिखाई है. ऑपरेशन व दवाओं का खर्चा चिरंजीवी योजना में नहीं होगा. हालांकि, एचएलए व जीएफआर (डीटीपीए) सहित कई जांच फिलहाल निःशुल्क नहीं है. इसमें करीब 35 से 50 हजार रुपए का खर्चा आ रहा है.

एसएमएस से भी अपग्रेड एचएलएल लैब स्थापितः किडनी ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी टिश्यू मैचिंग के लिए होने वाली जांच ह्यूमन ल्युकासाइट एंटीजन जांच के लिए भी एचएलएल नए अस्पताल के ब्लड बैंक में इंस्टाल की गई है. जल्द ही डॉक्टर और स्टाफ की ट्रेनिंग के साथ जरूरी औपचारिकता पूरी होगी. इसके बाद यह लैब काम करने लगेगी. लैब के प्रभारी डॉ. एचएल मीणा ने बताया कि 1 करोड़ 30 लाख रुपए की एचएलए लैब राज्य सरकार के संस्थानों में सबसे अपग्रेडेड है. एसएमएस अस्पताल जयपुर की लैब मैनुअली वर्क करती है, लेकिन यह ऑटोमेटिक है. जिसके जरिए किडनी डोनर और रिसिपिएंट के टिश्यू की मैचिंग की जाती है. साथ ही किडनी लेने व देने वाले दोनों के टिश्यू का जीनो टाइप टेस्ट, शरीर मे एंटीबॉडी की मात्रा देखी जाएगी.

अभी स्टाफ की कमी, मरीज आने-जाने पर करवा देंगेः मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील का कहना है कि यूनिट तैयार है. वहां पर इंचार्ज को पदस्थापित किया हुआ है, लेकिन अभी अस्पताल में स्टाफ कम हैं. नए अस्पताल से नर्सिंग स्टाफ सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में शिफ्ट किया हुआ है. ऐसे में जब सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक से स्टाफ वापस आ जाएगा, तब वे यूनिट के लिए शिफ्ट कर देंगे. हालांकि, इस बीच में अगर किडनी ट्रांसप्लांट होता है तो स्टॉफ की व्यवस्था सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक से भी की जा सकती है.

पढ़ें : Kota JK Loan Hospital: नवजातों की मौत के बाद सरकार ने किया था बदलाव का निश्चय, आज संतुष्टि कि कोटा का जेके लोन अस्पताल बना मॉडल-गहलोत

इधर, चिकित्सक का दावा, दो मरीज है तैयारः डॉ. विकास खंडेलिया ने यह भी दावा किया है कि उन्होंने 2 मरीजों को इसके लिए तैयार कर लिया है और पहला ट्रांसप्लांट इसी महीने किया जाना तय किया गया है. इनमें एक मरीज बूंदी जिले के नैनवा इलाके का रहने वाला गुमानाराम है. उसकी मां किडनी डोनेट करेगी. इनके लिए जरूरी एचएलए टाइपिंग जांच भी करवा ली गई है. जांच के अनुसार रिसिपिएंट्स की किडनी मरीज के ट्रांसप्लांट करके लगाई जा सकती है. ऐसे में जल्द ही यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सक सर्जरी करेंगे.

साथ ही डॉ. खंडेलिया ने यह भी बताया कि दूसरा मरीज भी कोटा का समीर खान है, जिसको उसकी पत्नी किडनी डोनेट करेगी. समीर खान की भी जांच पूरी हो गई है. यहां तक दोनों मरीज (Medical Facility in New Kota Hospita) राजस्थान स्टेट लेवल ऑथोराइजेशन कमेटी से सर्टिफिकेट भी लेकर आ गए हैं. जिसके बाद ही ट्रांसप्लांट रिसिपिएंट्स की किडनी निकाली जा सकती है.

कोटा. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में करीब 9 करोड़ रुपए की लागत से किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट बनकर तैयार है. करीब 8 महीने पहले तत्कालीन चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने इसका उद्घाटन भी कर दिया था. यह जयपुर व जोधपुर के बाद यह तीसरा किडनी ट्रांसप्लांट सेंटर है. लेकिन मरीज कोटा में किडनी ट्रांसप्लांट को लेकर रूची नहीं दिखा रहे हैं. जिसके कारण इस यूनिट का अब तक उपयोग ही नहीं हो पाया है. वहीं, यूनिट मे अब तक नर्सिंग स्टॉफ की तैनाती भी नहीं की गई है.

हाड़ौती में करीब दो हजार से ज्यादा किडनी फेलियर के मरीज हैं. इनमें से अधिकांश मरीज हर सप्ताह डायलिसिस के लिए भी पहुंच रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके कोई भी यहां किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तैयार नहीं होता है. इस यूनिट के रख-रखाव में ही लाखों रुपए का खर्चा हो रहा है. इस यूनिट में करीब 7 करोड़ रुपए के उपकरण लगे हुए हैं, जिनको बार-बार चला कर देखा जाता है. क्योंकि उपयोग में नहीं लेने पर तकनीकी दिक्कत भी हो सकती है.

कई उपकरण ऐसे भी हैं, जिनकी गारंटी पीरियड (Kidney Transplant System in Kota) निकल चुकी है. दूसरी तरफ नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों का कहना है कि 2 मरीज किडनी ट्रांसप्लांट के लिए तैयार हैं. इस महीने 1 मरीज का किडनी ट्रांसप्लांट हो सकता है. इसकी प्लांनिग की जा रही है.

8 महीने से करोड़ों की किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट है बंद

आर्थिक स्थिति भी आती है आड़ेः नेफ्रोलॉजी विभाग के चिकित्सकों के मुताबिक हाड़ौती में करीब दो हजार के आसपास किडनी फेलियर के मरीज हर साल आते हैं. करीब 200 मरीज हर साल जयपुर, गुजरात व दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में ट्रांसप्लांट करवाकर आते हैं. ऐसे में हर महीने 12 से 15 मरीज बाहर जाकर किडनी ट्रांसप्लांट करवा रहे हैं, लेकिन कोटा में रूचि कम ही दिखा रहे हैं. नेफ्रोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. विकास खंडेलिया का कहना है कि उन्होंने करीब 70 से 80 मरीजों से इस संबंध में बात की है. अधिकांश मरीज आर्थिक स्थिति और डोनर नहीं मिलने के चलते ट्रांसप्लांट नहीं करा पाते हैं.

पढ़ें : Reality Check: सरकारी दावों की खुली पोल...मेडिकल कॉलेज कोटा के अस्पतालों में दवाओं का टोटा, बाहर से खरीदनी पड़ रही दवा

चिरंजीवी में फ्री, फिर भी नहीं रूचिः राज्य सरकार ने कैशलेस उपचार के तहत चिरंजीवी योजना में किडनी ट्रांसप्लांट को शामिल कर दिया है. हालांकि, इसे कई महीने हो गए हैं. जबकि बड़े सेंटरों पर यहां से उपचार कराने वाले मरीजों को 5 से 10 लाख रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं. इसके बावजूद भी कोटा में ट्रांसप्लांट कराने में मरीजों ने रूचि नहीं दिखाई है. ऑपरेशन व दवाओं का खर्चा चिरंजीवी योजना में नहीं होगा. हालांकि, एचएलए व जीएफआर (डीटीपीए) सहित कई जांच फिलहाल निःशुल्क नहीं है. इसमें करीब 35 से 50 हजार रुपए का खर्चा आ रहा है.

एसएमएस से भी अपग्रेड एचएलएल लैब स्थापितः किडनी ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी टिश्यू मैचिंग के लिए होने वाली जांच ह्यूमन ल्युकासाइट एंटीजन जांच के लिए भी एचएलएल नए अस्पताल के ब्लड बैंक में इंस्टाल की गई है. जल्द ही डॉक्टर और स्टाफ की ट्रेनिंग के साथ जरूरी औपचारिकता पूरी होगी. इसके बाद यह लैब काम करने लगेगी. लैब के प्रभारी डॉ. एचएल मीणा ने बताया कि 1 करोड़ 30 लाख रुपए की एचएलए लैब राज्य सरकार के संस्थानों में सबसे अपग्रेडेड है. एसएमएस अस्पताल जयपुर की लैब मैनुअली वर्क करती है, लेकिन यह ऑटोमेटिक है. जिसके जरिए किडनी डोनर और रिसिपिएंट के टिश्यू की मैचिंग की जाती है. साथ ही किडनी लेने व देने वाले दोनों के टिश्यू का जीनो टाइप टेस्ट, शरीर मे एंटीबॉडी की मात्रा देखी जाएगी.

अभी स्टाफ की कमी, मरीज आने-जाने पर करवा देंगेः मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील का कहना है कि यूनिट तैयार है. वहां पर इंचार्ज को पदस्थापित किया हुआ है, लेकिन अभी अस्पताल में स्टाफ कम हैं. नए अस्पताल से नर्सिंग स्टाफ सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में शिफ्ट किया हुआ है. ऐसे में जब सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक से स्टाफ वापस आ जाएगा, तब वे यूनिट के लिए शिफ्ट कर देंगे. हालांकि, इस बीच में अगर किडनी ट्रांसप्लांट होता है तो स्टॉफ की व्यवस्था सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक से भी की जा सकती है.

पढ़ें : Kota JK Loan Hospital: नवजातों की मौत के बाद सरकार ने किया था बदलाव का निश्चय, आज संतुष्टि कि कोटा का जेके लोन अस्पताल बना मॉडल-गहलोत

इधर, चिकित्सक का दावा, दो मरीज है तैयारः डॉ. विकास खंडेलिया ने यह भी दावा किया है कि उन्होंने 2 मरीजों को इसके लिए तैयार कर लिया है और पहला ट्रांसप्लांट इसी महीने किया जाना तय किया गया है. इनमें एक मरीज बूंदी जिले के नैनवा इलाके का रहने वाला गुमानाराम है. उसकी मां किडनी डोनेट करेगी. इनके लिए जरूरी एचएलए टाइपिंग जांच भी करवा ली गई है. जांच के अनुसार रिसिपिएंट्स की किडनी मरीज के ट्रांसप्लांट करके लगाई जा सकती है. ऐसे में जल्द ही यूरोलॉजी विभाग के चिकित्सक सर्जरी करेंगे.

साथ ही डॉ. खंडेलिया ने यह भी बताया कि दूसरा मरीज भी कोटा का समीर खान है, जिसको उसकी पत्नी किडनी डोनेट करेगी. समीर खान की भी जांच पूरी हो गई है. यहां तक दोनों मरीज (Medical Facility in New Kota Hospita) राजस्थान स्टेट लेवल ऑथोराइजेशन कमेटी से सर्टिफिकेट भी लेकर आ गए हैं. जिसके बाद ही ट्रांसप्लांट रिसिपिएंट्स की किडनी निकाली जा सकती है.

Last Updated : Apr 7, 2022, 3:36 PM IST
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