कोटा. चंबल नदी पर बनने वाले 400 करोड़ रुपए की लागत से हेरिटेज रिवरफ्रंट की घोषणा को लगभग 1 साल होने को हैं. लेकिन अभी तक महज डीपीआर बनने का काम और टेंडर ही हो पाए हैं. यह टेंडर प्रक्रिया भी पूरी तो हो चुकी है, लेकिन गहलोत सरकार के स्वीकृति की इंतजार कर रही है.
ऐसे में घोषणा के करीब 10 महीने बाद भी, एक भी पत्थर रिवरफ्रंट का निर्माण एजेंसी नगर विकास न्यास नहीं रखवा पाया है. यूआईटी के अधिकारियों का कहना है कि पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार ने 5 करोड़ रुपए की राशि डीपीआर के लिए जारी कर दी थी, जिससे डीपीआर बनाने का कार्य पूरा हो चुका है. टेंडर भी आमंत्रित कर लिए थे और तकनीकी स्वीकृति भी ट्रस्ट के माध्यम से मंजूर कर ली गई है. यह टेंडर राज्य सरकार से मंजूरी के लिए भेजे गए हैं. मंजूर होते ही मौके पर काम शुरू करवा दिया जाएगा.
175 करोड़ से बनेगी प्रोटेक्शन वॉल...
चंबल रिवरफ्रंट में पहले चरण के लिए 175 करोड़ रुपए की लागत से नदी के दोनों किनारों पर प्रोटेक्शन वॉल का निर्माण किया जा रहा है. इसके टेंडर को राज्य सरकार के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया है. इस कार्य के पूरा हो जाने के बाद ही द्वितीय चरण का कार्य शुरू होगा, जिसके अंदर हेरिटेज बिल्डिंग, पार्क, स्टेच्यू और कैफेटेरिया बनाए जाएंगे.
दिसंबर महीने में फाइनल हुई डीपीआर, प्रजेंटेशन भी हुआ...
रिवरफ्रंट के कंसलटेंट ने मंत्री शांति धारीवाल की उपस्थिति में कोटा शहर वासियों के सामने दिसंबर महीने में डीपीआर का प्रजेंटेशन भी किया. इसमें दावा किया है कि चंबल नदी से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जिसके चलते किनारे तबाह हो गए थे. लेकिन चंबल रिवरफ्रंट फ्लड कंट्रोल का भी काम करेगा.
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उन्होंने कहा कि इसको इस तरह से डिजाइन किया जा रहा है. कोटा बैराज से जिस तरह से पानी छोड़ा जाएगा. उस तरह ही इसमें स्टेप्स बनाए जाएंगे, जो पानी में डूब जाएंगे और उसमें अच्छी क्वालिटी के पत्थर और मजबूती से काम किया जाएगा, जो पानी में बहेगा भी नहीं.
मुगल गार्डन जैसा पार्क में बनेगा चंबल मां स्टेच्यू...
चंबल के हेरिटेज रिवरफ्रंट के निर्माण में आर्किटेक्ट दावा कर रहे हैं कि वे हर संभाग की कला को यहां पर प्रदर्शित करेंगे. इसमें मारवाड़ की कला के भी हेरिटेज लुक की महल, छतरियां और दरवाजे बनाए जाएंगे. इसके अलावा मेवाड़, बृज, शेखावाटी और हाड़ौती की डिजाइन भी जगह-जगह लगाई जाएगी.
उन्होंने कहा कि जो पुराने घाट या जगह हैं, उनसे कोई छेड़छाड़ नहीं होगी. इसमें चंबल माता स्टेच्यू के साथ-साथ कई जगह पर फ़ूड कोर्ट बनेंगे और लोगों को बैठकर चंबल को निहारने का भी मौका यहां से दिया जाएगा.