कोटा. प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है. सुप्रीम कोर्ट की बजरी पर रोक है, लेकिन खनन विभाग के अधिकारियों की अनदेखी के कारण खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हैं. बजरी माफियाओं ने बजरी निकासी के लिए एक प्लांट ही लगा लिया है.
यह प्लांट वैसे तो बूंदी जिले में स्थित है, लेकिन कोटा खनन विभाग के अधिकारियों के अधीन है. यह प्लांट झालीजी का बराना में मेज नदी पर लगा हुआ है. यहां से हजारों टन बजरी अवैध रूप से निकाली जा रही है. बजरी को डंपर और ट्रैक्टर ट्रॉली से आसपास के इलाके में भेज दिया जाता है. यहां से सर्वाधिक बजरी कोटा शहर में आती है, लेकिन खनन विभाग के अधिकारियों ने शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की.
शिकायत पर केवल नोटिस देकर इतिश्री
बजरी माफियाओं पर अधिकारी इतने मेहरबान हैं, कि सब कुछ जानकारी के बावजूद आंखें बंद किए हुए हैं. ग्रामीणों ने इस प्लांट की शिकायत की, उसके बाद कोटा माइनिंग इंजीनियर के निर्देश पर प्लांट की जांच के लिए फोरमैन गए. खनन विभाग के कार्मिक वहां जाकर सर्वे किए और अवैध प्लांट की शिकायत पर जांच भी की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.
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दिसंबर महीने में हुई जांच में सामने आया, कि अवैध बजरी मेज नदी से निकाली जा रही है और उसका स्टॉक भी किया हुआ है. विभाग के अधिकारियों ने केवल कारण बताओ नोटिस जारी कर इतिश्री कर ली. वहीं जिस व्यक्ति को नोटिस दिया गया, उसने जवाब में कह दिया कि मेरा यह प्लांट नहीं है.
बजरी के तौल के लिए लगा रखा है धर्म कांटा
बजरी माफियाओं ने बजरी कैप्टन से तौल के लिए धर्म कांटा भी स्थापित किया हुआ है. जेवीवीएनएल ने भी बिजली प्लांट को हाई लोड का कनेक्शन जारी किया हुआ है. रात को मशीनें चलाकर अवैध बजरी का दोहन किया जाता है और उसे छानकर डंपर में भरकर खड़ा कर दिया जाता है. वह डंपर बूंदी, कोटा और बारां के लिए निकल जाते हैं.
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अब कह रहे है कार्रवाई करेंगे
खनन विभाग के अधिकारियों का कहना है, कि जिस व्यक्ति का सुप्रीम कोर्ट की रोक के पहले बजरी का प्लांट था, उसके ही बजरी निकासी की शिकायत पर जांच की थी. जांच में बजरी मिली भी थी, लेकिन उस व्यक्ति ने लिखकर दे दिया है कि वह प्लांट मेरा नहीं है. अब बिजली के बिल और प्रशासन से भू उपयोग रूपांतरण के कागज लेकर कार्रवाई करेंगे.