कोटा. हाड़ौती में इस बार औसत बारिश से ज्यादा बारिश हुई है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश में हुई बारिश के चलते नदियां काफी उफान पर रही थीं और कई कस्बों और गांवों में बाढ़ जैसे हालात हो गए थे. कई लोगों को नुकसान भी हुआ है. सैकड़ों लोगों के मकान इस बारिश में ही बिखर गए हैं. वहीं, सड़कों और पुलिया को भी काफी नुकसान हुआ है. यहां तक कि निर्माणाधीन या पुराने पुल का हाई फ्लड लेवल भी क्रॉस कर गया है. ऐसे में कोटा संभाग में चार ब्रिज के एचएफएल बदलने से ऊंचाई बढ़ेगी या फिर उनकी डिजाइन बदली जा सकती है.
कालीसिंध और सूखनी के ब्रिज का बदलेगी ऊंचाई या डिजाइन : पीडब्ल्यूडी कोटा के अधीक्षण अभियंता राजेश कुमार सोनी के अनुसार (High Flood Level of Sukhni River) इटावा इलाके में सुखनी नदी का हाई फ्लड लेवल बदल गया है. ऐसे में अब इस पर आगे का निर्णय लिया जाना है कि ऊंचाई बढ़ेगी या नहीं. हो सकता है इस ब्रिज को हाई लेवल की जगह समर्सिबल बनाया जाए.
इटावा के अधिशासी अभियंता मुकेश मीणा के अनुसार यह ब्रिज 28 करोड़ से बन रहा है, जिसकी लंबाई करीब 450 मीटर है. इसी तरह से कालीसिंध नदी पर बन रहे कैथून-राजपुरा-बालाजी की थाक-अडूसा सड़क मार्ग पर करीब 38 करोड़ से उच्च स्तरीय पुल बन रहा है. इस ब्रिज पर भी हाई फ्लड लेवल बदल गया. सांगोद के अधिशासी अभियंता कमल शर्मा का कहना है कि इसके टेंडर इसी महीने में खोले जाने हैं, जिनकी प्रक्रिया जारी है. पानी इस बार एचएफएल को क्रॉस कर गया था. ऐसे में ऊंचाई बढ़ा दी जाएगी.
अंता सीसवाली के बीच भी बदलेगी ब्रिज की ऊंचाई : पीडब्ल्यूडी के बारां के अधीक्षण अभियंता सीआर क्षोत्रिय का कहना है कि बारां जिले में एक ब्रिज अंता से सीसवाली के बीच में 20 करोड़ की लागत से बन रहा है. यह खाड़ी पर बन रहे ब्रिज का एचएफएल इस बारिश में क्रॉस हो गया है. ऐसे में अब इस ब्रिज की डिजाइन और ऊंचाई को बदला. यह ब्रिज करीब 20 करोड़ की लागत से बन रहा है, जिसके टेंडर भी जुलाई महीने में जारी कर दिए गए थे. इसी तरह से झालावाड़ के भवानी मंडी इलाके में आहू नदी पर पगारिया के नजदीक हाई लेवल ब्रिज बन रहा है. जिसका एचएफएल 2020 की बाढ़ में ही बदल गया था. ऐसे में अब इस ब्रिज के लिए दोबारा टेंडर किए गए हैं.
प्रदेश के सबसे लंबे ब्रिज का भी एचएफएल हुआ क्रॉस : प्रदेश का सबसे लंबा ब्रिज (Bridge Under Construction in Kota) कोटा के गैंता व बूंदी के माखीदा के बीच चंबल नदी पर बना हुआ है. यह 165 करोड़ रुपए की लागत से बनकर 2018 में तैयार हुआ था. यह करीब 1562 किलोमीटर लंबा है. इसका भी एचएफएल क्रॉस कर गया है, जबकि इस ब्रिज की कुल ऊंचाई 35 मीटर यानी कि करीब 115 फीट के आसपास है. ऐसे में ब्रिज के स्लैब से करीब डेढ़ मीटर नीचे पानी आ गया था.
कोटा जिले की 157 पुल टूटे या पहुंचा नुकसान : इधर, दूसरी तरफ भारी बारिश के चलते (Heavy Roads Damage to Roads in Hadoti) कोटा जिले के छोटी बड़ी 157 पुलिया को नुकसान पहुंचा है, जिनको दुरुस्त या मरम्मत करने के लिए तात्कालिक 55 करोड़ रुपए की आवश्यकता है. इनमें कोटा से सांगोद इलाके में 27, कनवास में 21, लाडपुरा में 18, सांगोद में 38, पीपल्दा में 48 और रामगंजमंडी की 9 पुलिया शामिल हैं.
बारिश से खराब हुई 1287 किलोमीटर सड़कें : कोटा जिले में करीब 1287 किलोमीटर सड़कों में पेच रिपेयर की आवश्यकता बारिश के चलते आ गई है. इन सड़कों के लिए करीब 8.77 करोड़ रुपए की आवश्यकता है. इनमें सर्वाधिक खराबा पीपल्दा इलाके में 326 किलोमीटर हुआ है. इसके बाद दीगोद में 262, लाडपुरा में 195, कनवास में 182, सांगोद में 169 और रामगंज मंडी में 153 किलोमीटर सड़कें खराब हुई है.
मध्य प्रदेश सरकार ने बदली डिजाइन : कोटा शिवपुर स्टेट हाईवे पर मध्य प्रदेश सरकार पार्वती नदी की पुलिया पर खातोली के नजदीक पुल बना रही है. वर्तमान में रपट वाला पुल है, जिस पर करीब 45 फीट तक पानी ऊपर आ जाता है. किसके पास एक नया पुल मध्य प्रदेश सरकार बना रही है. इस पुल पर निर्माण जारी है, लेकिन बीते साल बन रहे पिलर भी पानी में डूब गए थे. यहां पानी काफी मात्रा में पानी आ गया था. ऐसे में इसका एचएफएल गड़बड़ा गया था. जिसके चलते मध्य प्रदेश सरकार ने इस ब्रिज को हाई लेवल की जगह समर्सिबल में तब्दील कर दिया है. इस बार हुई बारिश में भी इस ब्रिज के निर्माण किए गए पिलर नदी के बहाव में नजर नहीं आ रहे थे.
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क्या है समर्सिबल और हाई लेवल ब्रिज में अंतर : अधिशासी अभियंता मुकेश मीणा ने बताया कि हाई लेवल ब्रिज में बीते 100 सालों में आए हुए पानी के स्तर से डेढ़ मीटर ऊंचाई बढ़ाकर बताया जाता है, जिसमें पिलर पर यह ब्रिज होता है. लेकिन इसके स्लैब और स्पान आपस में नहीं जुड़े हुए रहते हैं. हाई लेवल ब्रिज की कॉस्टिंग काफी ज्यादा आती है. क्योंकि ऊंचाई काफी ज्यादा रहती है. ऐसे ब्रिज पर भारी बारिश के दौरान नदियों के उफान में होने पर भी आसानी से निकला जा सकता है. रास्ता बंद होने की समस्या नहीं रहती है. ऐसे में इन ब्रिज पर बनाई गई सड़क भी कई सालों तक खराब नहीं होती हैं. यह ब्रिज जमीन नदियों के पेंदे से 10 मंजिल 100 फीट से भी ज्यादा ऊंचे होते हैं.
जबकि समर्सिबल ब्रिज की ऊंचाई ज्यादा नहीं होती है. इन ब्रिज के पिलर से स्लेब व स्पान को जोड़ा जाता है. जिनमें पिलर के सरिए के जरिए कनेक्शन किया जाता है और उसके बाद इनका निर्माण होता है. बारिश में भी इन चीजों को ज्यादा खतरा नहीं होता है. यह ज्यादा ऊंचाई पर भी नहीं रहते हैं. ऐसे में पानी ऊपर आ जाने पर भी नुकसान नहीं होता है. हालांकि, ऊंचाई ज्यादा नहीं होने के चलते बारिश के दौरान ब्रिज पर पानी आ जाने के चलते यातायात रुक जाता है. दूसरा इस पर बनी हुई सड़क भी हर बारिश में खराब हो जाती है. इनका खर्चा भी ज्यादा नहीं होता है.