कोटा. जिले में शनिवार को सीएडी सर्किल के नजदीक एक हथिनी डिहाइड्रेशन का शिकार होकर नीचे गिर गई. जिसे पर्याप्त उपचार नहीं मिलने के कारण हथिनी की मौत हो गई . इस दौरान लोगों ने इसके लिए वन विभाग पर आरोप लगाया है. सूचना मिलने के ढाई घंटे बाद भी अधिकारी और चिकित्सक मौके पर नहीं पहुंचे. ऐसे में हथिनी को नहीं बचाया जा सका.
जानकारी के अनुसार पिछले 40 सालों से कोटा में ही अपने महावत के साथ रहने वाली हथिनी "गंगा" आज सीएडी सर्किल के नजदीक से गुजर रही थी. जो डिहाईड्रेशन का शिकार होकर तेज धूप के कारण चक्कर खाकर नीचे गिर गई. हथिनी गंगा को नीचे गिरा देखकर सैकड़ों की संख्या में लोग इकट्ठा हो गए. लोगों ने गंगा यानी हथिनी को फिर से खड़ा करने के लिए क्रेन मंगवाई और हथिनी को खड़ा करने का प्रयास किया गया लेकिन लोग इसमें असफल हुए. सूचना मिलने पर ह्यूमन हेल्पलाइन की टीम मौके पर पहुंची और वन विभाग के लोगों को सूचना दी. इसके बावजूद भी ढाई घंटे तक वन विभाग के अधिकारी और चिकित्सक मौके पर नहीं पहुंचे.
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ह्यूमन हेल्पलाइन टीम ने पूर्व में कोटा में तैनात एक चिकित्सक अखिलेश पांडे को तुरंत घर से लाया गया और तब हथिनी का इलाज शुरू हुआ. इलाज शुरु होने के थोड़ी देर बाद हथिनी ने अपना दम तोड़ दिया.
इस पर लोगों का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही के चलते ही हथिनी की मौत हुई है. अगर उसे उचित समय पर उपचार मुहैया करा दिया जाता, तो वह आज जिंदा होती. वहीं उपचार करने पहुंचे डॉ. अखिलेश पांडे का कहना है कि हथिनी को डिहाईड्रेशन हुआ था, पीठ पर एक घाव था, जिसमें इंफेक्शन हो चुका है.
ह्यूमन हेल्पलाइन के अध्यक्ष मनोज जैन आदिनाथ का कहना है कि उन्होंने काफी कोशिश की हथिनी को बचाने की, लेकिन वह संभव नहीं हुए. उन्होंने कही कि वन विभाग के अधिकारियों ने बिल्कुल भी सहयोग नहीं किया. ऐसे अधिकारी और चिकित्सकों को सस्पेंड किया जाना चाहिए.