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कोटा: दिवाली पर गुर्जर समाज ने भरा सांठ, पितरों का किया तर्पण

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Published : Nov 14, 2020, 7:35 PM IST

कोटा में दिवाली पर्व पर गुर्जर समाज के लोगों ने जलाशयों पर पहुंच कर पितरों का तर्पण किया. साथ ही घर से बनाकर लाए खाने से भोग लगाया.

Kota News,  Gurjar community filled santh
गुर्जर समाज ने भरा सांठ

कोटा. दिवाली पर्व पर गुर्जर समाज के लोग धार्मिक परंपरा का निर्वाह करते हुए शनिवार को कोटा के शिवपुरा स्थित चंबल नदी के घाट पर पहुंचे. यहां पर उन्होंने अपने पितरों को याद कर उन्हें तर्पण किया. उसके बाद सांठ भरने की रस्म अदा की.

गुर्जर समाज ने भरा सांठ

गुर्जर समाज दिवाली पर मनाता है श्राद्ध

गुर्जर समाज के लोगों का मानना है कि पूर्व में जब गुर्जर समाज के लोगों के पास अधिक संख्या में गाय-भैंस हुआ करती थी, तब वह अपने मवेशियों को लेकर चराने पर रहते थे. इसीलिए श्राद्ध पक्ष में वह अपने परिवार से नहीं मिल पाते थे. ऐसे में समाज के लोगों को एक धारा में जोड़ने के लिए इस तरह का कार्यक्रम बनाया, जिसको प्रतिवर्ष दीपावली की अमावस्या पर निभाया जाता है. इस दिन पित्रों को घर से बना कर लाए गए व्यंजनों का भोग लगाकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है.

पढ़ें- जोधपुर: दिवाली पर प्रशासन सतर्क, पटाखों पर बैन के बाद भी तैनात रहेंगे अग्निशमन वाहन

भीतरिया कुंड स्थित चंबल नदी पर बने घाट पर गुर्जर समाज के लोग एकत्रित हुए और घर से बनाकर लाए भोजन को बड़े बर्तन में मिलाकर सभी एक साथ इकट्ठा होकर पितरों का तर्पण किया और एक दूसरे को बधाई दी. गुर्जर समुदाय के लोगों ने बताया कि यह परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है, जिससे समाज में कुल की एकता बनी रहे और सारा समाज एक जगह एकत्रित होकर पितरों का तर्पण कर सके.

कोटा. दिवाली पर्व पर गुर्जर समाज के लोग धार्मिक परंपरा का निर्वाह करते हुए शनिवार को कोटा के शिवपुरा स्थित चंबल नदी के घाट पर पहुंचे. यहां पर उन्होंने अपने पितरों को याद कर उन्हें तर्पण किया. उसके बाद सांठ भरने की रस्म अदा की.

गुर्जर समाज ने भरा सांठ

गुर्जर समाज दिवाली पर मनाता है श्राद्ध

गुर्जर समाज के लोगों का मानना है कि पूर्व में जब गुर्जर समाज के लोगों के पास अधिक संख्या में गाय-भैंस हुआ करती थी, तब वह अपने मवेशियों को लेकर चराने पर रहते थे. इसीलिए श्राद्ध पक्ष में वह अपने परिवार से नहीं मिल पाते थे. ऐसे में समाज के लोगों को एक धारा में जोड़ने के लिए इस तरह का कार्यक्रम बनाया, जिसको प्रतिवर्ष दीपावली की अमावस्या पर निभाया जाता है. इस दिन पित्रों को घर से बना कर लाए गए व्यंजनों का भोग लगाकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है.

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भीतरिया कुंड स्थित चंबल नदी पर बने घाट पर गुर्जर समाज के लोग एकत्रित हुए और घर से बनाकर लाए भोजन को बड़े बर्तन में मिलाकर सभी एक साथ इकट्ठा होकर पितरों का तर्पण किया और एक दूसरे को बधाई दी. गुर्जर समुदाय के लोगों ने बताया कि यह परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है, जिससे समाज में कुल की एकता बनी रहे और सारा समाज एक जगह एकत्रित होकर पितरों का तर्पण कर सके.

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