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Kota Snake Park: कोटा में बन रहा देश का पहला स्नेक पार्क, 10 करोड़ में बसेगी सांपों की अद्भुत दुनिया

कोटा में राजस्थान और देश का पहला स्नेक पार्क तैयार हो रहा है. यहां करीब 35 प्रजातियों के सांपों को रखा जाएगा. 10 करोड़ की लागत (Kota Snake Park being built by 10 crores) से इस स्नेक पार्क (Kota snake park) को तैयार किया जा रहा है. पार्क के भवन का लुक भी स्नेक के आकार की तरह ही दिया जा रहा है. यहां सेमिनार हॉल म्यूजिकल शो के जरिए सांपों की विभिन्न प्रजातियों के बारे में जानकारियां भी दी जाएंगी.

Kota snake park
देश का पहला स्नेक पार्क
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Published : Apr 22, 2022, 6:29 PM IST

Updated : Apr 22, 2022, 8:41 PM IST

कोटा. प्रदेश के साथ ही देश का पहला इंडिपेंडेंट स्नेक पार्क कोटा (Kota snake park) में तैयार किया जा रहा है. राजस्थान का यह पहला स्नेक पार्क होगा जहां पर करीब 35 प्रजातियों के सांपों को रखा जाएगा. इस स्नेक वर्ल्ड में तकरीबन 500 से अधिक सांप होंगे. 10 करोड़ की लागत से बन रहे इस स्नेक पार्क (Kota Snake Park being built by 10 crores) का निर्माण काफी तेज गति से चल रहा है. अफसरों का मानना है कि स्नेक पार्क बनने से जिले के पर्यटन व्यवसाय में निश्चित तौर पर बढ़ोतरी होगी.

नगर विकास न्यास और स्मार्ट सिटी के तहत कोटा शहर में कई यूनिक निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं. इनमें से एक डेडीकेटेड स्नेक पार्क का निर्माण कार्य भी चल रहा है. इसे बूंदी रोड पर स्थित नगर विकास न्यास के हर्बल पार्क में तैयार किया जा रहा है. खास बात यह है कि स्नेक पार्क को सर्प का स्वरूप दिया गया है. सांप की तरह ही उसे बनाया गया है. पार्क के साथ ही यहां शेषनाग की प्रतिमा लगाकर फाउंटेन भी बनाया जा रहा है जिससे यह और भी आकर्षक दिखेगा.

देश का पहला स्नेक पार्क

पढ़ें. City Park work in progress: 3 महीने बाद आम जनता के वॉकिंग के लिए शुरू कर दिया जाएगा प्रदेश का सबसे बड़ा सिटी पार्क

एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में 250 से ज्यादा प्रजाति के सांप पाए जाते हैं. इनमें से करीब 70 प्रजाति के सांपों को ही स्नेक पार्क में रखने की अनुमति मिली है. जबकि कोटा के स्नेक पार्क में स्वीकृत प्रजातियों में 50 फीसदी यानी करीब 35 प्रजाति के सांप फिलहाल रखे जाएंगे. नगर विकास न्यास के विशेषाधिकारी आरडी मीणा ने बताया कि हिंदुस्तान के परिप्रेक्ष्य में कई यूनीक चीजें कोटा में बनने जा रही हैं. इनमें रिवरफ्रंट भी शामिल है. उन्होंने कहा कि कोटा सिटी पार्क भी वर्ल्ड क्लास है.

Kota snake park
स्नेक पार्क को दिया जा रहा आकार

दो से तीन माह में पूरा हो जाएगा कार्य
इसी तरह से स्नेक पार्क भी अपने आप में यूनीक होगा. देश में पाई जाने वाली सांपों की ज्यादा से ज्यादा प्रजातियां यहां लाकर रखी जा सकती हैं. सबको यहां पर मंगवाया जा रहा है. इसे बाहर से इस तरह का स्वरूप दिया है कि यह स्नेह की तरफ से नजर आता है. वहीं शेषनाग की प्रतिमा भी यहां लगाई जाएगी. मैं समझता हूं कि कोटा के लिए यह महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र भी बनने जा रहा है. यहां निर्माण चल रहा है 2 से 3 महीने में काम पूरा होगा. औपचारिकताएं भी जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से पूरी होती हैं जिसकी प्रक्रिया अभी चल रही है. जल्द ही इसकी औपचारिक स्वीकृति मिलने के बाद इसे यूनिक पार्क के रूप में दर्शकों के लिए शुरू कर दिया जाएगा.

पढ़ें. लोगों को तनाव मुक्त रखेगा कोटा का सिटी पार्क...मेड्रिड के रेट्रो और न्यूयॉर्क के सिटी पार्क की दिखेगी झलक, 90 फीसदी काम पूरा

कई तरह के रेप्टाइल लाने की योजना
सर्प विशेषज्ञ विनीत महोबिया का कहना है कि किंग कोबरा, कोबरा, क्रेट, वाइपर, रसेल वाइपर की अलग-अलग कैटेगरी यहां होगी. इसके अलावा बिना जहर वाले सांप भी यहां पर प्रदर्शित होंगे. इनमें धामन, चकलोन, सेंटगुआ शामिल हैं. वहीं पानी वाले सांप में कील ब्लैक सहित अन्य प्रजाति भी शामिल होंगी. इसके अलावा स्नेक पार्क के पूरे विकसित होने के बाद यहां पर विदेशी प्रजाति के सांपों को भी भविष्य में लाया जा सकता है. कई प्रजातियों के रेप्टाइल्स भी यहां पर रखे जाएंगे. कोटा संभाग में घड़ियाल सेंचुरी भी है. ऐसे में कई तरह के मगरमच्छ यहां पर हैं जिन्हें इस स्नेक पार्क में जगह दी जाएगी. इनमें गोयरा और ऑटर सहित कई रेप्टाइल भी लाए जाएंगे.

Kota snake park
निर्माण कार्य में लगे कर्मचारी

सेंट्रल जू अथॉरिटी की अनुमति से होगा संचालित
विनीत महोबिया का कहना है कि नगर विकास न्यास, फॉरेस्ट, वाइल्डलाइफ और डिपार्टमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग का सहयोग है. सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया की परमीशन के तहत ही स्नेक पार्क का संचालन होगा. इसमें जहरीले और बिना जहरीले दोनों तरह के सांप रखे जा सकेंगे. सबसे जरूरू तथ्य ये है कि देश में मिलने वाले सांप और उनकी प्रजातियों के बारे में लोगों को जानकारी दी जाएगी. वर्तमान में चेन्नई, बेंगलुरु, पुणे, कोलकाता और अहमदाबाद में स्नेक पार्क बने हुए हैं, लेकिन यह सभी बायोलॉजिकल या जूलॉजिकल पार्क साथ में संचालित किए जा रहे हैं जहां इतनी बड़ी संख्या में स्नेक मौजूद नहीं है.

पढ़ें. माचिया सफारी पार्क से खुश खबर! 6 साल बाद ऑस्ट्रेलियन पक्षी एमू का बढ़ा कुनबा

अजगर के लिए बना रहे हैबिटेट, नजदीक से देख सकेंगे एक्टिविटी
स्नेक पार्क में अजगर को भी जगह दी जाएगी. उसकी साइज को देखते हुए बड़ा ब्लॉक उसके लिए बनाया जा रहा है जिससे पूरी तरह से हैबिटेट का स्वरूप दिया जाना है ताकि वह वहां पर अच्छी तरह से रह सके. सांपों को रखने के लिए आरसीसी के बड़े-बड़े ब्लॉक बनाए गए हैं जिनको तीन तरफ से आरसीसी से कवर किया गया है साथ ही एक तरफ कांच लगाए जाएंगे ताकि यहां आने वाले लोग सांप को जाकर सीधा देख सकें. इन ब्लॉक में नीचे की तरफ मिटटी भरी जाएगी जिससे सांपों को प्राकृतिक वातावरण मिल सके.

स्टूडेंट्स कर सकेंगे रिसर्च, सीखेंगे रेस्क्यू के तरीके
देश भर से जूलॉजी, वाइल्ड लाइफ, फॉरेस्ट और एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर के स्टूडेंट यहां पर आएंगे. वे रिसर्च और एजुकेशन रेप्टाइल के बारे में जानकारी ले सकेंगे. अभी भी कई प्रजाति के सांपों के बारे में रिसर्च की जरूरत है. वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत स्नेक रेस्क्यू के नए तरीकों के बारे में भी नई जानकारी दी जाएगी. भारत में स्थित फैक्ट्रियों के सुरक्षा कार्मिकों को भी स्नेक रेस्क्यू सिखाया जाएगा. इन्हें सांपों को बचाना और स्नेक बाइट के बाद क्या प्राथमिक उपचार लेना है इसका प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

पढ़ें. भीलवाड़ा: गांव में भी शहर जैसा पार्क हुआ विकसित, बना आकर्षण का केंद्र

सांपों की उत्पत्ति को समझ सकेंगे बच्चे
स्नेक पार्क के साथ ही एक विशेष प्रकार का म्यूजिक वीडियो भी बनाया जा रहा है जिसमें सांपों की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान स्वरूप तक प्रदर्शित किया जाएगा. इसके साथ ही इसका डिजिटल प्रेजेंटेशन भी किया जाएगा. सांपों के इतिहास के बारे में भी बताया जाएगा. इसके लिए यहां पर एक बड़ा सेमिनार हॉल भी बनाया जा रहा है. इसके साथ ही आईटी की मदद से पूरा प्रेजेंटेशन रूम तैयार हो रहा है. स्नेक पार्क में सांपों की पूरी गतिविधियों की मॉनिटरिंग होगी और इसे विजिटर्स को दिखाई दी जाएगी.

कोटा. प्रदेश के साथ ही देश का पहला इंडिपेंडेंट स्नेक पार्क कोटा (Kota snake park) में तैयार किया जा रहा है. राजस्थान का यह पहला स्नेक पार्क होगा जहां पर करीब 35 प्रजातियों के सांपों को रखा जाएगा. इस स्नेक वर्ल्ड में तकरीबन 500 से अधिक सांप होंगे. 10 करोड़ की लागत से बन रहे इस स्नेक पार्क (Kota Snake Park being built by 10 crores) का निर्माण काफी तेज गति से चल रहा है. अफसरों का मानना है कि स्नेक पार्क बनने से जिले के पर्यटन व्यवसाय में निश्चित तौर पर बढ़ोतरी होगी.

नगर विकास न्यास और स्मार्ट सिटी के तहत कोटा शहर में कई यूनिक निर्माण कार्य करवाए जा रहे हैं. इनमें से एक डेडीकेटेड स्नेक पार्क का निर्माण कार्य भी चल रहा है. इसे बूंदी रोड पर स्थित नगर विकास न्यास के हर्बल पार्क में तैयार किया जा रहा है. खास बात यह है कि स्नेक पार्क को सर्प का स्वरूप दिया गया है. सांप की तरह ही उसे बनाया गया है. पार्क के साथ ही यहां शेषनाग की प्रतिमा लगाकर फाउंटेन भी बनाया जा रहा है जिससे यह और भी आकर्षक दिखेगा.

देश का पहला स्नेक पार्क

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एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में 250 से ज्यादा प्रजाति के सांप पाए जाते हैं. इनमें से करीब 70 प्रजाति के सांपों को ही स्नेक पार्क में रखने की अनुमति मिली है. जबकि कोटा के स्नेक पार्क में स्वीकृत प्रजातियों में 50 फीसदी यानी करीब 35 प्रजाति के सांप फिलहाल रखे जाएंगे. नगर विकास न्यास के विशेषाधिकारी आरडी मीणा ने बताया कि हिंदुस्तान के परिप्रेक्ष्य में कई यूनीक चीजें कोटा में बनने जा रही हैं. इनमें रिवरफ्रंट भी शामिल है. उन्होंने कहा कि कोटा सिटी पार्क भी वर्ल्ड क्लास है.

Kota snake park
स्नेक पार्क को दिया जा रहा आकार

दो से तीन माह में पूरा हो जाएगा कार्य
इसी तरह से स्नेक पार्क भी अपने आप में यूनीक होगा. देश में पाई जाने वाली सांपों की ज्यादा से ज्यादा प्रजातियां यहां लाकर रखी जा सकती हैं. सबको यहां पर मंगवाया जा रहा है. इसे बाहर से इस तरह का स्वरूप दिया है कि यह स्नेह की तरफ से नजर आता है. वहीं शेषनाग की प्रतिमा भी यहां लगाई जाएगी. मैं समझता हूं कि कोटा के लिए यह महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र भी बनने जा रहा है. यहां निर्माण चल रहा है 2 से 3 महीने में काम पूरा होगा. औपचारिकताएं भी जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से पूरी होती हैं जिसकी प्रक्रिया अभी चल रही है. जल्द ही इसकी औपचारिक स्वीकृति मिलने के बाद इसे यूनिक पार्क के रूप में दर्शकों के लिए शुरू कर दिया जाएगा.

पढ़ें. लोगों को तनाव मुक्त रखेगा कोटा का सिटी पार्क...मेड्रिड के रेट्रो और न्यूयॉर्क के सिटी पार्क की दिखेगी झलक, 90 फीसदी काम पूरा

कई तरह के रेप्टाइल लाने की योजना
सर्प विशेषज्ञ विनीत महोबिया का कहना है कि किंग कोबरा, कोबरा, क्रेट, वाइपर, रसेल वाइपर की अलग-अलग कैटेगरी यहां होगी. इसके अलावा बिना जहर वाले सांप भी यहां पर प्रदर्शित होंगे. इनमें धामन, चकलोन, सेंटगुआ शामिल हैं. वहीं पानी वाले सांप में कील ब्लैक सहित अन्य प्रजाति भी शामिल होंगी. इसके अलावा स्नेक पार्क के पूरे विकसित होने के बाद यहां पर विदेशी प्रजाति के सांपों को भी भविष्य में लाया जा सकता है. कई प्रजातियों के रेप्टाइल्स भी यहां पर रखे जाएंगे. कोटा संभाग में घड़ियाल सेंचुरी भी है. ऐसे में कई तरह के मगरमच्छ यहां पर हैं जिन्हें इस स्नेक पार्क में जगह दी जाएगी. इनमें गोयरा और ऑटर सहित कई रेप्टाइल भी लाए जाएंगे.

Kota snake park
निर्माण कार्य में लगे कर्मचारी

सेंट्रल जू अथॉरिटी की अनुमति से होगा संचालित
विनीत महोबिया का कहना है कि नगर विकास न्यास, फॉरेस्ट, वाइल्डलाइफ और डिपार्टमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग का सहयोग है. सेंट्रल जू अथॉरिटी ऑफ इंडिया की परमीशन के तहत ही स्नेक पार्क का संचालन होगा. इसमें जहरीले और बिना जहरीले दोनों तरह के सांप रखे जा सकेंगे. सबसे जरूरू तथ्य ये है कि देश में मिलने वाले सांप और उनकी प्रजातियों के बारे में लोगों को जानकारी दी जाएगी. वर्तमान में चेन्नई, बेंगलुरु, पुणे, कोलकाता और अहमदाबाद में स्नेक पार्क बने हुए हैं, लेकिन यह सभी बायोलॉजिकल या जूलॉजिकल पार्क साथ में संचालित किए जा रहे हैं जहां इतनी बड़ी संख्या में स्नेक मौजूद नहीं है.

पढ़ें. माचिया सफारी पार्क से खुश खबर! 6 साल बाद ऑस्ट्रेलियन पक्षी एमू का बढ़ा कुनबा

अजगर के लिए बना रहे हैबिटेट, नजदीक से देख सकेंगे एक्टिविटी
स्नेक पार्क में अजगर को भी जगह दी जाएगी. उसकी साइज को देखते हुए बड़ा ब्लॉक उसके लिए बनाया जा रहा है जिससे पूरी तरह से हैबिटेट का स्वरूप दिया जाना है ताकि वह वहां पर अच्छी तरह से रह सके. सांपों को रखने के लिए आरसीसी के बड़े-बड़े ब्लॉक बनाए गए हैं जिनको तीन तरफ से आरसीसी से कवर किया गया है साथ ही एक तरफ कांच लगाए जाएंगे ताकि यहां आने वाले लोग सांप को जाकर सीधा देख सकें. इन ब्लॉक में नीचे की तरफ मिटटी भरी जाएगी जिससे सांपों को प्राकृतिक वातावरण मिल सके.

स्टूडेंट्स कर सकेंगे रिसर्च, सीखेंगे रेस्क्यू के तरीके
देश भर से जूलॉजी, वाइल्ड लाइफ, फॉरेस्ट और एग्रीकल्चर, हॉर्टिकल्चर के स्टूडेंट यहां पर आएंगे. वे रिसर्च और एजुकेशन रेप्टाइल के बारे में जानकारी ले सकेंगे. अभी भी कई प्रजाति के सांपों के बारे में रिसर्च की जरूरत है. वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत स्नेक रेस्क्यू के नए तरीकों के बारे में भी नई जानकारी दी जाएगी. भारत में स्थित फैक्ट्रियों के सुरक्षा कार्मिकों को भी स्नेक रेस्क्यू सिखाया जाएगा. इन्हें सांपों को बचाना और स्नेक बाइट के बाद क्या प्राथमिक उपचार लेना है इसका प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

पढ़ें. भीलवाड़ा: गांव में भी शहर जैसा पार्क हुआ विकसित, बना आकर्षण का केंद्र

सांपों की उत्पत्ति को समझ सकेंगे बच्चे
स्नेक पार्क के साथ ही एक विशेष प्रकार का म्यूजिक वीडियो भी बनाया जा रहा है जिसमें सांपों की उत्पत्ति से लेकर वर्तमान स्वरूप तक प्रदर्शित किया जाएगा. इसके साथ ही इसका डिजिटल प्रेजेंटेशन भी किया जाएगा. सांपों के इतिहास के बारे में भी बताया जाएगा. इसके लिए यहां पर एक बड़ा सेमिनार हॉल भी बनाया जा रहा है. इसके साथ ही आईटी की मदद से पूरा प्रेजेंटेशन रूम तैयार हो रहा है. स्नेक पार्क में सांपों की पूरी गतिविधियों की मॉनिटरिंग होगी और इसे विजिटर्स को दिखाई दी जाएगी.

Last Updated : Apr 22, 2022, 8:41 PM IST
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