कोटा. सांगोद से कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री भरत सिंह कुंदनपुर ने अपनी ही सरकार को कई मुद्दों पर घेरा. हाल ही में उन्होंने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है, जिसकी चर्चा पूरे देश भर में हो रही है. विरोधी पार्टियां तो राजस्थान के सरकार को इस मुद्दे पर घेर ही रही है, साथ ही उनके विधायक ही भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहे हैं.
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा कि मैं भ्रष्टाचार ही नहीं अन्य कई मुद्दों पर भी अपनी बात रखता हूं और मेरी बात सुनी भी जाती है. जब विधायक नहीं रहेंगे, तो उनकी बात कोई नहीं मानेगा और तब कुछ कहने का औचित्य भी नहीं रहेगा. इसीलिए वे मुद्दे उठाते हैं, जो सरकार नहीं व्यवस्था के खिलाफ है.
पढ़ें- कांग्रेस विधायक की सीएम गहलोत को नसीहत, कहा- बयानों से नहीं रुकेगा भ्रष्टाचार, करना होगा ये काम
कुंदनपुर ने भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के बेशर्म हो जाने पर कहा कि पहले सिनेमा में देखते थे कि कैदी को जब पेशी पर लाया जाता था, तो वह धारीदार कुर्ता और पायजामे पहन कर आता था. मानव अधिकार आयोग के बाद में हथकड़ी लगाना बंद कर दिया है, लेकिन भ्रष्टाचारी लोग हंसते-मुस्कुराते हुए बेशर्म की तरह आते हैं. ऐसे लोगों को धारीदार पायजामा पहना कर कैदी की तरह लाने चाहिए और इनको हथकड़ी लगानी चाहिए. इसके बाद कोई फर्क पड़ेगा, नहीं तो ये बेशर्मी से ही रिश्वत खाते रहेंगे.
तस्वीर लगाने के सवाल पर भरत सिंह कुंदनपुर ने कहा कि अलग से सुझाव नहीं दिया है. किसी भी थाने में जाएंगे तो हिस्ट्रीशीटर की जो तस्वीर लगाते हैं, यह भी भ्रष्टाचार के हिस्ट्रीशीटर ही हैं. सचिवालय में एक बड़ा बोर्ड लगाना चाहिए और इनकी तस्वीर लगानी चाहिए. कोई कलेक्टर रहा है, जिनके लिए दरवाजा खोलने भी कार्मिक दौड़ कर आता है. सब उसको सैल्यूट मारते हैं. उस भ्रष्ट अधिकारी की तस्वीर लगेगी, उसके गृह जिले में जब उसकी तस्वीर लगेगी और रात को भी उसके ऊपर फ्लडलाइट लगाकर रोशनी करनी चाहिए, तभी जाकर इनमें शर्म आएगी. नहीं तो ये लोग इसी तरह रिश्वत खाते रहेंगे.
'नौकरी लगने से पूरी होने तक रिश्वत समेटते हैं'
कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने सीएम अशोक गहलोत को लिखे पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि मकर सक्रांति के दिन तो दौसा के 2 आरएएस अधिकारियों को जेल जाना पड़ा. अधिकारियों ने बड़ी राशि रिश्वत के रूप में लिए हैं. विचारणीय बात यह है कि जो अभी एसडीओ लगी है, उसने भी इस मौके को हाथ से नहीं जाने दिया और भ्रष्टाचार किया है.
भरत सिंह ने कही कि दूसरे एसडीएम हैं और उनकी दूसरी पोस्टिंग है, नौकरी की शुरुआत में यह लक्षण है तो 30 साल तक अधिकारी नौकरी करेंगे तो कल्पना कीजिए कितना भ्रष्टाचार करेंगे. उससे उसके समाज के कितने लोगों को तकलीफ होगी. मैंने जो बयान दिया है, इन सब बातों को देख कर दिया है. नौकरी में आते समय और नौकरी से जाते समय तक बड़े अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. हमारे बारां जिले के कलेक्टर जो जेल में हैं, आखिरी पड़ाव पर जाते-जाते भी समेट रहे हैं और नौकरी में आते हुए भी समेट रहे हैं. यह बहुत बड़ी बीमारी समाज में है और उसका निस्तारण सहज नहीं है. इस पर लोग बोलते भी कम हैं, बोलते हैं तो अमल कम होता है.
'न खाऊंगा न खाने दूंगा, लेकिन पूछ कर कौन खाता है'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि न खाऊंगा न खाने दूंगा, लेकिन उनसे पूछ कर कोई भी व्यक्ति नहीं खाता है. उनके आसपास बैठे हुए व्यक्ति भी भ्रष्ट हैं. उनके तरफ वह देखते नहीं हैं. भ्रष्टाचार की व्यवस्था पुराने टाइम से चली आ रही है, फिर उसके साथ दंड की व्यवस्था भी होनी चाहिए. भ्रष्टाचार को रोका तो नहीं जा सकता है, लेकिन उसका दंड उसके साथ नहीं जुड़ा हुआ है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी कृषि कानून बनाए हैं. कृषि कानून की तो आवश्यकता नहीं थी. मोदी सरकार को भ्रष्टाचार को लेकर कानून बनाना चाहिए, जिसमें जो पकड़ा जाएगा उसको तत्काल नौकरी से हटा देंगे.
'अभियोजन स्वीकृति नहीं देकर एसीबी की मेहनत पर पानी फेर दिया जाता है'
भरत सिंह ने कहा कि कोटा की जेल में रिश्वत के मामले में बंद रहे आईपीएस सत्यवीर सिंह को पिछली सरकार ने प्रमोशन दे दिया. सरकार बदलती है, लेकिन व्यवस्था नहीं बदलती है. लोग कहते हैं कि मैं अपनी सरकार के खिलाफ बोलता हूं, लेकिन ऐसा नहीं है. मैं व्यवस्था के खिलाफ बोलता हूं. हमारी सरकार ने गंभीरता से भ्रष्टाचार के ऊपर काफी काम किया है.
एसीबी भ्रष्टाचारियों को पकड़ती हैं, लेकिन उनको रिलीज हो जाने पर मुझे तकलीफ होती है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो बहुत कार्रवाई कर रहा है, इसके लिए वे मेहनत भी करते हैं. इसके लिए उनकी पीठ थपथपानी चाहिए, लेकिन अभियोजन स्वीकृति जारी नहीं होने पर उनके मेहनत पर पानी फेर दिया जाता है. यह चिंता की बात है.
'भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए बनाते हैं दबाव'
भरत सिंह ने अभियोजन स्वीकृति पर भी कहा कि यह तत्काल होनी चाहिए. हम उसको रिलीफ दे देते हैं, तो उसके पीछे कौन है, हमारे जैसे लोग ही हैं. वे लामबंद हो जाते हैं क्योंकि कोई किसी का रिश्तेदार है, कोई जाति का है. यह समाज की बीमारियां हैं और यह दबाव बनाते हैं. उनका कोई रिश्तेदार पकड़ा जाता है तो उसे छोड़ने की मांग उठाई जाती है. यह गलत और दुर्भाग्यपूर्ण है.
'मेरे पास प्लेटफार्म है, इसीलिए मैं मुद्दे उठाता हूं'
कांग्रेस विधायक भरत सिंह मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों को लाना, अवैध बजरी, शहर की सड़क पर गाय, हाईवे की दुर्दशा, बांधों से सिंचाई का पानी नहीं मिलना सहित कई मुद्दे उठाते आए हैं. उनका इस पर कहना है कि मैं मुद्दे उठाता रहता हूं, मैं इस पोजीशन में हूं कि मेरी आवाज उठाने के लिए एक प्लेटफार्म है. मैं उस प्लेटफार्म का उपयोग करता हूं. अभी विधानसभा का सदस्य हूं, आगे नहीं रहूंगा, जब मेरे पास प्लेटफार्म नहीं होगा तो मैं बोलूंगा तो उसका कोई मतलब नहीं निकलेगा. इसीलिए मुझे अभी बोलना चाहिए.