कोटा. शहर में पेंशन योजना से छूटे हुए बिजली कंपनियों के 4 हजार कार्मिकों ने आर-पार की लड़ाई की योजना बना ली है. मीडिया से बातचीत करते हुए मंगलवार को इन लोगों ने साफ तौर पर कहा कि अगर राज्य सरकार ने उनकी मांगों को नहीं माना और पेंशन चालू नहीं की गई और उन्हें सीपीएफ की जगह जीपीएफ से नहीं जोड़ा गया तो वो सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे. इसके अलावा चुनाव में वोटिंग का भी बहिष्कार करेंगे.
सीपीएफ विद्युत कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष आरसी मीणा का कहना है कि राज्य सरकार ने 1997 में बिना बताए ही कर्मचारियों का पेंशन विकल्प बंद कर दिया था. इससे राज्य के 50 हजार में से 46 हजार कार्मिकों ने तो विकल्प भर दिया था, लेकिन 4 हजार कार्मिक बच गए थे. जिन्हें अभी भी पेंशन नहीं मिल रही है. इन कार्मिकों का कहना है कि इनमें से 15 सौ कार्मिकों की तो मौत भी हो चुकी है. अब केवल 2 हजार 5 सौ कार्मिक ही बचे हैं.
हालांकि अब पांच कंपनियों में चार जयपुर, जोधपुर, अजमेर और उत्पादन निगम छुटे हुए कार्मिकों को पेंशन देने की सिफारिश कर चुका है, लेकिन प्रसारण निगम के वित्तीय निदेशक इस बात पर अड़ंगा लगा रहे हैं. उनका कहना है कि इसमें राज्य सरकार के 5 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे. जबकि ऐसा नहीं है. इस पूरी पेंशन में कमेटी ने गणना की है जिसमें 500 करोड़ रुपए का ही खर्चा आ रहा है.
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इसके बावजूद भी इस पेंशन में शामिल होने के लिए छूटे हुए कार्मिक भी 12 से 15 लाख रुपए जमा कराएंगे. इन कार्मिकों ने मांग की है कि अगर सरकार ने वंचितों को पेंशन नहीं दी है, तो वो मजबूरन एक बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे.