कोटा. कोरोना वायरस से संक्रमित होकर पूरे विश्व में 7 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. महामारी बन चुकी इस बीमारी से भारत भी अछूता नहीं है. ऐसे में अब न्यायालय में भी केवल जरूरी मामलों की सुनवाई के आदेश दिए गए हैं. मुख्य न्यायाधीश के अनुसार वकीलों, पक्षकारों और गवाहों को पेश होने के लिए पाबंद नहीं किया जाए. ये व्यवस्था आगामी आदेशों तक प्रभावी रहेगी.
सुनवाई के दौरान आवश्यकता होने पर ही जेल से बंदियों को लाया जाएगा. इसके अलावा जमानत, रिमांड, स्टे और सुपुर्दगी प्रार्थना पत्र को छोड़कर अन्य प्रकरण में आगामी पेशी नियत कर दी जाए. पेशियों को तुरंत परिवर्तित कर सीआईएस में उसका इंद्राज किया जाए.
कोटा बार एसोसिएशन के महासचिव योगेंद्र मिश्रा 'किट्टू' ने बताया कि कोर्ट में वकीलों और स्टाफ को मिलाकर करीब 2500 से ज्यादा लोग हैं. इतने ही पक्षकार और अन्य लोग न्यायालय में आते हैं. लेकिन राज्य सरकार ने आदेश जारी किया है कि 50 से ज्यादा लोग एकत्रित नहीं हो. कोरोना एक दूसरे के संक्रमण से फैलता है. ऐसे में न्यायालय में भी इसका खतरा हमेशा बना रहता है.
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इस संबंध में हाईकोर्ट ने निर्णय लेकर 31 मार्च तक सभी अधीनस्थ न्यायालयों में जरूरी मामलों में सुनवाई के ही निर्देश दिए हैं. किसी भी व्यक्ति को अनावश्यक रूप से न्यायालय आने की आवश्यकता नहीं है, जो उनकी तारीख पेशी थी, उनको कॉमन तारीख पेशी आगे दे दी जाएगी. हालांकि बार एसोसिएशन ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश योगेंद्र कुमार पुरोहित को राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम का ज्ञापन देकर 21 मार्च तक कार्य स्थगित करने की मांग की थी.
कोरोना से निपटने के लिए बनाई कमेटी
जिला एवं सेशन न्यायाधीश योगेंद्र कुमार पुरोहित ने भी न्यायिक अधिकारियों की बैठक ली है. साथ ही कोरोना वायरस को लेकर एक कमेटी बनाई है, जिसका अध्यक्ष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वीरेंद्र प्रताप सिंह को बनाया है. इसमें बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक मित्तल और न्यायिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पंकज गौड़ को सदस्य बनाया है. इसके अलावा न्यायालय में कैंटीन को बंद कर दिया गया है.