कोटा. पूरा देश कोरोना की दूसरी लहर प्रभावित रहा था. इसका असर कम होने पर देश ने राहत की सांस जरूर ली है लेकिन कोटा संभाग में अभी भी ऐसे कुछ मामले सामने आ रहे हैं, जो कि कोविड-19 तो नहीं है लेकिन लगभग मरीजों में वैसे ही लक्षण हैं.
कोरोना संक्रमित नहीं होने के बावजूद मरीजों के फेफड़े संक्रमित मिल रहे (COVID-19 in Kota) हैं. इन केसों ने डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है. इन मरीजों को कोरोना गाइडलाइन की तरह इलाज दिया जा रहा है. पिछले 2 महीने में करीब दो दर्जन से ज्यादा मरीजों की मौत भी हुई है. यह सभी मौतें कोविड-19 से होना नहीं सामने आया है क्योंकि इन सभी मरीजों का कोविड-19 के लिए जरूरी कंफर्मेटरी टेस्ट आरटीपीसीआर (RTPCR) नेगेटिव था. जिनमें की सीटी स्कैन का स्कोर 20 तक भी मिला है.
हर दिन सामने आ रहे हैं चार से पांच मामले
डॉ. विजय सरदाना का कहना है कि लगातार इस तरह के मरीज भी अस्पताल में पहुंच रहे हैं, जो कि बायलेट्रल न्यूमोनिया (bilateral pneumonia) की शिकायत लेकर आ रहे हैं. इनमें से चार से 5 मरीज रोज अस्पताल में भर्ती भी हो रहे हैं.
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साथ ही उनका कहना है कि इतने ही मरीज अस्पताल से रोज डिस्चार्ज भी हो रहे हैं. किसी भी समय 28 से 30 मरीज अस्पताल के कोविड-19 वार्ड में भर्ती भी रहते हैं, जिन्हें संदिग्ध के तौर पर ही भर्ती किया जा रहा है. हम लोग पूरी तरह से सतर्क हैं. इसमें बायलेट्रल न्यूमोनिया की शिकायत भी मिल रही है. उनमें सीटी स्कैन का स्कोर भी आ रहा है. हम इसमें कोई दूसरा वायरल निमोनिया (Pneumonia) हो, उसके बारे में भी पता लगा रहे हैं.
म्यूटेंट बदला या नया वायरस
डॉ. सरदाना ने कहा कि जिस तरह से लोकसभा स्पीकर ओम बिरला (OM Birla) ने कहा है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Indian Council of Medical Research) की टीम के साथ इन मरीजों की हिस्ट्री लेकर जांच की जाए. यह भी हम करने वाले हैं. जिससे हम यह पता लगाने में कामयाब हो सके कि किसी और तरह का वायरस यहां पर एक्टिव नहीं है. जो कि इस तरह के केस सामने ला रहा है या फिर कोई दूसरा म्युटेंट कोविड-19 वायरस का इसके लिए जिम्मेदार हो.
लक्षण बैक्टीरियल निमोनिया के नहीं
कोटा मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन के सीनियर प्रोफेसर डॉ. मनोज सलूजा का कहना है कि कुछ दिन से वायरल निमोनिया जैसे केस आ रहे हैं. इन मरीजों का एक्सरे कराने पर फेफड़े पूरी तरह से संक्रमित मिल रहे हैं. जैसा कि वायरल निमोनिया में होता है. इसके स्केटर्ड और पैची इंवॉल्वमेंट उनका रहता है. ऐसा बैक्टीरियल निमोनिया में बिल्कुल भी नहीं होता है. यह वायरल निमोनिया में ही होता है.
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सीटी स्कैन का स्कोर 20 तक, अचानक से सांस लेने में तकलीफ की शिकायत
डॉ. सलूजा का कहना है कि ऐसे मरीजों में सीटी स्कैन का सीवीयरिटी स्कोर भी काफी ज्यादा मिल रहा है. कुछ मरीजों में 10, 15 और 20 तक सीवीयरिटी स्कोर मरीजों में मिल रहा है. मरीजों में तीन से चार दिन बुखार आने की शिकायत रहती है. उन्होंने अधिकांश ने पेरीफेरी में ही जुखाम और बुखार का प्रारंभिक इलाज लिया है, लेकिन अचानक ही उनके फेफड़े बीमारी के जकड़ में आ जाते हैं. साथ ही उन्हें सांस लेने में तकलीफ शुरू हो जाती है. मरीजों को ऑक्सीजन की जरुरत भी पड़ जाती है.
कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुसार कर रहे ट्रीटमेंट
डॉ. सलूजा का कहना है कि मरीजों में जो लक्षण मिल रहे हैं, वह कोविड-19 के ही है. इन मरीजों के क्लीनिकल रेडियोलॉजिकल पैटर्न भी बिल्कुल कोविड- 19 की दूसरी लहर में सामने आए मरीजों जैसा ही है. ऐसे में कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुसार ही इनका उपचार किया जा रहा है.
इन सभी मरीजों में कोविड-19 की जांच नेगेटिव ही आती है, साथ ही स्वाइन फ्लू (Swine flu) भी नेगेटिव ही मिलता है. ऐसे में इलाज के अनुभव और हाल ही में कॉविड 19 का जो एक्सपीरियंस रहा है, उसके इलाज किया जा रहा है. जिनमें एटीवायरल रेमडेसीविर और एंटीबायोटिक इन्हें दिए जा रहे हैं.