कोटा. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में कोविड-19 डेडीकेटेड हॉस्पिटल संचालित किया जा रहा है. इसी की व्यवस्थाओं को लेकर और मरीजों को आने वाली समस्याओं को प्रबंधन तक पहुंचाने के लिए एक कार्यक्रम एमबीएस अस्पताल स्थित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सभागार में आयोजित किया गया. इसमें खुद मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना, मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सीएस सुशील और सुपर स्पेशयिलिटी विंग के प्रभारी डॉ. नीलेश जैन मौजूद रहे. कार्यक्रम में पहले कोविड-19 रिकवर हुए लोगों ने अपनी व्यथा सुनाई. जिसमें उन्होंने अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान क्या-क्या समस्याओं का सामना किया. साथ ही अपने अच्छे अनुभव भी बताएं. इसके बाद मेडिकल कॉलेज और व्यवस्थाओं से जुड़े अधिकारियों ने अपनी बात रखी.
इस पर मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना का कहना है कि, फीडबैक काफी जरूरी होता है. अब कोविड-19 के दौर में फीडबैक भी उन लोगों से मिला है, जो कि अस्पताल की सुविधाओं का उपयोग कर चुके हैं. पॉजिटिव होकर इलाज करवाकर स्वस्थ होकर लौटे हैं. ऐसे में जो भी फीडबैक मिला है उनके अनुसार सुधार किए जाएंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि व्यवस्थाओं में लगातार हम सुधार कर रहे हैं. मरीज को बेहतर से बेहतर इलाज मिल सके यह व्यवस्था की जा रही है. साथ ही सुपर स्पेशियलिटी विंग के प्रभारी डॉ. नीलेश जैन ने कहा कि कोटा में चिकित्सक बड़े शहरों के मुताबिक ही इलाज कर रहे हैं. मरीजों की तरफ से भी कुछ समस्याएं रहती है.
साथ ही मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील ने कहा कि जिस तरह से घर में कमियां रहती है और उनमें लगातार सुधार होते हैं. उसी तरह से अस्पताल में भी ऐसी समस्याएं है, लेकिन प्रबंधन के ध्यान में जो भी कमी होती है. उसे वह तुरंत दूर करते हैं.
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इस आयोजन को करवाने वाले नेत्र सर्जन डॉ. सुधीर गुप्ता का कहना है कि कोटा में करीब ढाई सौ से ज्यादा चिकित्सक नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ संक्रमित हो गया है. उनकी भी कई लिमिटेशंस है और मरीज की एक्सपेक्टेशन काफी ज्यादा होती है. मरीज काफी परेशानियों का सामना करते है, इन छोटी-छोटी बातों को प्रबंधन के ध्यान में लाकर तुरंत दूर किया जा सकता है. इस कम्युनिकेशन गैप को दूर करने के लिए ही उन्होंने इस आयोजन को रखा है, जो काफी हद तक सफल भी रहा है. मरीजों का सीधा अनुभव उन्होंने अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचाया है. ताकि इन छोटी समस्याओं को दूर किया जा सके. इस दौरान मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में नर्सिंग प्रभारी हरिचरण सोनी, धर्मराज नागर सहित कई नर्सेज भी मौजूद रहे.
स्वस्थ हुए लोग बोले- निजी अस्पताल संचालक मरीजों को डरा रहे
दूसरी तरफ मरीजों ने भी कहा कि, अस्पताल में टॉयलेट से लेकर ऑक्सीजन तक की समस्या उन्हें सामना करना पड़ा. इसके अलावा सही खाना भी उन्हें नहीं मिल रहा था. दवा और गोली भी देकर चले जाते थे, लेकिन देखने के लिए कोई व्यक्ति नहीं आता था. स्टाफ और वार्ड बॉय का व्यवहार भी ठीक नहीं है. साथ ही अधिकांश लोगों ने कहा कि उन्हें प्राइवेट अस्पताल संचालकों ने डरा दिया. इसके चलते वह दूसरे शहर के बड़े अस्पतालों में गए जहां पर उनका लाखों रुपया खर्च हो गया.