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SPECIAL : कोटा में बटन मशरूम की खेती के लिए कोल्ड चेंबर यूनिट....हर महीने लाखों के मशरूम की होगी बिक्री - Kota Mushroom Cold Chamber Unit

बटन मशरूम उत्पादन की कोल्ड चेम्बर यूनिट कोटा जिले में स्थापित की गई है. यह यूनिट प्रगतिशील किसान हेमंत सिंह खींची ने लगाई है. जो कि जिले के मंडाना एरिया में एक खेत में ही उन्होंने लगाई है. उन्होंने एयर कंडीशन 2 चेंबर बना कर फसल का उत्पादन शुरू कर दिया है. एक फसल का वह बेचान भी कोटा के मार्केट में ही कर चुके हैं.

button mushroom, Kota Button Mushroom
नवाचार कर रहा देश का युवा किसान
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Published : Apr 12, 2021, 7:25 PM IST

Updated : Apr 12, 2021, 8:10 PM IST

कोटा. राजस्थान में यह कोल्ड चेंबर की पहली यूनिट है. साथ ही मशरूम का पूरे देश में अच्छा मार्केट भी है. ऐसे परिवार जो शाकाहारी हैं, उनके लिए प्रोटीन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत बटन मशरूम होता है. यूनिट के जरिए लोगों को रोजगार भी मिलेगा. देखिये ये रिपोर्ट...

कोटा में मशरूम की खेती

प्रगतिशील किसान हेमंत सिंह खींची का कहना है कि उन्होंने दो एयर कूल्ड चेंबर इसके लिए बनवाए हैं. इसमें करीब 40 लाख रुपए का खर्चा उन्हें हुआ है. तैयार किया गया कोल्ड चेंबर दो हिस्सों में है, जो कि एक 15 गुना 60 की क्षमता का है.

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कोटा में बटन मशरूम खेती के लिए कोल्ड चेंबर यूनिट

ऐसे में एक चेंबर 900 स्क्वायर फिट का है. हेमंत सिंह के दोनों कोल्ड चैंबर की क्षमता की 1800 स्क्वायर फिट में उन्होंने यह चेंबर बनवाया. इसमें हेमंत सिंह पहले एक कोल्ड चेंबर में फसल करेंगे. उसके जब उत्पादन होगा तब दूसरी फसल का इनक्यूबेशन शुरू कर देंगे. ताकि उन्हें हर महीने फसल मिलती रहे. इसमें एक चेंबर में करीब 2400 बैग रखे हैं. जिनमें फसल का उत्पादन होता है.

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हर महीने लाखों के मशरूम की बिक्री

एक फसल में 3 लाख का खर्चा

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ शर्मा ने बताया कि बटन मशरूम की फसल तैयार करने के पहले काफी मेहनत होती है. जिसमें प्लास्टिक की थैलियों यानी बैग में नीचे भूसा, इसके बाद मुर्गी का खाद, जिप्सम और ऊपर कोकोपीट यानी कि नारियल के छिलके का चूरा डाला जाता है. इसके बाद स्पान यानी कि मशरूम के बीज डाले जाते हैं। इन सब में खर्चा करीब 30 से 40 हजार रुपए का होता है.

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मंडाना एरिया में हेमंत ने खेत में लगाई यूनिट

यह खर्चा एक चेंबर में होने वाले 2400 बैग के लिए आता है. हेमंत का कहना है कि एक फसल के उत्पादन में करीब ढाई से तीन लाख रुपए का खर्चा बैठता है. जिसमें लेबर, लाइट का खर्चा और फसल को उगाने के बाद सप्लाई के लिए आया हुआ खर्चा शामिल है.

पढ़ें- बिना जमीन की मशरूम की खेती कर जुगल ने किया नवाचार, अब हर माह हो रही 15 हजार की इनकम

एक महीने का होता है इसका इनक्यूबेशन पीरियड

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि इस फसल के उत्पादन के लिए 1 महीने का इनक्यूबेशन पीरियड रहता है. इसके बाद अगले 1 से सवा महीने तक फसल मिलती है. ऐसे में हेमंत सिंह पहले किसान हैं. राजस्थान के जिन्होंने इस तरह की कोल्ड स्टोरेज यूनिट बटन मशरूम उत्पादन के लिए लगाई है. इन्होंने पहले सीजन की फसल इस बार ली है. जिसमें 1600 किलोग्राम का उत्पादन किया गया है. हालांकि यह कम है, इसे बढ़कर करीब 3500 किलोग्राम तक एक सीजन में उत्पादित करने का लक्ष्य इनका होना चाहिए.

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करीब 40 लाख रुपए का आया खर्चा

2 महीने की होती है फसल

हेमंत का कहना है कि यह फसल 2 से सवा दो महीने की होती है. ऐसे में एक चेंबर में साल भर में 5 फसल की जा सकती है. साथ ही इस बटन मशरूम की कीमत 350 रुपए किलो है. ऐसे में एक किसान को एक फसल पर 6 से लेकर 11 लाख रुपए तक का उत्पादन 2400 बैग वाले चेम्बर में किया जा सकता है. इन एयर कूल्ड चेंबर को फसल उगाने के समय 15 डिग्री सेल्सियस पर रखना होता है. साथ ही जब उसमें पौध पनप जाए, यानी कि उत्पादन शुरू हो जाए, तब इसे 24 से 25 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाता है.

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कोटा में रोजाना 400 किलो मशरूम की डिमांड

प्रोटीन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत है बटन मशरूम

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डीसी जोशी का कहना है कि प्रदेश की जनता में प्रोटीन की कमी पहले से ही देखी गई है. बटन मशरूम प्रोटीन का अच्छा स्रोत है. इसमें मिनरल्स भी काफी ज्यादा मात्रा में हैं. जिनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फेरस, जिंक, आयरन और मैगनीज का अच्छा मिश्रण मिलता है. साथ ही शुगर फ्री होने के चलते डायबिटिक लोगों के लिए भी फायदेमंद होता है. प्रो जोशी का कहना है कि जो लोग शाकाहारी होते हैं. उन्हें वैकल्पिक तौर पर अच्छे मिनरल्स और प्रोटीन की पूर्ति के लिए डाइट मिल जाती है.

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युवाओं को आकर्षित कर रही मशरूम की खेती

पढ़ें- सीकर के मशरूम किंग ने बनाया एशिया का सबसे बड़ा प्लांट...दुर्लभ किस्म के मशरूम कर रहे तैयार, लाखों में कीमत

आईसीयू की तरह रखना होता है ध्यान

हेमंत सिंह का कहना है कि जिस तरह से आईसीयू में डॉक्टर प्रवेश करता है. वैसे ही बटन मशरूम की खेती में कोल्ड चैंबर का ध्यान रखना पड़ता है. किसी भी बाहरी व्यक्ति को अंदर प्रवेश नहीं कराया जाता है. यहां तक कि जो काम करने वाले लोग हैं या प्रोडक्शन मैनेजर और मैं खुद भी अंदर जाता हूं, तो पूरी सेफ्टी से ध्यान रखकर जाया जाता है, ताकि फसल में किसी तरह का बैक्टीरिया नहीं लगे. जिससे फसल खराब नहीं हो. साथ ही बाहर ही लोगों के हाथ भी इसमें नहीं लगवाए जाते हैं.

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तापमान नियंत्रित कर मशरूम का उत्पादन

फिलहाल मांग के अनुरूप नहीं सप्लाई

हेमंत सिंह कोटा में अपने कोल्ड चैंबर यूनिट के जरिए बटन मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. उनके पिता आर्मी में थे. उन्होंने सोलन में पिता की पोस्टिंग के दौरान ही मशरूम की खेती देखी थी. वहीं उन्होंने हरियाणा में ट्रेनिंग भी ली.

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नवाचार कर रहा देश का युवा किसान

हेमंत का कहना है कि कोटा में जहां पर 350 से 400 किलो की मांग कोटा जिले में रोज बटन मशरूम की रहती है, लेकिन अभी केवल वे ही उपलब्ध करा पा रहे हैं. वे महज 100 किलो के आसपास मशरूम रोजाना मार्केट में पहुंचा रहे हैं.

कोटा. राजस्थान में यह कोल्ड चेंबर की पहली यूनिट है. साथ ही मशरूम का पूरे देश में अच्छा मार्केट भी है. ऐसे परिवार जो शाकाहारी हैं, उनके लिए प्रोटीन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत बटन मशरूम होता है. यूनिट के जरिए लोगों को रोजगार भी मिलेगा. देखिये ये रिपोर्ट...

कोटा में मशरूम की खेती

प्रगतिशील किसान हेमंत सिंह खींची का कहना है कि उन्होंने दो एयर कूल्ड चेंबर इसके लिए बनवाए हैं. इसमें करीब 40 लाख रुपए का खर्चा उन्हें हुआ है. तैयार किया गया कोल्ड चेंबर दो हिस्सों में है, जो कि एक 15 गुना 60 की क्षमता का है.

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कोटा में बटन मशरूम खेती के लिए कोल्ड चेंबर यूनिट

ऐसे में एक चेंबर 900 स्क्वायर फिट का है. हेमंत सिंह के दोनों कोल्ड चैंबर की क्षमता की 1800 स्क्वायर फिट में उन्होंने यह चेंबर बनवाया. इसमें हेमंत सिंह पहले एक कोल्ड चेंबर में फसल करेंगे. उसके जब उत्पादन होगा तब दूसरी फसल का इनक्यूबेशन शुरू कर देंगे. ताकि उन्हें हर महीने फसल मिलती रहे. इसमें एक चेंबर में करीब 2400 बैग रखे हैं. जिनमें फसल का उत्पादन होता है.

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हर महीने लाखों के मशरूम की बिक्री

एक फसल में 3 लाख का खर्चा

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ शर्मा ने बताया कि बटन मशरूम की फसल तैयार करने के पहले काफी मेहनत होती है. जिसमें प्लास्टिक की थैलियों यानी बैग में नीचे भूसा, इसके बाद मुर्गी का खाद, जिप्सम और ऊपर कोकोपीट यानी कि नारियल के छिलके का चूरा डाला जाता है. इसके बाद स्पान यानी कि मशरूम के बीज डाले जाते हैं। इन सब में खर्चा करीब 30 से 40 हजार रुपए का होता है.

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मंडाना एरिया में हेमंत ने खेत में लगाई यूनिट

यह खर्चा एक चेंबर में होने वाले 2400 बैग के लिए आता है. हेमंत का कहना है कि एक फसल के उत्पादन में करीब ढाई से तीन लाख रुपए का खर्चा बैठता है. जिसमें लेबर, लाइट का खर्चा और फसल को उगाने के बाद सप्लाई के लिए आया हुआ खर्चा शामिल है.

पढ़ें- बिना जमीन की मशरूम की खेती कर जुगल ने किया नवाचार, अब हर माह हो रही 15 हजार की इनकम

एक महीने का होता है इसका इनक्यूबेशन पीरियड

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि इस फसल के उत्पादन के लिए 1 महीने का इनक्यूबेशन पीरियड रहता है. इसके बाद अगले 1 से सवा महीने तक फसल मिलती है. ऐसे में हेमंत सिंह पहले किसान हैं. राजस्थान के जिन्होंने इस तरह की कोल्ड स्टोरेज यूनिट बटन मशरूम उत्पादन के लिए लगाई है. इन्होंने पहले सीजन की फसल इस बार ली है. जिसमें 1600 किलोग्राम का उत्पादन किया गया है. हालांकि यह कम है, इसे बढ़कर करीब 3500 किलोग्राम तक एक सीजन में उत्पादित करने का लक्ष्य इनका होना चाहिए.

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करीब 40 लाख रुपए का आया खर्चा

2 महीने की होती है फसल

हेमंत का कहना है कि यह फसल 2 से सवा दो महीने की होती है. ऐसे में एक चेंबर में साल भर में 5 फसल की जा सकती है. साथ ही इस बटन मशरूम की कीमत 350 रुपए किलो है. ऐसे में एक किसान को एक फसल पर 6 से लेकर 11 लाख रुपए तक का उत्पादन 2400 बैग वाले चेम्बर में किया जा सकता है. इन एयर कूल्ड चेंबर को फसल उगाने के समय 15 डिग्री सेल्सियस पर रखना होता है. साथ ही जब उसमें पौध पनप जाए, यानी कि उत्पादन शुरू हो जाए, तब इसे 24 से 25 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाता है.

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कोटा में रोजाना 400 किलो मशरूम की डिमांड

प्रोटीन और मिनरल्स का अच्छा स्रोत है बटन मशरूम

कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डीसी जोशी का कहना है कि प्रदेश की जनता में प्रोटीन की कमी पहले से ही देखी गई है. बटन मशरूम प्रोटीन का अच्छा स्रोत है. इसमें मिनरल्स भी काफी ज्यादा मात्रा में हैं. जिनमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, फेरस, जिंक, आयरन और मैगनीज का अच्छा मिश्रण मिलता है. साथ ही शुगर फ्री होने के चलते डायबिटिक लोगों के लिए भी फायदेमंद होता है. प्रो जोशी का कहना है कि जो लोग शाकाहारी होते हैं. उन्हें वैकल्पिक तौर पर अच्छे मिनरल्स और प्रोटीन की पूर्ति के लिए डाइट मिल जाती है.

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युवाओं को आकर्षित कर रही मशरूम की खेती

पढ़ें- सीकर के मशरूम किंग ने बनाया एशिया का सबसे बड़ा प्लांट...दुर्लभ किस्म के मशरूम कर रहे तैयार, लाखों में कीमत

आईसीयू की तरह रखना होता है ध्यान

हेमंत सिंह का कहना है कि जिस तरह से आईसीयू में डॉक्टर प्रवेश करता है. वैसे ही बटन मशरूम की खेती में कोल्ड चैंबर का ध्यान रखना पड़ता है. किसी भी बाहरी व्यक्ति को अंदर प्रवेश नहीं कराया जाता है. यहां तक कि जो काम करने वाले लोग हैं या प्रोडक्शन मैनेजर और मैं खुद भी अंदर जाता हूं, तो पूरी सेफ्टी से ध्यान रखकर जाया जाता है, ताकि फसल में किसी तरह का बैक्टीरिया नहीं लगे. जिससे फसल खराब नहीं हो. साथ ही बाहर ही लोगों के हाथ भी इसमें नहीं लगवाए जाते हैं.

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तापमान नियंत्रित कर मशरूम का उत्पादन

फिलहाल मांग के अनुरूप नहीं सप्लाई

हेमंत सिंह कोटा में अपने कोल्ड चैंबर यूनिट के जरिए बटन मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. उनके पिता आर्मी में थे. उन्होंने सोलन में पिता की पोस्टिंग के दौरान ही मशरूम की खेती देखी थी. वहीं उन्होंने हरियाणा में ट्रेनिंग भी ली.

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नवाचार कर रहा देश का युवा किसान

हेमंत का कहना है कि कोटा में जहां पर 350 से 400 किलो की मांग कोटा जिले में रोज बटन मशरूम की रहती है, लेकिन अभी केवल वे ही उपलब्ध करा पा रहे हैं. वे महज 100 किलो के आसपास मशरूम रोजाना मार्केट में पहुंचा रहे हैं.

Last Updated : Apr 12, 2021, 8:10 PM IST
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