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कोटा में नालों की सफाई की खानापूर्ति, बारिश आएगी तो फिर होगी परेशानी

कोटा में नगर निगम की ओर से शहर के नालों की सफाई का काम तो किया जा रहा है. लेकिन सिर्फ सफाई की खानापूर्ति की जा रही है. ऐसे में बारिश में फिर से मोहल्ले गंदे पानी से डूबेंगे.

कोटा में नालों की सफाई की खानापूर्ति
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Published : May 26, 2019, 9:43 PM IST

कोटा. शहर में समय रहते नगर निगम ने शहर में नालों की सफाई को लेकर योजना नहीं बनाई. बारिश नजदीक आई तो 50 से ज्यादा नाले और नालियों की सफाई की औपचारिकता पूरी की जा रही है. नाले साफ तो किए जा रहे हैं लेकिन गहरे नहीं किए जा रहे और ना ही उसमें पड़ी गंदगी को पूरी तरह से साफ किया जा रहा है. जिससे बारिश में बाढ़ की आशंका सफाई अभियान के बाद भी बनी रहेगी.

सफाई के नाम पर हर रोज रुपए खर्च किए जा रहे हैं. सफाई हो भी रही है लेकिन निगम कर्मचारियों में गंभीरता नहीं होने के कारण ज्यादातर नालों में खानापूर्ति करने की सफाई की जा रही है. दरअसल, शहर के प्रमुख 52 नाले नालियों की सफाई में कम से कम डेढ़ महीने का समय लगता है. नालों के अंदर से कचरा पूरी तरह से नहीं हटाया गया. वहीं कोटा में बारिश के शुरू होने से पहले ही बड़े बड़े नालों की सफाई का कार्य शुरू हो चुका है.

कोटा में नालों की सफाई की खानापूर्ति

रविवार को इसी की मॉनिटरिंग करने के लिए कोटा के प्रतिपक्ष कांग्रेसी पार्षद अनिल सुवालका अन्य पार्षदों के साथ जवाहर नगर स्थित नाले पर पहुंचे. नए कोटा में यहीं एक मात्र बड़ा नाला है. जिसके जाम होने से हर साल सीवरेज का गंदा पानी सड़कों और कॉलोनियों में बह निकलता है. सफाई के दौरान सभी कांग्रेसी पार्षदों ने मौके का जायजा लिया और इसकी सफाई के लिए चैन माउंटिंग मशीन की जरूरत बताई. जिस जगह से नाला बह रहा है उसके आसपास बड़ी-बड़ी कोचिंग संस्थाएं चल रही हैं और अधिकतर मेस का संचालन हो रहा है. मेस संचालन करने वाले उपभोक्ताओं द्वारा नाले में गंदगी डालने का काम किया जा रहा है. लेकिन प्रशासन इस पर अंकुश लगाने में नाकाम है.

कोटा. शहर में समय रहते नगर निगम ने शहर में नालों की सफाई को लेकर योजना नहीं बनाई. बारिश नजदीक आई तो 50 से ज्यादा नाले और नालियों की सफाई की औपचारिकता पूरी की जा रही है. नाले साफ तो किए जा रहे हैं लेकिन गहरे नहीं किए जा रहे और ना ही उसमें पड़ी गंदगी को पूरी तरह से साफ किया जा रहा है. जिससे बारिश में बाढ़ की आशंका सफाई अभियान के बाद भी बनी रहेगी.

सफाई के नाम पर हर रोज रुपए खर्च किए जा रहे हैं. सफाई हो भी रही है लेकिन निगम कर्मचारियों में गंभीरता नहीं होने के कारण ज्यादातर नालों में खानापूर्ति करने की सफाई की जा रही है. दरअसल, शहर के प्रमुख 52 नाले नालियों की सफाई में कम से कम डेढ़ महीने का समय लगता है. नालों के अंदर से कचरा पूरी तरह से नहीं हटाया गया. वहीं कोटा में बारिश के शुरू होने से पहले ही बड़े बड़े नालों की सफाई का कार्य शुरू हो चुका है.

कोटा में नालों की सफाई की खानापूर्ति

रविवार को इसी की मॉनिटरिंग करने के लिए कोटा के प्रतिपक्ष कांग्रेसी पार्षद अनिल सुवालका अन्य पार्षदों के साथ जवाहर नगर स्थित नाले पर पहुंचे. नए कोटा में यहीं एक मात्र बड़ा नाला है. जिसके जाम होने से हर साल सीवरेज का गंदा पानी सड़कों और कॉलोनियों में बह निकलता है. सफाई के दौरान सभी कांग्रेसी पार्षदों ने मौके का जायजा लिया और इसकी सफाई के लिए चैन माउंटिंग मशीन की जरूरत बताई. जिस जगह से नाला बह रहा है उसके आसपास बड़ी-बड़ी कोचिंग संस्थाएं चल रही हैं और अधिकतर मेस का संचालन हो रहा है. मेस संचालन करने वाले उपभोक्ताओं द्वारा नाले में गंदगी डालने का काम किया जा रहा है. लेकिन प्रशासन इस पर अंकुश लगाने में नाकाम है.

Intro:नगर निगम की ओर से फिर से
नालों की सफाई की खानापूर्ति बारिश में फिर डूबेंगे मोहल्ले

कोटा शहर में समय रहते नगर निगम ने शहर में नालों की सफाई को लेकर योजना नहीं बनाई। बारिश नजदीक आई तो 50 से ज्यादा नाले और नालियों की सफाई की औपचारिकता पूरी की जा रही है। नाले साफ तो किए जा रहे हैं लेकिन गहरे नहीं किए जा रहे और न ही उसमें पड़ी गंदगी को पूरी तरह से साफ किया जा रहा है जिससे बारिश में बाढ़ की आशंका सफाई अभियान के बाद भी बनी रहेगी। Body:सफाई के नाम पर हर रोज लगभग हजार रुपए खर्च किए जा रहे हैं। सफाई हो भी रही है लेकिन निगम कर्मचारियों में गंभीरता नहीं होने के कारण ज्यादातर नालों में खानापूर्ति करने की सफाई की जा रही है। दरअसल शहर के प्रमुख 52 नाले नालियों की सफाई में कम से कम डेढ़ महीने का समय लगता है। नालों के अंदर से कचरा पूरी तरह से नही हटाया गया।वही कोटा में बारिश के शुरू होने से पहले ही बड़े बड़े नालों की सफाई का कार्य शुरू हो चुका है आज इसी की मॉनिटरिंग करने के लिए कोटा के प्रतिपक्ष कांग्रेसी पार्षद अनिल सुवालका अन्य पार्षदों के साथ जवाहर नगर स्थित नाले पर पहुंचे। नए कोटा में यही एक मात्र बड़ा नाला है जिसके जाम होने से हर साल सीवरेज का गंदा पानी सड़को ओर कॉलोनियों में बह निकलता है। आज सफाई के दौरान सभी कोंग्रेसी पार्षदों ने मौके का जायजा लिया और इसकी सफाई के लिए चैन माउंटिंग मशीन की जरूरत बताई । Conclusion:जिस जगह से नाला बह रहा है उसके आसपास बड़ी-बड़ी कोचिंग संस्थाएं चल रही है और अधिकतर मैंस का संचालन हो रहा है मैस संचालन करने वाले उपभोक्ताओं द्वारा नाले में गंदगी डालने का काम किया जा रहा है प्रशासन इस पर अंकुश लगाने में नाकाम है।
बाईट - अनिल सुवालका नेता प्रतिपक्ष पार्षद नगर निगम
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