कोटा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आम बजट पेश किया है. ऐसे में ईटीवी भारत ने बजट को लेकर कोटा के चार्टर्ड अकाउंटेंट से बात की. जिसमें उन्होंने साफ तौर पर बताया कि यह बजट मिलाजुला ही है. इसमें लोगों को ज्यादा कुछ नहीं मिला है, केवल इनकम टैक्स स्लैब और हेल्थ की बात छोड़ दी जाए तो, इसके अलावा ज्यादा कुछ लोगों को मिला नहीं है.
इस बजट को जबकि इकोनामी को बूस्ट करने वाला होना चाहिए था. जो यह नहीं है. बजट का दो कैटेगरी होने से लोगों में कन्फ्यूजन पैदा होगा. ऐसे में सीए ब्रांच कोटा की चेयर पर्सन नीतू खंडेलवाल ने कहा कि इनकम टैक्स स्लैब की दो अलग-अलग स्कीम बना दी गई है. अब दो कैटेगरी में इसको डिवाइड कर दिया गया है. एक केटेगरी में सारे बेनिफिट्स करदाता से हटा लिए गए हैं. नीतू खंडेलवाल ने यह भी कहा कि यह टैक्स स्लैब की कैटेगरी कन्फ्यूजन पैदा करेगी. करदाता को पहले एनालिसिस करना होगा कि उसको पुरानी इसके में रहना है या फिर नई स्कीम में जाना है. इसके लिए उसे दोनों स्कीम को भी समझना होगा.
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कोटा से ब्रांच के सचिव निखिल जैन का कहना है कि विदेशी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के साथ कोलिब्रेशन की बात सरकार ने इस बजट में जिक्र किया है. कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री को किसी तरह का नया प्रावधान नहीं दिया गया है. जीएसटी में भी कोई प्रावधान कोटा की कोचिंग को लेकर नहीं आए हैं, हो सकता है यह जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में आ जाए, लेकिन एजुकेशन सिटी कोटा के लिए भी कुछ भी नहीं है.
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कोटा सीए ब्रांच के पूर्व प्रसिडेंट सिद्धार्थ मित्तल का कहना है कि कौन सी चीज के दाम बढ़ते है या सस्ती होती है, यह अधिकांश जीएसटी पर ही तय होता है, क्योंकि यह इनडायरेक्ट टैक्स का मसला होता है. यह फैसला जीएसटी काउंसिल में ही होता है, लेकिन जो टैक्स में छूट दी गई है. उसका ज्यादा फायदा लोगों को नहीं होगा. 10 लाख रुपए तक की इनकम वालों को तो बिल्कुल भी नहीं होगा. जो ज्यादा इनकम वाले लोग हैं उन्हें ही फायदा होगा. महिलाओं के लिए कुछ नहीं है.
किसानों के लिए सीए ब्रांच की उपाध्यक्ष रजनी मित्तल ने बताया कि महिलाओं के लिए इस बजट में कुछ नहीं दिया गया है. थोड़ा बहुत एग्रीकल्चर से सेल्फ हैल्प ग्रुप के बारे में बताया गया है. वित्त मंत्री महिला है, ऐसे में महिलाओं को काफी उम्मीद इस बजट से थी. सीए ब्रांच के कोषाध्यक्ष दीपक सिंघल ने कहा कि बजट मिलाजुला है, सरकार ने अपनी पॉलिसी पहले से तय कर रखी थी. सोलर एनर्जी और बैटरी वाले वाहनों पर बात की गई है. उनको प्रोत्साहन देने की बात कही गई है. साथ ही किसानों के लिए भी यह बात रखी गई है कि वह सोलर से बिजली उत्पादन करें. किसानों की आय बढ़ाने को लेकर भी बात की गई है.
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ऑटोमोबाइल्स सेक्टर को नहीं राहत
सीए ब्रांच के कार्यकारिणी सदस्य लोकेश माहेश्वरी ने कहा कि ऑटोमोबाइल सेक्टर के लोगों को किसी तरह की कोई राहत इस बजट में नहीं दी गई है. स्वास्थ्य के ऊपर जो डॉक्टर्स की कमी है. उस पर जरूर केंद्र सरकार ने काम करने का प्रयास किया है. डॉक्टरों की कमी पूर्ति के लिए हर जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज बना देने का निर्णय अच्छा है. इससे जल्दी डॉक्टर बनकर आएंगे. सेंट्रल इंडिया चार्टर्ड अकाउंटेंट स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष तुषार धींगरा ने कहा कि इस बार जो बजट स्पेशल इकॉनमी को बूस्ट देने वाला होना चाहिए था, वह दूर-दूर तक नहीं है. लो और मिडल इनकम ग्रुप के लोगों के हाथ में पैसा देना चाहिए था. साथ ही छोटे बिजनेसमैन को भी राहत मिलनी चाहिए थी, यह नहीं मिली है. जिसकी ज्यादा जरूरत थी.