कोटा. शहर में पतंगबाजी में कई बेजुबान पक्षी मांझे की चपेट में आने से घायल हो जाते हैं. वहीं, पूरे शहर में ह्यूमन हेल्प लाइन की टीम इनका इलाज कर रही है. इसके लिए कई मोबाइल टीमें अलग-अलग क्षेत्रो में कार्य कर रही हैं.
मकर संक्रांति पर्व पर पतंगबाजी के दौरान कई अनजान पक्षी मांझे की चपेट में आकर घायल हो जाते हैं. इनकी जान बची रहे इसके लिए ह्यूमन हेल्प लाइन शहर के इलाकों में मोबाइल टीमें नजर रखे हुए हैं, जिससे बेजुबान जानवरों की जान बच सके.
पढ़ें- दिल्ली से मीडिया को बुलाकर भाजपा ने जेके लोन अस्पताल और कोटा को बदनाम किया: मंत्री शांति धारीवाल
ह्यूमन हेल्प लाइन के अध्यक्ष मनोज जैन आदिनाथ ने बताया कि मकर संक्रांति पर जब-जब चाइनीज मांझा या रसायनिक मांझे का प्रयोग होता है. तो यह पर्यावरण के लिए बहुत खतरनाक होता है. इसमें स्वछंद रूप से जो पक्षी आसमान में विचरण करते हैं. इसकी चपेट में आकर घायल हो जाते हैं, जिनको समय पर उपचार नहीं मिलने से उनकी मौत तक हो जाती है.
एक दशक से भी अधिक ह्यूमन हेल्प लाइन इन पक्षियों की जान बचा रही है...
मनोज जैन आदिनाथ ने बताया कि ह्यूमन हेल्प लाइन घायल पक्षियों के लिए एक दशक से भी अधिक समय से काम कर रही है. इसके लिए शहर में मोबाइल टीमें घूम-घूम कर इन पक्षियों का इलाज कर पशु चिकित्सालय में पहुंचाती हैं.
पिछले एक महीने में 23 पक्षियों का किया इलाज...
ह्यूमन हेल्प लाइन के अध्यक्ष ने बताया कि अभी तक पिछले महीने में लगभग 23 घायल पक्षियों का इलाज कर चुके है. जिसमें पिछले दिनों में एक कबूतर की मौत हुई, बाकी सभी को बचा लिया गया और उनको पुनर्वास किया गया.
पढ़ें- कोटाः हवा और बादलों ने बिगाड़ा मौसम का मिजाज
मकर संक्रांति पर्व में पतंगबाजी का लुफ्त उठाने के साथ ही बेजुबान पक्षियों का भी ध्यान रखें, ताकि किसी बेजुबान पक्षी की जान ना जाये. इसके अलावा चाइनीज मांझे का प्रयोग न करें. इससे स्वयं को तो नुकसान होता है. इसके अलावा जो खुले आसमान में पक्षी विचरण करते है. वह भी इसकी चपेट में आने से घायल हो जाते हैं.