कोटा. जिले में कई लोगों ने जन्म तिथि में हेरफेर करवाकर सामाजिक सुरक्षा के पेंशन (Social Security Pension) का फायदा ले लिया है. ऐसे कई मामले सामने आए हैं. अधिकांश मामले कोटा जिले के इटावा उपखंड से सामने आ रहे हैं. अब पूरे मामले की जिला प्रशासन जांच कराने की बात (mess in Social security pension) कह रहा है.
जिला कलक्टर ने ओ पी बुनकर ने मामले की जांच करने के निर्देश दे दिए हैं. यह पूरा खेल पेंशन के बंदरबांट से जुड़ा हुआ है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन पाने के लिए 25 से 30 साल की उम्र के लोगों ने भी अपनी जनाधार में डेट ऑफ बर्थ में बदलाव करवाते हुए वृद्धावस्था पेंशन लेना शुरू कर दिया है. इस पूरे खेल में लाभार्थी के साथ ईमित्र संचालक और सरकारी कार्मिकों की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है.
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जन्मतिथि में बदलाव ई मित्र संचालक के स्तर पर होता है. इसके अप्रूवल ऑनलाइन होने वाली प्रक्रिया के तहत सरकारी अधिकारी कर्मचारी करते हैं. जनाधार में फेरबदल के बाद सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए अप्लाई कर दिया जाता है. ऐसे सैकड़ों मामले (mess in Social security pension) इटावा इलाके से सामने आ रहे हैं. इस तरह के मामले में हजारों रुपए की पेंशन साल 2021 से अब तक ले चुके हैं. सूत्रों के अनुसार ऐसे फर्जी अभ्यर्थी करीब 30 फीसदी के आसपास है.
ऐसे उदाहरण आए सामने
- जन्मतिथि में किया बदलावः इटावा उपखंड निवासी एक पति-पत्नी ने जन्म तिथि में हेरफेर किया. उनकी ओरिजिनल जन्मतिथि कुछ और थी, जिसे बदलकर पत्नी की जन्मतिथि 1 जनवरी 1966 कर दी गई. जबकि पति की जन्मतिथि 8 मई 1963 कर दी गई है. इसके बाद दोनों पेंशन लेने के पात्र हो गए और इन्हें सामाजिक सुरक्षा की पेंशन भी मिल रही है. जबकि इन दोनों के एक पुत्र और एक पुत्री है. जिनका जन्म ही 2007 और 2011 में हुआ है.
- हेर फेर कर वापस दुरुस्त करवा लिया, फिर भी मिल रही पेंशनः पीपल्दा इलाके के ही रहने वाले पति-पत्नी ने जन्मतिथि में हेरफेर करवाकर सामाजिक सुरक्षा की पेंशन ले ली. उसके बाद दोबारा वापस जनाधार को दुरुस्त करवा लिया है. जिसमें जन्मतिथि 1997 अंकित है. इसके बावजूद भी इनको 750 रुपए मासिक पेंशन मिल रही है. अगस्त की पेंशन भी इन सभी लोगों को 6 अगस्त को मिली है.
- फोटो में दिख रही कम उम्र, फिर भी हो गई स्वीकृतिः इटावा इलाके के पति-पत्नी ने भी अपनी जन्मतिथि में हेरफेर किया है. पत्नी की जन्मतिथि 1 जनवरी 1965 व पति की जन्म तिथि 1 मार्च 1963 की गई है. जबकि इनकी असल जन्मतिथि कुछ और है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन आवेदन के दौरान दी गई लाभार्थियों की फोटो ही, वेबसाइट पर चस्पा की गई है. इन फोटो के जरिए ही लाभार्थियों की पेंशन स्वीकृत हुई है. इन फोटो में भी इनकी कम उम्र साफ नजर आ रही. इसके बाद भी इनकी पेंशन जारी कर दी गई है.
- जनाधार में अलग और पेंशन पे आर्डर में अलग जन्मतिथिः कोटा जिले के इटावा उपखंड एक और पति-पत्नी ने जन्मतिथि में हेरफेर करवा लिया है. इसके तहत वृद्धावस्था पेंशन के पे आर्डर में उनकी जन्मतिथि 23 मार्च 1963 और 1 जनवरी 1961 बताई हुई है. जबकि असल जन्मतिथि 23 मार्च 1989 और 1 जनवरी 1988 बताई हुई है. इसके बावजूद भी उन्हें वृद्धावस्था पेंशन मिल रही है.
- ई मित्र संचालकों ने खेला है यह खेलः इस पूरे मामले में ई-मित्र संचालकों की भूमिका संदिग्ध दिख रही है. कई जगह पैसों के लालच में जन आधार में एडिटिंग करते हुए सामाजिक सुरक्षा पेंशन के आवेदन करवा दिए गए. पेंशन शुरू होने के बाद कई लोगों के तो जन्मतिथि दुरुस्त भी हो गई है. जबकि कई लगों की जन्मतिथि अभी भी बदली हुई फर्जी ही दिख रही है. इन लोगों की उम्र भी कम है. ये गड़बड़ी कई ई मित्र की आईडी से की गई है.
कलेक्टर ने दिए जांच के निर्देश, एसडीओ बोले होगी एफआईआरः अपात्र लोगों के पेंशन लेने के मामले पर जिला कलेक्टर ओपी बुनकर ने जांच के आदेश दिए हैं. जिसमें जिन भी कार्मिकों और ईमित्र संचालकों की इसमें भूमिका संदिग्ध है, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने और फर्जी लाभार्थियों से रिकवरी के लिए भी निर्देशित किया गया है. इटावा के सबडिवीजन ऑफिसर मोहनलाल प्रतिहार का कहना है कि शिकायत उन्हें भी आई है. अब इस पूरे मामले की जांच करवाएंगे. जिन लोगों ने अपने डॉक्यूमेंट में हेरफेर कर सामाजिक सुरक्षा पेंशन का फायदा लिया है, उनसे रिकवरी भी की जाएगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी होगी. इस प्रकरण में संलिप्त ईमित्र धारकों पर भी कार्रवाई की जाएगी. जांच में अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आती है तो उन पर भी कार्रवाई होगी.