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कोटा : बंगाली समाज करता है मकर संक्रांति पर मगरमच्छ की पूजा

आज पूरे देश में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. इसी बीच कोटा के रोझड़ी में बंगाली समाज ने परंपरा के अनुसार मगरमच्छ की पूजा कर मकर संक्रांति का त्योहार मनाया.

कोटा न्यूज, Kota hindi news
मकर संक्रांति पर मगरमच्छ की पूजा
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Published : Jan 14, 2021, 4:28 PM IST

कोटा. पूरे देश में गुरुवार को मकर संक्रांति पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. वहीं कोटा के रोझड़ी में बंगाली समाज ने मकर संक्रांति पर मिट्टी का मगरमच्छ बनाकर उसके पूजन की पंरपरा निभाई. बंगाली समाज के लोगों का कहना है कि गंगा का वाहन मकरध्वज की पूजा का विधान बरसों से चला आ रहा है. इसकी पूजा कर परिवार की सुख सम्रद्धि की कामना करते हैं.

मकर संक्रांति पर मगरमच्छ की पूजा

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही सक्रांति का पर्व मनाया जाता है. मकर सक्रांति पर दान-पुण्य का विशेष महत्व रहता है. ऐसे में लोग गुड़ और तिल से बने व्यंजन दान कर सक्रांति का पर्व मनाते हैं. कोटा शहर के बाईपास के पास रोझड़ी में रह रहे बंगाली समाज के लोग मकर सक्रांति का पर्व को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं पर कुछ अलग तरीके से.

यह भी पढ़ें. दड़ा महोत्सव पर कोरोना संकट: 80 Kg की 'फुटबाॅल' से खेलते हैं ग्रामीण, जीत पर होती है ये भविष्यवाणी

इनका मानना है कि सूर्य की पहली किरण धरती पर पड़ती है तो धरती पर मात्र एक ऐसा जीव है, जो पानी और धरती दोनों पर समान रूप से रह सकता है. इसलिए मगर को ही पूजन के लिए श्रेष्ठ माना गया है. समाज के लोग मगरमच्छ की पूजा आराधना कर सक्रांति पर्व मनाया जाती है.

इससे पूर्व समाज के लोग एकत्रित हो कर मिट्टी से मगरमच्छ बनाकर उसको हूबहू आकृति देते है और समाज के लोग उसके चारों ओर ढोल ओर ताशे बजाकर परिक्रमा करते हुए पूजन करते हैं. इनका कहना है कि यह परंपरा बरसों से चली आ रही है.

कोटा. पूरे देश में गुरुवार को मकर संक्रांति पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. वहीं कोटा के रोझड़ी में बंगाली समाज ने मकर संक्रांति पर मिट्टी का मगरमच्छ बनाकर उसके पूजन की पंरपरा निभाई. बंगाली समाज के लोगों का कहना है कि गंगा का वाहन मकरध्वज की पूजा का विधान बरसों से चला आ रहा है. इसकी पूजा कर परिवार की सुख सम्रद्धि की कामना करते हैं.

मकर संक्रांति पर मगरमच्छ की पूजा

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही सक्रांति का पर्व मनाया जाता है. मकर सक्रांति पर दान-पुण्य का विशेष महत्व रहता है. ऐसे में लोग गुड़ और तिल से बने व्यंजन दान कर सक्रांति का पर्व मनाते हैं. कोटा शहर के बाईपास के पास रोझड़ी में रह रहे बंगाली समाज के लोग मकर सक्रांति का पर्व को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं पर कुछ अलग तरीके से.

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इनका मानना है कि सूर्य की पहली किरण धरती पर पड़ती है तो धरती पर मात्र एक ऐसा जीव है, जो पानी और धरती दोनों पर समान रूप से रह सकता है. इसलिए मगर को ही पूजन के लिए श्रेष्ठ माना गया है. समाज के लोग मगरमच्छ की पूजा आराधना कर सक्रांति पर्व मनाया जाती है.

इससे पूर्व समाज के लोग एकत्रित हो कर मिट्टी से मगरमच्छ बनाकर उसको हूबहू आकृति देते है और समाज के लोग उसके चारों ओर ढोल ओर ताशे बजाकर परिक्रमा करते हुए पूजन करते हैं. इनका कहना है कि यह परंपरा बरसों से चली आ रही है.

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