कोटा. कोरोना के चलते लगातार मौतें हो रही हैं. मुक्तिधाम पर अस्थियां रखने के लिए बनाए गए लॉकर तक भर गए हैं. मुक्तिधाम में ही लाल कपड़े की थैलियां तैयार कर ली गई हैं ताकि अब अस्थियों को इन थैलियों में रखा जा सके. कई परिवार ऐसे हैं जिनके परिवार में लोग संक्रमित हैं, स्वजन की मौत के बाद हरिद्वार नहीं जा पा रहे हैं. प्रदेश से बाहर जाने और लौटने के लिए RT-PCR रिपोर्ट जरूरी होना भी इन अस्थियों के विसर्जन के इंतजार को लंबा कर रहा है.
हालात वाकई कठिन हैं. लॉकर में जगह नहीं बची तो लोग घरों से पीपे ले आए. कुछ लोग बाल्टी, डिब्बा या जो बर्तन मिला उसी पर मरने वाले का नाम लिखकर अस्थियां जमा करा गए. मुक्तिधाम के लिए भी अस्थियों को रखने की समस्या खड़ी हो गई तो लाल थैलियां बनवा ली हैं. उन पर मरने वाले का नाम लिखकर अस्थियां जमा की जा रही हैं. ताकि अस्थियां बदल न जाएं.
परिवार के परिवार संक्रमण से पीड़ित हैं. ऐसे में अस्थि विसर्जन के लिए लोग घरों से निकल भी नहीं पा रहे हैं. कई लोगों का कहना है कि वे ऑक्सीजन सिलेंडर का जुगाड़ करें या मरीज के लिए दवा का प्रबंध करें. अभी तो यही प्राथमिकता है. इन कार्यों से मुक्त होंगे तब अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा.
नहीं कर पाए अस्थि विसर्जन
शिवपुरा निवासी महिला विष्णु देवी का देहांत दिए 24 अप्रैल को हुआ था. इसी दिन दोपहर 12 बजे उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. उनके परिजन अस्थियों को विसर्जित नहीं कर पाए. किशोरपुरा मुक्तिधाम से वे अस्थियां घर ले आए. विष्णु देवी के दोहिते लखन का कहना है कि अभी ट्रेन से जाना संभव नहीं हो पा रहा है. इसी के चलते नानी की अस्थियों का विसर्जन नहीं हुआ.
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गुलाब बाड़ी निवासी प्रमिला शर्मा का देहांत बीते 20 अप्रैल को कोविड-19 से हो गया था. विद्युत शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार कोविड-19 गाइडलाइन के तहत कर दिया गया था. इसके बाद उनकी अस्थियां अभी भी मुक्तिधाम में ही रखी हुई हैं. उनके बेटे शुभम शर्मा का कहना है कि अभी साधन नहीं चल पा रहे हैं. ऐसे में वे कैसे अस्तियों को विसर्जित करने हरिद्वार जाएं.
कुन्हाड़ी चंचल विहार निवासी सतीश धुडिया का अंतिम संस्कार बीते 20 अप्रैल को हुआ था. उनके बेटे रितेश का कहना है कि मुक्तिधाम में ही अस्थियां रख दी थी. लेकिन अभी हरिद्वार नहीं जा पा रहे हैं. ऐसे में अस्थियां 7 दिन से वहीं रखी हुई हैं. अब उन्हें लाकर नजदीक के शीतला माता मंदिर में रखने के लिए प्रयास करेंगे. जब साधनों की सुविधा शुरू हो जाएगी, तब वे हरिद्वार विसर्जन के लिए जाएंगे.
कोविड जांच रिपोर्ट जरूरी होना भी बड़ी वजह
राज्य सरकार की जन अनुशासन पखवाड़े के तहत एक से दूसरे राज्य में जाने के लिए कोविड-19 जांच जरूरी है. ऐसे में परिजन अगर यहां से जांच करवा कर हरिद्वार चले भी जाते हैं, तो वहां से भी वापस आने पर उसको 19 की जांच जरूरी होगी. साथ ही हरिद्वार जाने वाली ट्रेन में भी कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट 48 घंटे के भीतर वाली जरूरी है. उससे भी लोग नहीं जा पा रहे हैं. अधिकांश लोगों के परिजनों की मौत भी कोविड-19 से हो रही है. ऐसे में वे पहले से ही संक्रमित हैं. इसलिए भी यात्रा नहीं कर पा रहे हैं.
पिछले साल कोविड-19 के चलते इस तरह से ही अस्थियां एकत्रित हो गई थी. लेकिन तब संख्या काफी कम थी. साथ ही तब सामान्य बीमारी या उम्र के चलते मृत्यु होने के बाद भी लोग अस्थियां नहीं ले जा पा रहे थे. क्योंकि सरकार ने एक जिले से दूसरे जिले में परिवहन बंद किया हुआ था. अभी सरकारी या सार्वजनिक यातायात खुला हुआ है. इसके बावजूद लोग नहीं जा रहे हैं. इसके चलते ही बड़ी संख्या में अस्थियां मुक्तिधाम में एकत्रित हो गई है.
10 गुना ज्यादा अस्थियां हुई एकत्रित मुक्तिधाम में
अस्थि कलश के सार संभाल करने वाले ओमप्रकाश का कहना है कि पहले जहां पर 25 से 30 अस्थि कलश ही मुक्तिधाम में रहते थे. इसी के चलते लॉकर की संख्या भी यहां कम थी. लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि ढाई सौ से ज्यादा अस्थि कलश वहां एकत्रित हो गए हैं. लगातार 25 से 30 अस्थि कलश रोज आ रहे हैं. जिसके चलते मुक्तिधाम में रखने की जगह नहीं है. ओमप्रकाश का कहना है कि लोग अन्य मुक्तिधाम से भी अस्थियां लेकर उनके पास जमा करवाकर जा रहे हैं. क्योंकि वह उनका विसर्जन करने नहीं जा पा रहे हैं.
सभी मुक्तिधाम के हैं एक जैसे हालात
किशोरपुरा मुक्तिधाम में 250 से ज्यादा अस्थि कलश विसर्जन का इंतजार कर रहे हैं. जबकि शहर में 10 से ज्यादा मुक्तिधाम हैं. जिनमें रामपुरा, कंसुआ, बोरखेड़ा, थेगड़ा, स्टेशन, संजय नगर, सुभाष नगर, नयापुरा, केशवपुरा, छावनी, कुन्हाड़ी और नांता सभी जगह इसी तरह की हालात हैं. वहां भी अस्थियां एकत्रित बड़ी संख्या में हो रही हैं.