कोटा. शिक्षा नगरी कोटा देशभर में मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के लिए जानी जाती है. यहां आने वाले लाखों विद्यार्थियों में हजारों सफल होते हैं और बड़े इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश (Admission in engineering and medical colleges) पाते हैं. कोटा में एक इंस्टीट्यूट ने कमजोर आर्थिक स्थिति वाले विद्यार्थियों को रियायती दर पर पढ़ाने का निर्णय लिया है.
करीब 500 से 600 विद्यार्थियों को पढ़ाने का यह निर्णय निजी कोचिंग न्यूक्लियस ने लिया है. जिसके तहत 50 हजार रुपए मासिक से कम सैलरी पाने वाले माता-पिता के बच्चों को उनकी मासिक आय का 10 फ़ीसदी शुल्क पर ही पढ़ाया (discounted studies in kota) जाएगा. यानी कि माता-पिता की मासिक इनकम 30 हजार है तो बच्चा सिर्फ 3 हजार रुपये में कोचिंग में पढ़ सकता है.
इसके साथ ही विद्यार्थियों को उनके कोर्स से संबंधित स्टडी मैटेरियल भी सॉफ्ट कॉपी में उपलब्ध करवाया जाएगा. इस कोचिंग संस्थान के निदेशक अमरनाथ आनंद ने बताया कि वह विद्यार्थियों के लिए उत्थान नाम से एक पहल लेकर आए हैं. जिसके तहत मिडिल क्लास और निम्न वर्ग के बच्चों को भी वह कोटा की महंगी कोचिंग उपलब्ध करवाएंगे. जहां पर कोचिंग संस्थान में करीब डेढ़ लाख फीस जमा करानी होती है, उसकी जगह इन विद्यार्थियों को कुछ हजारों में ही कोचिंग देंगे. इसके लिए विद्यार्थियों को संस्थान की वेबसाइट पर ही संपर्क करना होगा. इसके अलावा फोन व सोशल मीडिया से भी संपर्क कर सकते हैं.
विद्यार्थियों को उत्थान के जरिए प्रवेश लेने के लिए केवल माता-पिता की आय का प्रमाण पत्र देना होगा. साथ ही उनका एक छोटा सा इंटरव्यू लिया जाएगा कि वे विद्यार्थी आगे पढ़ाई कर सकते हैं या नहीं. इसी संस्थान के दूसरे डायरेक्टर अमित गुप्ता का कहना है कि बच्चों का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगा. कोटा में मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की कोचिंग में करीब 9 महीने में कोर्स हो जाता है. इन सभी बच्चों को मंथली फीस ही जमा करानी होगी.
उनके माता-पिता की अगर सैलरी 10,000 है तो बच्चों को महज 1000 रुपए फीस ही देनी होगी. ऐसे में इन बच्चों का कोर्स करीब 9 से 10 हजार रुपए में ही पूरा हो जाएगा. इसके अलावा ऐसे बच्चे भी इसमें शामिल किए जाएंगे, जिन्होंने अपने माता-पिता को कोरोना से मां-पिता को खो दिया, कोविड-19 से उनकी जॉब चली गई और सैलरी कट गई है.