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कोटा में इंजेक्शन चोरी के बाद सतर्क हुआ प्रशासन, अब मरीज के नाम से ही दिया जा रहा इंजेक्शन

मेडिकल स्टोर से रेमडेसिविर इंजेक्शन जारी करने की पूरी व्यवस्था में बदलाव किया गया है. मरीज की एचआरसीटी रिपोर्ट के साथ-साथ उसका आधार कार्ड भी लिया जा रहा है. इसके अलावा मरीज को जारी किए गए इंजेक्शन पर परमानेंट मार्कर से नाम लिखा जा रहा है, ताकि इंजेक्शन की कालाबाजारी को रोका जाए.

Kota news, injection theft in Kota
कोटा में इंजेक्शन चोरी के बाद सतर्क हुआ प्रशासन
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Published : May 20, 2021, 1:40 AM IST

कोटा. शहर के कोटा हार्ट इंस्टीट्यूट के श्रीजी अस्पताल से नर्सिंग कर्मी ने रेमडेसिविर के दो इंजेक्शन चुरा ली है और जिन दो मरीजों के लिए इंजेक्शन थे, उनको ग्लूकोस चढ़ा दिया था. इस मामले में कोटा पुलिस ने आरोपी मनोज कुमार रेगर को गिरफ्तार कर लिया था. साथ ही उसके भाई राकेश कुमार रेगर को भी गिरफ्तार किया गया है. इस पूरी व्यवस्था में अब औषधि नियंत्रण संगठन भी जांच में जुटा हुआ है. उन्होंने भी अस्पताल के मेडिकल स्टोर से पूरा रिकॉर्ड लिया है, जिसकी जांच पड़ताल की जा रही है.

कोटा में इंजेक्शन चोरी के बाद सतर्क हुआ प्रशासन

यह भी पढ़ें- रेमडेसिविर की जगह पानी का इंजेक्शन लगाने का मामला, निजी अस्पताल के खिलाफ जांच शुरू

हालांकि अब अस्पताल के मेडिकल स्टोर से रेमडेसिविर इंजेक्शन जारी करने की पूरी व्यवस्था में बदलाव किया गया है. मरीज की एचआरसीटी रिपोर्ट के साथ-साथ उसका आधार कार्ड भी लिया जा रहा है. इसके अलावा मरीज को जारी किए गए इंजेक्शन पर परमानेंट मार्कर से नाम लिखा जा रहा है, ताकि वह इंजेक्शन बाजार में किसी दूसरे को लगता मिले, तो इसकी जांच और कालाबाजारी का खुलासा तुरंत हो जाए.

कितने इंजेक्शन हिसाब

निजी अस्पताल के मेडिकल स्टोर के फार्मासिस्ट विष्णु प्रसाद बेरवा का कहना है कि वह अब इंजेक्शन की हर वाइल पर मरीज का नाम लिख रहे हैं. इसके अलावा मरीज को अब तक कितने इंजेक्शन जारी हो गए हैं. इसका भी रिकॉर्ड मरीज के परिजनों से पूछा जा रहा है. साथ ही वे खुद भी पुराने रिकॉर्ड में देखकर जारी कर रहे हैं. साथ ही जो व्यक्ति इंजेक्शन लेने आ रहा है, उसका मरीज से क्या रिलेशन है और उसका मोबाइल नंबर भी दर्ज किया जा रहा है.

कोटा. शहर के कोटा हार्ट इंस्टीट्यूट के श्रीजी अस्पताल से नर्सिंग कर्मी ने रेमडेसिविर के दो इंजेक्शन चुरा ली है और जिन दो मरीजों के लिए इंजेक्शन थे, उनको ग्लूकोस चढ़ा दिया था. इस मामले में कोटा पुलिस ने आरोपी मनोज कुमार रेगर को गिरफ्तार कर लिया था. साथ ही उसके भाई राकेश कुमार रेगर को भी गिरफ्तार किया गया है. इस पूरी व्यवस्था में अब औषधि नियंत्रण संगठन भी जांच में जुटा हुआ है. उन्होंने भी अस्पताल के मेडिकल स्टोर से पूरा रिकॉर्ड लिया है, जिसकी जांच पड़ताल की जा रही है.

कोटा में इंजेक्शन चोरी के बाद सतर्क हुआ प्रशासन

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हालांकि अब अस्पताल के मेडिकल स्टोर से रेमडेसिविर इंजेक्शन जारी करने की पूरी व्यवस्था में बदलाव किया गया है. मरीज की एचआरसीटी रिपोर्ट के साथ-साथ उसका आधार कार्ड भी लिया जा रहा है. इसके अलावा मरीज को जारी किए गए इंजेक्शन पर परमानेंट मार्कर से नाम लिखा जा रहा है, ताकि वह इंजेक्शन बाजार में किसी दूसरे को लगता मिले, तो इसकी जांच और कालाबाजारी का खुलासा तुरंत हो जाए.

कितने इंजेक्शन हिसाब

निजी अस्पताल के मेडिकल स्टोर के फार्मासिस्ट विष्णु प्रसाद बेरवा का कहना है कि वह अब इंजेक्शन की हर वाइल पर मरीज का नाम लिख रहे हैं. इसके अलावा मरीज को अब तक कितने इंजेक्शन जारी हो गए हैं. इसका भी रिकॉर्ड मरीज के परिजनों से पूछा जा रहा है. साथ ही वे खुद भी पुराने रिकॉर्ड में देखकर जारी कर रहे हैं. साथ ही जो व्यक्ति इंजेक्शन लेने आ रहा है, उसका मरीज से क्या रिलेशन है और उसका मोबाइल नंबर भी दर्ज किया जा रहा है.

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