कोटा. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो कोटा की टीम ने न्यायालय परिसर में कार्रवाई करते हुए एसीजेएम क्रम संख्या-एक के रीडर और यूडीसी को 500 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. हालांकि रिश्वत की राशि काफी छोटी है, लेकिन प्रारंभिक पूछताछ में एसीबी के सामने आया है कि यह इस तरह से हर फाइल पर ही पैसा लिया करते थे.
दोनों आरोपी दिन भर में हर फाइल पर 500, 1000 या 2000 हजार रुपए तक वसूल लिया करते थे. करीब दिन में 50 से ज्यादा इस तरह की फाइलें न्यायालय में होती है. इसके अनुसार करीब 50 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक की रिश्वत एक दिन में ही यह लोग वसूल लिया करते थे. एसीबी के अधिकारियों का कहना है कि पकड़े गए रीडर गोपाल प्रसाद जैन और यूडीसी सुरेश चंद्र जाट का अमूमन यही काम था. इनसे कई लोग परेशान है, परिवादी का भी कहना है कि उसके हर छोटे-मोटे काम के ही यह पैसे लिया करते थे.
डेढ़ महीने से अटका रखी थी इस्तगासे की फाइल...
एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ठाकुर चंद्रशील कुमार का कहना है कि परिवादी एडवोकेट शहजाद अली खान ने जिस फाइल को लेकर शिकायत की थी, उसको डेढ़ माह से लीडर गोपाल प्रसाद जैन और यूडीसी सुरेश चंद्र जाट ने रोका हुआ था, इसको लेकर वह काफी परेशान हो गया था, जिसके बाद ही उसने एसीबी का दरवाजा खटखटाया था. एसीबी के अधिकारियों का कहना है कि यह जो लोग रिश्वत लेते थे, उनमें जमानत के मुकलचे को तस्दीक करना, तारीख देना और इस्तगासे को थाने में भेजना शामिल है.
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सीधे क्लाइंट से नहीं लिए पैसे...
रिश्वतखोर रीडर गोपाल प्रसाद जैन और यूडीसी सुरेश चंद्र जाट क्लाइंट से सीधे पैसे नहीं लेता था. क्लाइंट जब पैसा देने पहुंच, जाए तो उसे डरा धमका कर भगा दिया जाता था. उनका कहना था कि वकील के जरिए ही रिश्वत की राशि लेंगे. इस मामले में भी यही हुआ. परिवादी वकील शहजाद अली खान ने जब गोपाल प्रसाद जैन को रिश्वत के रूप में पैसे क्लाइंट से दिलवाने लगा, तो उसने नाराज होते हुए पैसे नहीं लिए और कहा कि हम पार्टी से डायरेक्ट नहीं लेते हैं. वकीलों की बात अलग है बाहर दे दो हम पार्टी को अड़ने भी नहीं देते हैं यह पूरा वाकिया एसीबी की रिकॉर्डिंग में दर्ज हो गई है.