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राजस्थान में एक ऐसा श्मशान घाट जहां लोग रोज जाते हैं मॉर्निंग वॉक करने, देखें खास रिपोर्ट - जयपुर

कोटा शहर के इस श्मशान में महिलाएं हर सुबह मॉर्निंग वॉक करने आती हैं. बुजुर्ग यहां योग और प्राणायाम करते नजर आते हैं. बच्चे यहां शाम को खेलते हैं. यहां आने वाले लोगों के जहन में खौफ नजर नहीं आता.

ऐसा श्मशान घाट जहां लोग रोज जाते हैं मॉर्निंग वॉक करने
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Published : Jul 3, 2019, 8:04 PM IST

Updated : Jul 4, 2019, 3:00 PM IST

कोटा. क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है. जब नींद खुलते ही आप शमशान पहुंच जाए. आपके पड़ोसी उस शमशान में आपके आस-पास मॉर्निंग वॉक करते नजर आए. भूत-प्रेत और आत्माओं के बीच कोई बुजुर्ग आपकी और बढ़ता नजर आए. कुछ बच्चों के खिलखिलाने की आवाज आपके कानों तक आए, और उस सब के बीच आप चैन से वहां पर घूमते रहे. चौकिए मत क्योंकि आज हम आपको जो बताने और दिखाने जा रहे है उसे जानकर कर आप सन्न रह जाएंगे. ये जो तस्वीरें आप देख रहे हैं, यह किसी पार्क या किसी गार्डन की नहीं हैं बल्कि यह तस्वीरें हैं कोटा शहर के एक श्मशान की हैं.

ऐसा श्मशान घाट जहां लोग रोज जाते हैं मॉर्निंग वॉक करने, खास रिपोर्ट

लेकिन यह शमशान कुछ अलग है यहां पर महिलाएं हर सुबह मॉर्निंग वॉक करने आती हैं. बुजुर्ग यहां योग और प्राणायाम करते नजर आते हैं. बच्चे यहां शाम को खेलते हैं. इस आदर्श मुक्तिधाम की साफ सफाई देखकर यह आपको मंदिर जैसा ही दिख रहा होगा, लेकिन यह सच है कि यह एक श्मशान है जहां हर रोज मुर्दो को जलाया जाता है. जहां हर रोज चीखे सुनाई देती है. लेकिन कभी विरान और खंडहर सी दिखने वाला यह श्मशान जिसके नजदीक जाने से भी लोगों की हलक सूखने लगती थी. आखिर पिछले दो सालो में ऐसा क्या हुआ कि यह श्मशान किसी पार्क और गार्डन से दिखने लगा. जहां स्थानिय लोग वॉक के लिए और बच्चे खेलने के लिए पहुंचते हैं.

आदर्श मुक्तिधाम समिति के लोग कहते हैं कि पहले यहां आने वालों को बहुत परेशानी होती थी, इसको देख कर ही हमने पूरे मुक्तिधाम परिसर को संभाला और उसके बाद देखभाल शुरू की. यहां आने वाले लोगों को बैठने की सीटिंग अरेंजमेंट करवाया गया. मुक्तिधाम में सौंदर्यीकरण करवाया गया है. इसमें शिव प्रतिमा के साथ सोमवारा लगवाया गया है. यहां तक की दरवाजों के कई पुतले भी परिसर में खड़े किए गए. अस्थि संग्रहण कर रखने के लिए भी अलमीरा बनाई गई. वाटर कूलर भी लगाए गए. साथ ही अस्थि चोरी की घटनाओं को देखते हुए और श्मशान की मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.

आदर्श मुक्तिधाम को संभाल रहे देव शर्मा कहते हैं कि 2 साल पहले हमने इस मुक्तिधाम को संभालने का बीड़ा उठाया और 2 साल की लगातार मेहनत के बाद आज इस स्थिति में पहुंचे है. पार्क में हर सुबह सफाई करने वाले रघुनंदन विजय कहते है की सुबह 6 से 9 बजे तक हम मुक्तिधाम में सेवा कार्य करते हैं. पार्क की देखभाल के साथ लकड़ियों के स्टॉक को मेंटेन करने का काम भी हम करते हैं.

समिति के दुर्गाप्रसाद अग्रवाल का कहना है कि शहर के अन्य मुक्तिधाम में अस्थि चोरी की घटनाएं सामने आ रही थी, ऐसे में हमने सुरक्षा को देखते हुए पूरे मुक्तिधाम परिसर को सीसीटीवी कैमरे लगावाए हैं...हम हर सुबह आकर सीसीटीवी कैमरे में पिछले दिन की रिकॉर्डिंग देखते हैं...आमतौर पर होता है कि किसी शमशान में लोग जाने से भी कतराते हैं, लेकिन यहां बड़े, बूढ़े, महिलाएं, बच्चे सभी सुबह से शाम तक आप को मिल जाएंगे. यहां आने से कोई डरता नहीं बल्की सुबह होते ही यहां पर लोग योगा, कसरत, मॉर्निंग वॉक करते नजर आते हैं.

कोटा. क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है. जब नींद खुलते ही आप शमशान पहुंच जाए. आपके पड़ोसी उस शमशान में आपके आस-पास मॉर्निंग वॉक करते नजर आए. भूत-प्रेत और आत्माओं के बीच कोई बुजुर्ग आपकी और बढ़ता नजर आए. कुछ बच्चों के खिलखिलाने की आवाज आपके कानों तक आए, और उस सब के बीच आप चैन से वहां पर घूमते रहे. चौकिए मत क्योंकि आज हम आपको जो बताने और दिखाने जा रहे है उसे जानकर कर आप सन्न रह जाएंगे. ये जो तस्वीरें आप देख रहे हैं, यह किसी पार्क या किसी गार्डन की नहीं हैं बल्कि यह तस्वीरें हैं कोटा शहर के एक श्मशान की हैं.

ऐसा श्मशान घाट जहां लोग रोज जाते हैं मॉर्निंग वॉक करने, खास रिपोर्ट

लेकिन यह शमशान कुछ अलग है यहां पर महिलाएं हर सुबह मॉर्निंग वॉक करने आती हैं. बुजुर्ग यहां योग और प्राणायाम करते नजर आते हैं. बच्चे यहां शाम को खेलते हैं. इस आदर्श मुक्तिधाम की साफ सफाई देखकर यह आपको मंदिर जैसा ही दिख रहा होगा, लेकिन यह सच है कि यह एक श्मशान है जहां हर रोज मुर्दो को जलाया जाता है. जहां हर रोज चीखे सुनाई देती है. लेकिन कभी विरान और खंडहर सी दिखने वाला यह श्मशान जिसके नजदीक जाने से भी लोगों की हलक सूखने लगती थी. आखिर पिछले दो सालो में ऐसा क्या हुआ कि यह श्मशान किसी पार्क और गार्डन से दिखने लगा. जहां स्थानिय लोग वॉक के लिए और बच्चे खेलने के लिए पहुंचते हैं.

आदर्श मुक्तिधाम समिति के लोग कहते हैं कि पहले यहां आने वालों को बहुत परेशानी होती थी, इसको देख कर ही हमने पूरे मुक्तिधाम परिसर को संभाला और उसके बाद देखभाल शुरू की. यहां आने वाले लोगों को बैठने की सीटिंग अरेंजमेंट करवाया गया. मुक्तिधाम में सौंदर्यीकरण करवाया गया है. इसमें शिव प्रतिमा के साथ सोमवारा लगवाया गया है. यहां तक की दरवाजों के कई पुतले भी परिसर में खड़े किए गए. अस्थि संग्रहण कर रखने के लिए भी अलमीरा बनाई गई. वाटर कूलर भी लगाए गए. साथ ही अस्थि चोरी की घटनाओं को देखते हुए और श्मशान की मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.

आदर्श मुक्तिधाम को संभाल रहे देव शर्मा कहते हैं कि 2 साल पहले हमने इस मुक्तिधाम को संभालने का बीड़ा उठाया और 2 साल की लगातार मेहनत के बाद आज इस स्थिति में पहुंचे है. पार्क में हर सुबह सफाई करने वाले रघुनंदन विजय कहते है की सुबह 6 से 9 बजे तक हम मुक्तिधाम में सेवा कार्य करते हैं. पार्क की देखभाल के साथ लकड़ियों के स्टॉक को मेंटेन करने का काम भी हम करते हैं.

समिति के दुर्गाप्रसाद अग्रवाल का कहना है कि शहर के अन्य मुक्तिधाम में अस्थि चोरी की घटनाएं सामने आ रही थी, ऐसे में हमने सुरक्षा को देखते हुए पूरे मुक्तिधाम परिसर को सीसीटीवी कैमरे लगावाए हैं...हम हर सुबह आकर सीसीटीवी कैमरे में पिछले दिन की रिकॉर्डिंग देखते हैं...आमतौर पर होता है कि किसी शमशान में लोग जाने से भी कतराते हैं, लेकिन यहां बड़े, बूढ़े, महिलाएं, बच्चे सभी सुबह से शाम तक आप को मिल जाएंगे. यहां आने से कोई डरता नहीं बल्की सुबह होते ही यहां पर लोग योगा, कसरत, मॉर्निंग वॉक करते नजर आते हैं.

Intro:कोटा के संजय नगर का यह शमशान 2 साल पहले उजाड़ स्थिति में था, इसके बाद जब समिति के लोगों ने शमशान को अपने हाथों में लिया. उसके बाद से ही इसमें लगातार सुधार किए जा रहे हैं. अस्थि चोरी की घटनाएं और श्मशान की मॉनिटरिंग के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. पूरे शमशान का सौंदर्यीकरण किया गया है. अंतिम संस्कार में शामिल आने वाले परेशान न हो इसके लिए सीटिंग अरेंजमेंट किए हैं.


Body:कोटा.
यह जो तस्वीरें आप देख रहे हैं, यह किसी पार्क या गार्डन के नहीं है. यह तस्वीर है कोटा शहर के एक श्मशान की. जहां महिलाएं सुबह मॉर्निंग वॉक करने आती हैं. बुजुर्ग लोग योग प्राणायाम यहां करते हैं. बच्चे यहां शाम को खेलते हैं. इस मुक्तिधाम की सफाई देखकर लगेगा कि यह मंदिर जैसा ही है यह सब संभव हुआ है इस मुक्तिधाम को संभालने वाली समिति के हाथों के द्वारा. यह स्थिति कोटा के स्टेशन क्षेत्र के संजय नगर स्थित आदर्श मुक्तिधाम की है जो आज से 2 साल पहले बिल्कुल जर्जर अवस्था में था. अब स्थिति बिलकुल विपरीत है पूरा मुक्तिधाम सुरक्षित और संरक्षित है.

अंतिम संस्कार में शामिल लोगों को परेशानी नहीं हो इसलिए शुरू की मशक्कत
समिति के लोगों का कहना है कि अंतिम संस्कार में शामिल लोगों को परेशानी होती थी. इसको देख कर ही हमने पूरे मुक्तिधाम परिसर को संभाला और उसके संभाल शुरू कर दी. यहां आने वाले लोगों को बैठने की सीटिंग अरेंजमेंट करवाया गया. पूरे पार्क को मेंटेन किया है.


मुक्तिधाम में करवाया सौंदर्यीकरण
मुक्तिधाम में सौंदर्यीकरण करवाया गया है. इसमें शिव प्रतिमा के साथ सोमवारा लगवाया गया है. यहां तक की दरवाजों के कई पुतले भी परिसर में खड़े किए गए. अस्थि संग्रहण कर रखने के लिए भी अलमीरा बनाया है. वाटर कूलर भी लगाए गए.

2 साल की लगातार मेहनत से हुआ संभव
मुक्तिधाम को संभाल रहे देव शर्मा कहते हैं कि 2 साल पहले इस मुक्तिधाम की हालत बिल्कुल जर्जर और उजाड़ अवस्था में थी, हमने इस मुक्तिधाम को संभालने का बीड़ा उठाया और 2 साल की लगातार मेहनत के बाद आज की स्थिति में पहुंचाया है. मुक्तिधाम के पार्क की सार संभाल की हरियाली बढ़ाई और पेड़ पौधे भी यहां पर पनपाए हैं. अब मुक्तिधाम की ऐसी स्थिति हो गई है कि लोग यहां पर सुबह मॉर्निंग वॉक करने आने लगे हैं.





Conclusion:रोज तीन घंटे सफाई
पार्क में सुबह सुबह सफाई कर रहे रघुनंदन विजय सुबह 6 से 9 बजे तक हम मुक्तिधाम में सेवा कार्य करते हैं. इस दौरान पूरे परिसर की सफाई हम लोग ही करते हैं और पाक की देखभाल और लकड़ियों के स्टॉक को मेंटेन करने का काम भी हम लोग ही करते हैं. हर रविवार के दिन पूरे परिसर की धुलाई की जाती है, जिसमें अंतिम संस्कार स्थल भी शामिल है.

अस्थि चोरी नहीं हो लगा दिया सीसीटीवी
समिति के दुर्गाप्रसाद अग्रवाल का कहना है कि शहर के अन्य मुक्तिधाम में अस्थि चोरी की घटनाएं सामने आ रही थी, ऐसे में हमने सुरक्षा को देखते हुए पूरे मुक्तिधाम परिसर को सीसीटीवी कैमरे लगाकर मीटिंग पर रखा है. हम सुबह आकर सीसीटीवी कैमरे में पिछले दिन की रिकॉर्डिंग देखते हैं और ताकि किसी तरह की कोई घटना परिसर में नहीं हो.

लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी भी
हरी प्रसाद अग्रवाल का कहना है कि मुक्तिधाम में लकड़ी के स्टॉक का काम भी व्यक्ति देखते हैं. जब भी अंतिम संस्कार होता है, वह खुद अपने हाथों से ही लकड़ियां तोल कर उपलब्ध कराते हैं. इस स्टॉक का पूरा हिसाब किताब भी समिति ही देखती है. इससे होने वाली छोटी मोटी आय को लावारिस शवों के अंतिम संस्कार में लगाया जाता है. इसके साथ ही जो लोग गरीब और असहाय होते हैं उनकी भी अंतिम संस्कार में मदद की जाती है.


काफी सुधार करने है
समिति के करीब एक दर्जन से ज्यादा सदस्य इस पूरे मुक्तिधाम को संवारने में लगे हुए हैं. उन्होंने 2 साल की कड़ी मेहनत से इस मुक्तिधाम को वर्तमान स्थिति में पहुंचा दिया है. इन लोगों का कहना है कि वे अभी इसमें और काफी सुधार करेंगे. इस समिति में योगेश गुप्ता, राजीव माथुर, बाबूलाल गौतम, आरसी अग्रवाल बाबूलाल पाल, जेपी शर्मा, अमित विजय, बाबूलाल शर्मा, भवानी शंकर विजय, सुशील अग्रवाल शामिल है.

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पैकेज के लिए बाइट
बाइट-- देव शर्मा, सदस्य, आदर्श मुक्तिधाम संजय नगर समिति
बाइट-- रघुनंदन विजय, सदस्य, आदर्श मुक्तिधाम संजय नगर समिति
बाइट-- दुर्गाप्रसाद अग्रवाल, सदस्य, आदर्श मुक्तिधाम संजय नगर समिति
बाइट-- हरी प्रसाद अग्रवाल, सदस्य, आदर्श मुक्तिधाम संजय नगर समिति
पीटीसी-- मनीष गौतम, संवाददाता, कोटा
Last Updated : Jul 4, 2019, 3:00 PM IST
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