कोटा. हाड़ौती संभाग में इस बार मानसून के दस्तक कमजोर रहने के चलते एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर बुवाई नहीं हुई है, जिस पर किसान अपनी फसल नहीं लगा पाए हैं. ऐसे में उत्पादन पर भी असर दिख सकता है. अभी भी हाड़ौती संभाग में मानसून कमजोर ही है. इसके चलते फसलों में रोग की भी आशंका बनी हुई है.
कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जहां पर उन्हें हाड़ौती में 12,12,070 हेक्टेयर पर खरीफ की फसलों बुवाई का लक्ष्य आवंटित किया गया था. उसकी जगह पर 1,04,517 हेक्टेयर की कमी से 11,07,553 हेक्टेयर पर ही बुवाई हो पाई है. यह लक्ष्य का महज 91.38 फीसदी है. बीघा में इसको देखा जाए तो 4,12,840 बीघा जमीन इस बार बिना खरीफ की फसल के पूरे हाड़ौती में रहेगी. जबकि पिछले साल 11,89,619 हेक्टेयर पर किसानों ने खरीफ की फसल की थी.
बूंदी सबसे पिछड़ा, गत साल की 73 फीसदी ही बुवाई
संभाग में सबसे ज्यादा बूंदी जिला बुवाई में पिछड़ गया है, वहां पर 27 फीसदी जमीन पड़त ही रह गई है, जिसमें पिछले साल बुवाई हुई थी. बूंदी जिले का जहां पर लक्ष्य इस बार 2,33,000 हेक्टेयर था. उसकी जगह महज 1,83,020 हेक्टेयर पर ही बुआई हो पाई है. जबकि पिछले साल पूरे बूंदी जिले में 2,51,167 हेक्टेयर भूमि पर फसल किसानों ने पैदा की थी. पिछले साल के अनुपात पर इस बार 73 फीसदी जमीन पर ही किसानों ने खरीफ फसल की है. पिछली बार हुई बुवाई से यह 68,147 हेक्टेयर कम है.
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दलहन फसल उड़द पर सबसे ज्यादा असर
मानसून की कमजोरी के चलते यह सबसे ज्यादा असर दलहन की फसल उड़द पर पड़ा है. हाड़ौती संभाग में जहां पर इस बार 2,94,000 हेक्टेयर का लक्ष्य उड़द के लिए मिला था. उसकी जगह महज 1,40,792 हेक्टेयर ही बुवाई हो पाई है. जबकि पिछले साल 2,74,652 हेक्टेयर में उड़द की फसल किसानों ने की थी. अधिकांश उड़द कोटा से रामगंजमंडी एरिया, झालावाड़ और बारां जिले में ही होता है. ऐसे में माना जाए तो उड़द की फसल में पिछले साल की अपेक्षा महज 48 फीसदी ही बुवाई हुई है. ऐसे में उसका रकबा सबसे ज्यादा कम हुआ है. लक्ष्य से 1,53,218 हेक्टेयर कम बुवाई हुई है.
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मक्का और सोयाबीन का बड़ा रकवा
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा के अनुसार इस बार सोयाबीन की लक्ष्य से ज्यादा बुवाई हुई है, जिसमें छह लाख 70,000 हेक्टेयर की जगह 7,12,373 हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है. पिछले साल से 6,72,966 हेक्टेयर से भी ज्यादा है. साथ ही मक्का की फसल में भी 95,000 की जगह 1,01,803 हेक्टेयर में बुवाई किसानों ने की है. जबकि पिछले साल महज 93,576 हेक्टेयर में मक्का की फसल की थी.