ETV Bharat / city

कोटा में 2 दिवसीय उद्यम समागम, विभिन्न उद्योगों पर आधारित स्टॉल्स का प्रदर्शन

author img

By

Published : Feb 18, 2020, 11:58 PM IST

Updated : Mar 9, 2020, 10:23 PM IST

कोटा में औद्योगिक विकास को गति और युवा उद्यमियों को योजनाओं की जानकारी देने के लिए 2 दिवसीय उद्यम समागम का आयोजन किया जा रहा है. उद्यम समागम में 50 तरह की स्टॉलें लगाई गई है.

कोटा में 2 दिवसीय उद्यम समागम, Kota News
कोटा में 2 दिवसीय उद्यम समागम

कोटा. जिले में औद्योगिक विकास को गति और युवा उद्यमियों को योजनाओं की जानकारी देने के लिए 2 दिवसीय उद्यम समागम आयोजित किया जा रहा है. इस समागम में 50 तरह की स्टॉलें लगी हुई हैं. इसमें अलसी से बनने वाले प्रॉडक्ट बिस्किट, पशु आहार, सोया से बनने वाले पनीर दूध और कोटा स्लरी से 15 प्रकार की टाइल्स को लगाया गया है.

कोटा में 2 दिवसीय उद्यम समागम

बता दें कि जिले के यूआईटी ऑडिटोरियम में चल रहे 2 दिवसीय मेले में सरकारी और गैर सरकारी विभागों की ओर से लगाई प्रदर्शनी में स्टार्ट अप से लेकर जिले में औद्योगिक विकास की सजीव झांकी दिखाई गई. प्रदर्शनी में 50 तरह की स्टॉल लगाई गई है.

पढ़ें-स्पेशलः गुजरात से पहले जयपुर में भी बनी थी गरीबी छुपाने के लिए दीवार

ई-बगीची रोजगार का नया विकल्प

कोटा निवासी धीरेंद्र तंवर के ई-बगीची के स्टार्ट अप से पर्यावरण सरंक्षण और रोजगार का नया विकल्प युवाओं को दिखा है. तंवर ने बताया, कि इस बगीची से घर, फैक्ट्री और ऑफिस का पर्यावरण संरक्षण होता है. साथ ही ऑक्सीजन भी भरपूर मिलती है. इसके साथ ही युवा इसे लेकर बिजनेस भी कर सकते हैं.

लोगों को लुभा रही टाइल्स

पाषाण वेलफेयर की ओर से कोटा स्टोन के वेस्ट से तैयार विभिन्न रंगों और डिजाइन की टाइल्स भी लोगों को लुभा रही है. डायरेक्टर मुकेश त्यागी ने बताया, कि कोटा स्टोन की स्लरी का करीब 85 फीसदी भाग काम में लिया जाता है. उन्होंने बताया,कि सीबीआर रुड़की में इसकी टेक्नोलॉजी को डवलप कर प्लांट को दी है, इसके मिश्रण से टाइल्स और ब्रिक्स बनाई जा रही है. उन्होंने बताया, कि कोटा में कोटा स्टोन की स्लरी काफी तादात में उपलब्ध है. युवा इस तरह के प्लांट डालकर स्टार्ट अप शुरू कर सकेंगे.

स्वरोजगार से जोड़ती है कृषि विश्वविद्यालय

कृषि विश्वविधालय की निदेशक डॉ. ममता तिवारी ने बताया, कि कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र युवाओं को खाद्य उत्पादनों को बनाना सिखाते है. उन्होंने बताया, कि हाड़ौती में उत्पादन होने वाली सोयाबीन, लहसुन, टमाटर और संतरा के विभिन्न उत्पादन बनाना सिखाते हैं.

पढ़ें- स्पेशल : 70 दिन की नहर बंदी प्रस्तावित, सिर्फ 40 दिन मिलेगा पानी

युवाओं को ट्रेनिंग के माध्यम से सिखाया जाता है, कि कैसे सोयाबीन से दूध, दही, पनीर और श्रीखंड बनाया जाता है. उद्यम समागम में कृषि विश्वविद्यालय और ग्रामीण विज्ञान केंद्र, दीगोद की ओर से सोयाबीन, अलसी और सहजन के स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद भी युवाओं को स्टार्ट अप का संदेश दे रहे हैं.

कोटा. जिले में औद्योगिक विकास को गति और युवा उद्यमियों को योजनाओं की जानकारी देने के लिए 2 दिवसीय उद्यम समागम आयोजित किया जा रहा है. इस समागम में 50 तरह की स्टॉलें लगी हुई हैं. इसमें अलसी से बनने वाले प्रॉडक्ट बिस्किट, पशु आहार, सोया से बनने वाले पनीर दूध और कोटा स्लरी से 15 प्रकार की टाइल्स को लगाया गया है.

कोटा में 2 दिवसीय उद्यम समागम

बता दें कि जिले के यूआईटी ऑडिटोरियम में चल रहे 2 दिवसीय मेले में सरकारी और गैर सरकारी विभागों की ओर से लगाई प्रदर्शनी में स्टार्ट अप से लेकर जिले में औद्योगिक विकास की सजीव झांकी दिखाई गई. प्रदर्शनी में 50 तरह की स्टॉल लगाई गई है.

पढ़ें-स्पेशलः गुजरात से पहले जयपुर में भी बनी थी गरीबी छुपाने के लिए दीवार

ई-बगीची रोजगार का नया विकल्प

कोटा निवासी धीरेंद्र तंवर के ई-बगीची के स्टार्ट अप से पर्यावरण सरंक्षण और रोजगार का नया विकल्प युवाओं को दिखा है. तंवर ने बताया, कि इस बगीची से घर, फैक्ट्री और ऑफिस का पर्यावरण संरक्षण होता है. साथ ही ऑक्सीजन भी भरपूर मिलती है. इसके साथ ही युवा इसे लेकर बिजनेस भी कर सकते हैं.

लोगों को लुभा रही टाइल्स

पाषाण वेलफेयर की ओर से कोटा स्टोन के वेस्ट से तैयार विभिन्न रंगों और डिजाइन की टाइल्स भी लोगों को लुभा रही है. डायरेक्टर मुकेश त्यागी ने बताया, कि कोटा स्टोन की स्लरी का करीब 85 फीसदी भाग काम में लिया जाता है. उन्होंने बताया,कि सीबीआर रुड़की में इसकी टेक्नोलॉजी को डवलप कर प्लांट को दी है, इसके मिश्रण से टाइल्स और ब्रिक्स बनाई जा रही है. उन्होंने बताया, कि कोटा में कोटा स्टोन की स्लरी काफी तादात में उपलब्ध है. युवा इस तरह के प्लांट डालकर स्टार्ट अप शुरू कर सकेंगे.

स्वरोजगार से जोड़ती है कृषि विश्वविद्यालय

कृषि विश्वविधालय की निदेशक डॉ. ममता तिवारी ने बताया, कि कृषि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्र युवाओं को खाद्य उत्पादनों को बनाना सिखाते है. उन्होंने बताया, कि हाड़ौती में उत्पादन होने वाली सोयाबीन, लहसुन, टमाटर और संतरा के विभिन्न उत्पादन बनाना सिखाते हैं.

पढ़ें- स्पेशल : 70 दिन की नहर बंदी प्रस्तावित, सिर्फ 40 दिन मिलेगा पानी

युवाओं को ट्रेनिंग के माध्यम से सिखाया जाता है, कि कैसे सोयाबीन से दूध, दही, पनीर और श्रीखंड बनाया जाता है. उद्यम समागम में कृषि विश्वविद्यालय और ग्रामीण विज्ञान केंद्र, दीगोद की ओर से सोयाबीन, अलसी और सहजन के स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद भी युवाओं को स्टार्ट अप का संदेश दे रहे हैं.

Last Updated : Mar 9, 2020, 10:23 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.