जोधपुर. अस्पताल कार्मिकों की लापरवाही और अव्यवस्थाओं के लिए मशहूर रहे माथुरादास माथुर अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है. हद तो तब हो गई जब अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ने वाले एक युवक का शव ही मोर्चरी से गायब हो (Dead body young man disappeared from mortuary) गया. जब बासनी पुलिस मृतक के परिजन को लेकर मोर्चरी पहुंच गई और मोर्चरी मृतक के भाई के साथ अंदर गए तो शव नजर नहीं आया. परिजन को लेकर आई बासनी पुलिस भी मोर्चरी से वापस चली गई. जिसके बाद स्थानीय शास्त्रीनगर थाना पुलिस ने परिजनों के साथ समझाइश की. जिसके बाद कलेक्टर ने एसडीएम को मोर्चरी भेजा. जिन्हें परिजनों ने अपना परिवाद सौंपा.
वहीं अस्पताल प्रशासन ने मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई है. अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने बताया कि फॉरेंसिंक विभाग के विभागाध्यक्ष, अस्पताल उपाधीक्षक और सर्जन को जांच कमेटी में शामिल किया गया है. जबकि मामले को लेकर एसडीएम सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित ने बताया कि जालोर निवासी भेराराम 21 जून को भर्ती हुआ था. उसकी 23 जून को मृत्यु हो गई थी. उसका शव मोर्चरी में रखवाया गया था. उसके भाई ने रिपोर्ट दी है कि उन्हें शव नहीं मिला. इसकी जांच करवा रहे हैं.
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शिनाख्त में हुई लापरवाही: एमडीएम में जालोर निवासी भैराराम अज्ञात के रूप में 21 जून को भर्ती हुआ था. अस्पताल में उसने अपना नाम और जानकारी बता दी थी. जब उसकी मृत्यु हुई तो उसके आधार पर पुलिस ने जालोर जिले नोसरा थाना को सूचित किया. पुलिस ने भवरानी निवासी भेराराम के भाई भूराराम को सूचना दी. जिस पर वह रविवार को बासनी थाना पहुंचा. पुलिस उसे मोर्चरी लेकर आई. लेकिन मोर्चरी में भेराराम का शव नहीं मिला.
मोर्चरी के कर्मचारियों ने बताया कि भेराराम के साथ ही अपना घर से आए एक व्यक्ति का भी शव रखा गया था. दोनों अज्ञात थे. अपना घर से आए शव की पहचान के लिए एक महिला शनिवार को मोर्चरी पहुंची उसने भैराराम के शव को अपना परिजन बताकर शिनाख्त कर दी. महिला के कहने पर शव हिंदू सेवा मंडल भेजकर उसका अंतिम संस्कार करवा दिया गया. शव की शिनाख्ती के समय किसी जिम्मेदार ने ध्यान नहीं दिया. जिसके चलते यह गफलत हुई. क्योंकि अपना घर से आया शव अभी भी मोर्चरी में रखा है.
यह है मामला : जालोर जिला निवासी भैराराम बासनी क्षेत्र स्थित दाऊजी की होटल के पास काम करता था. जहां 21 जून को उसके तबीयत खराब हुई तो 108 एंबुलेंस से उसे मथुरादास माथुर अस्पताल भेजा गया. उस समय अज्ञात के रूप में उसका एडमिशन फॉर्म भरकर उसे भर्ती कर लिया गया. 24 जून को उसकी मृत्यु हो गई. पुलिस ने उसके भाई को 25 जून की शाम तक पता सूचित किया. रविवार सुबह उसका भाई भूराराम शव लेने मोर्चरी पहुंचा लेकिन मोर्चरी में शव नहीं था. जिसके बाद उसके समाज के कई लोग एकत्र हो गए. जिन्होंने इस लापरवाही के लिए नाराजगी जताई और एक रिपोर्ट उपखंड अधिकारी को कार्यवाही के लिए सौंपी है.