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'रेगिस्तान में जल के प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण जरूरी' - जोधपुर न्यूज

जल संरक्षक राजेंद्र सिंह गुजरात और राजस्थान के शुष्क जिलों पर हुई शोध की पुस्तक का विमोचन करने जोधपुर पहुंचे. इस मौके पर सिंह ने कहा कि नहरी पानी आने से राजस्थानी मूल संसाधनों को भूलने लगे हैं.

जोधपुर न्यूज, राजस्थान न्यूज, jodhpur news, water conservation
राजेंद्र सिंह ने किया पुस्तक विमोचन
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Published : Jan 28, 2020, 12:45 PM IST

Updated : Jan 28, 2020, 1:08 PM IST

जोधपुर. वाटर मैन के नाम से प्रसिद्ध मैग्सेसे अवार्ड से नवाजे गए राजेंद्र सिंह का कहना है कि रेगिस्तान को भले ही अभी गंगा का पानी मिल रहा है. लेकिन अब देश के अन्य हिस्सों से भी गंगा का पानी प्राप्त करने की मांग उठने लगी हैं. ऐसे में अगर हर जगह से गंगा के पानी की मांग उठने लगी तो रेगिस्तान को पानी कहां से मिलेगा.

राजेंद्र सिंह ने किया पुस्तक विमोचन...

राजेंद्र सिंह गुजरात और राजस्थान के शुष्क जिलों पर हुई शोध की पुस्तक का विमोचन करने सोमवार को जोधपुर आए थे. इस मौके पर सिंह ने कहा कि राजस्थान को अभी गंगा का पानी मिल रहा है. हरियाली भी दिखने लगी है पर पिछले 45 दिनों से बिहार की एक बेटी हरिद्वार में गंगा के पानी की मांग को लेकर धरने पर बैठी है. ऐसे में हर जगह से पानी की मांग उठने लगी तो रेगिस्तान को पानी कहां से मिलेगा.

यह भी पढ़ें. जोधपुर: पुलिस ने चेन स्नैचिंग और बैग लिफ्टिंग करने वाली गैंग का किया खुलासा, 2 गिरफ्तार

साथ ही सिंह ने कहा कि नहरी पानी आने से रेगिस्तान के लोग अपने मूल संसाधनों को भूलने लगे हैं, जिसका नुकसान उठाना पड़ेगा. मशीनों से पानी के लिए खुदाई नुकसानदायक है. क्योंकि रेगिस्तान में पानी प्राप्त करने का अपना एक अनूठा विज्ञान हुआ करता था, जिसमें खेतिया कुंए को उस स्तर तक नहीं खोदा जाता था. जिससे कि उसकी नीचे की परत टूट जाए. लेकिन अब अंधाधुध इस तरह की खुदाई से संतुलन बिगड़ गया है.

यह भी पढ़ें. जोधपुर: मथुरादास माथुर अस्पताल की वाहन पार्किंग में युवक से मारपीट, घटना CCTV में कैद

वहीं गुजरात के 2 और राजस्थान 3 रेगिस्तानी जिलों में प्रकृतिक पानी के मौजूदा हालात और स्थिति पर शोध करने वाली डॉ. वर्तीन्दी जैना का कहना है कि इन जिलों में लोग पानी का मोल ही भूल चुके हैं, पानी का अपव्यय किया जा रहा है. संचय के प्राकृतिक तरीके पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं. अतिक्रमण की भी भरमार है. सरकार को इनके संरक्षण के लिए प्राधिकरण बनाए जाने की जरूरत है.

जोधपुर. वाटर मैन के नाम से प्रसिद्ध मैग्सेसे अवार्ड से नवाजे गए राजेंद्र सिंह का कहना है कि रेगिस्तान को भले ही अभी गंगा का पानी मिल रहा है. लेकिन अब देश के अन्य हिस्सों से भी गंगा का पानी प्राप्त करने की मांग उठने लगी हैं. ऐसे में अगर हर जगह से गंगा के पानी की मांग उठने लगी तो रेगिस्तान को पानी कहां से मिलेगा.

राजेंद्र सिंह ने किया पुस्तक विमोचन...

राजेंद्र सिंह गुजरात और राजस्थान के शुष्क जिलों पर हुई शोध की पुस्तक का विमोचन करने सोमवार को जोधपुर आए थे. इस मौके पर सिंह ने कहा कि राजस्थान को अभी गंगा का पानी मिल रहा है. हरियाली भी दिखने लगी है पर पिछले 45 दिनों से बिहार की एक बेटी हरिद्वार में गंगा के पानी की मांग को लेकर धरने पर बैठी है. ऐसे में हर जगह से पानी की मांग उठने लगी तो रेगिस्तान को पानी कहां से मिलेगा.

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साथ ही सिंह ने कहा कि नहरी पानी आने से रेगिस्तान के लोग अपने मूल संसाधनों को भूलने लगे हैं, जिसका नुकसान उठाना पड़ेगा. मशीनों से पानी के लिए खुदाई नुकसानदायक है. क्योंकि रेगिस्तान में पानी प्राप्त करने का अपना एक अनूठा विज्ञान हुआ करता था, जिसमें खेतिया कुंए को उस स्तर तक नहीं खोदा जाता था. जिससे कि उसकी नीचे की परत टूट जाए. लेकिन अब अंधाधुध इस तरह की खुदाई से संतुलन बिगड़ गया है.

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वहीं गुजरात के 2 और राजस्थान 3 रेगिस्तानी जिलों में प्रकृतिक पानी के मौजूदा हालात और स्थिति पर शोध करने वाली डॉ. वर्तीन्दी जैना का कहना है कि इन जिलों में लोग पानी का मोल ही भूल चुके हैं, पानी का अपव्यय किया जा रहा है. संचय के प्राकृतिक तरीके पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं. अतिक्रमण की भी भरमार है. सरकार को इनके संरक्षण के लिए प्राधिकरण बनाए जाने की जरूरत है.

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Body:रेगिस्तान में जल के प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण जरूरी - राजेंद्र सिंह
जोधपुर।
वाटर मैन के नाम से विख्यात मैग्सेसे अवार्ड से नवाजे गए राजेंद्र सिंह का कहना है कि रेगिस्तान को भले ही अभी गंगा का पानी मिल रहा है लेकिन अब देश के अन्य हिस्सों से भी गंगा का पानी प्राप्त करने की मांग उठने लगी है पिछले 45 दिनों से बिहार की एक बेटी हरिद्वार में बैठी है ऐसे में अगर हर जगह से गंगा के पानी की मांग उठने लगी तो रेगिस्तान को पानी कहां से मिलेगा गुजरात और राजस्थान के शुष्क जिलों पर हुई शोध की पुस्तक का विमोचन करने जोधपुर आए राजेंद्र सिंह ने कहा कि नहरी पानी आने से रेगिस्तान के लोग अपने मूल संसाधनों को भूलने लगे हैं जिसका नुकसान उठाना पड़ेगा उन्होंने कहा कि मशीनों से पानी के लिए खुदाई नुकसान दायक है। क्योंकि रेगिस्तान में पानी प्राप्त करने का अपना एक अनूठा विज्ञान हुआ करता था जिसमें खेतिया कुए को उस स्तर तक नहीं खोदा जाता था जिससे कि उसकी नीचे की पलक टूट जाए लेकिन अब अंधाधुन इस तरह की खुदाई में संतुलन बिगाड़ दिया है। गुजरात के 2 और राजस्थान 3 रेगिस्तानी जिलों में प्रकृतिक पानी के मौजूदा हालात और स्थिति पर शोध करने वाली डॉ वर्तीन्दी जैना का कहना है कि इन जिलों में लोग पानी का मोल ही भूल चुके अपव्यय किया जा रहा है। संचय के प्रकृतिक तरीके पूरी तरह से खत्म हो चुके है। अतिक्रमण की भी भरमार है।।सरकार को इनके सरक्षण के लिए प्रधिकरण बनाए जाने की जरूरत है।
बाईट 1 डॉ राजेन्द्र सिंह, जलसरक्षण से जुड़े
बाईट 2 डॉ वर्तीन्दी जैना, शोधार्थी





Conclusion:
Last Updated : Jan 28, 2020, 1:08 PM IST
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