जोधपुर. वाटर मैन के नाम से प्रसिद्ध मैग्सेसे अवार्ड से नवाजे गए राजेंद्र सिंह का कहना है कि रेगिस्तान को भले ही अभी गंगा का पानी मिल रहा है. लेकिन अब देश के अन्य हिस्सों से भी गंगा का पानी प्राप्त करने की मांग उठने लगी हैं. ऐसे में अगर हर जगह से गंगा के पानी की मांग उठने लगी तो रेगिस्तान को पानी कहां से मिलेगा.
राजेंद्र सिंह गुजरात और राजस्थान के शुष्क जिलों पर हुई शोध की पुस्तक का विमोचन करने सोमवार को जोधपुर आए थे. इस मौके पर सिंह ने कहा कि राजस्थान को अभी गंगा का पानी मिल रहा है. हरियाली भी दिखने लगी है पर पिछले 45 दिनों से बिहार की एक बेटी हरिद्वार में गंगा के पानी की मांग को लेकर धरने पर बैठी है. ऐसे में हर जगह से पानी की मांग उठने लगी तो रेगिस्तान को पानी कहां से मिलेगा.
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साथ ही सिंह ने कहा कि नहरी पानी आने से रेगिस्तान के लोग अपने मूल संसाधनों को भूलने लगे हैं, जिसका नुकसान उठाना पड़ेगा. मशीनों से पानी के लिए खुदाई नुकसानदायक है. क्योंकि रेगिस्तान में पानी प्राप्त करने का अपना एक अनूठा विज्ञान हुआ करता था, जिसमें खेतिया कुंए को उस स्तर तक नहीं खोदा जाता था. जिससे कि उसकी नीचे की परत टूट जाए. लेकिन अब अंधाधुध इस तरह की खुदाई से संतुलन बिगड़ गया है.
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वहीं गुजरात के 2 और राजस्थान 3 रेगिस्तानी जिलों में प्रकृतिक पानी के मौजूदा हालात और स्थिति पर शोध करने वाली डॉ. वर्तीन्दी जैना का कहना है कि इन जिलों में लोग पानी का मोल ही भूल चुके हैं, पानी का अपव्यय किया जा रहा है. संचय के प्राकृतिक तरीके पूरी तरह से खत्म हो चुके हैं. अतिक्रमण की भी भरमार है. सरकार को इनके संरक्षण के लिए प्राधिकरण बनाए जाने की जरूरत है.