जोधपुर. देश में किसानों की कमाई दोगुनी करने के लिए कवायद चल रही है. इसके तहत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सभी संस्थान काम कर रहे हैं. इस दिशा में सोलर फार्मिंग किसानों के लिए आय बढ़ाने का अच्छा स्रोत हो सकती है. देखिये यह रिपोर्ट...
शुष्क क्षेत्रों में किसानों को पूरे साल कमाई करने का मौका मिले, इसको लेकर जोधपुर स्थित परिषद के संस्थान काजरी में किसानों को सोलर फार्मिंग के प्रति प्रेरित करने के उदृेश्य से काम चल रहा है. जिसके अब परिणाम सामने आए हैं. जिसके तहत अब खेतों में किसान बडे हिस्सों पर सोलर प्लेट लगाकर बनने वाली उर्जा को ग्रिड के माध्यम से सरकार को बेच सकते हैं.
खेत में सोलर प्लेट्स लग जाएंगी तो खेती कैसे होगी. काजरी संस्थान ने यह कर दिखाया है. सोलर प्लेट के नीचे का भाग जिसे बेकार मान कर छोड़ दिया जाता है, उसके लिए काजरी ने बताया है कि सोलर प्लेट के नीचे बची हुई जमीन पर कौन सी फसलें उगाई जा सकती हैं.
पढ़ें- 16 फरवरी रात 12 बजे से नहीं चलेगा टोल नाकों पर कैश, FASTag अनिवार्य
काजरी के निदेशक डॉ ओपी यादव का कहना है कि तीन साल के अध्ययन से यह सामने आया है कि इन प्लेट के नीचे तीन फिट से छोटी ऊंचाई वाले पौधे लगाए जा सकते हैं. जिससे पूरे साल फसल ली जा सकती है. इसमें भी ज्यादातर नकदी फसल के रूप में सब्जियां बोई जा सकती हैं. जो किसानों को सालभर आर्थिक मदद कर सकती हैं.
काजरी ने बनाया सौलर फार्म
काजरी में इसके लिए 1 एकड जमीन को चिन्हित किया गया. वहां सोलर प्लेटें लगाई गईं. संस्थान के निदेशक डॉ ओपी यादव का कहना है कि जमीन से किसान एक ही बार में बिजली पैदा कर सकें और फसल भी ले सकें, इसी उद्देश्य से इस दिशा में काम किया गया है.
काजरी में कई मॉडल विकसित किए गए. इसके बाद अधिकारी इस नतीजे पर पहुंचे कि एक एकड़ में अगर किसान दोनों काम करते हैं तो एक साल में किसान लगभग 7 लाख रुपए तक कमा सकते हैं.
पढ़ें- विधानसभा में गूंजे 'पप्पू', 'गप्पू' और 'जोकर' के नारे...जमकर हुआ सदन में हंगामा, ये है मामला
ये फसलें ले सकते हैं किसान
अगर सोलर पैनल ग्रांउड पर लगे हैं तो उसके नीचे सर्दी में जीरा, इसबगोल, पालक, बैंगन सहित सालभर अलग अलग सब्जियां लगा सकते हैं. गर्मी के समय में मूंग, मोठ, तिल और ग्वार की फसल लगाई जा सकती हैं. इसके अलावा पैनल के नीचे पॉमेरोजा घास, एलोवीरा की फसलें सालभर उगाई जा सकती हैं.
कुसुम योजना और इसके लाभ
कुसुम योजना के तहत साल 2022 तक देश में तीन करोड़ सिंचाई पंप को बिजली या डीजल की जगह सौर ऊर्जा से चलाने की कोशिश की जा रही है. किसानों को कुसुम योजना के तहत सोलर पंप की कुल लागत का सिर्फ 10 फीसदी खर्च ही उठाना होता है. ऐसे में छोटे खेतों के किसान ग्रुप बनाकर भी सोलर फार्मिंग कर सकते हैं. इससे उन्हें दोहरी कमाई हो सकती है.