जोधपुर. जिले में बीते चालीस दिनों में कोरोना के मामले तेजी से बढे़ और अब घट भी रहे हैं. हालांकि इस बार गत वर्ष की तरह हालात बेकाबू नहीं हुए, फिर भी बुजुर्गों के लिए कोरोना परेशानी भरा रहा. खास तौर ऐसे बुजुर्ग जिन्हें क्रॉनिकल बीमारियां डायबिटीज, कैंसर, बीपी, हार्ट डिजीज रहीं. इनमें भी ऐसे बुजुर्ग जिन्होंने कोरोना का टीका नहीं लगवाया उनके लिए तो ये महामारी काल साबित हुई.
जोधपुर के अस्पतालों में इन चालीस दिनों में 53 मौतें (53 deaths in 40 days due to corona in Jodhpur) हुईं हैं. इनमें 80 फीसदी 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के थे. यह क्रम चल भी रहा है. हर दूसरे-तीसरे दिन इक्का-दुक्का मौत हो रही है. मरने वालों में 23 ऐसे थे जिन्होंने वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगवाई थी, जबकि 7 ऐसे थे जिन्होंने सिंगल डोज ही लगवाई थी. बीस जन ऐसे भी कोरोना की भेंट चढ़े जो दोनों टीके लगवा चुके थे अन्य गंभीर बीमारियों के कारण उनकी मौत हो गई. स्वास्थ्य विभाग के उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रीतम सिंह के अनुसार जो बुजुर्ग अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं और जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है वे तुरंत टीका लगवाएं. वैक्सीनेशन बहुत ही आवश्यक (only vaccine can protect from corona) है.
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लहर का असर कम फिर भी मौतें
इस बार कोरोना वायरस का प्रभाव कम रहा है. वायरस के म्यूटेंट होने से यह माइल्ड हुआ है. हालांकि दिसंबर से तीसरी लहर का असर सामने आया है. ओमीक्रोन की वजह से रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी थी. जनवरी में यह बजुर्गों के लिए परेशानी बनने लगी. विशेषज्ञों का मामना है कि बुजुर्गों और नॉन कम्युनिकेबल डिजीज से ग्रसित मरीजों को लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीज उसके लिए परेशानी खड़ी कर सकती है.
बढ़ रहे बच्चों के मामले
जोधपुर में स्कूल खुलने के बाद से स्वास्थ्य विभाग विद्यालयों में रैंडम सैंपलिंग करवा रहा है जिसमें 12 से 18 वर्ष की उम्र के बच्चे पॉजिटिव पाए जा रहे हैं. उनको आइसोलेशन में रखा जा रहा है. उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार राहत की बात यह है कि बच्चों में किसी तरह का गंभीर लक्षण नहीं होता है. तीन से पांच दिनों में बच्चे ठीक भी हो जा रहे हैं. बच्चों का टीकाकरण भी तेज गति से किया जा रहा है.